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गरीब देशों को अंधेरे में डुबोती यूरोप की गैस मांग

१२ अक्टूबर २०२२

यूक्रेन युद्ध के बाद से ही यूरोप ने बड़े पैमाने पर एलएनजी खरीदना शुरू कर दिया है. यूरोप गैस के लिए ज्यादा पैसे दे रहा है लेकिन बिजली से लेकर कुकिंग गैस तक विदेशी एलएनजी पर निर्भर गरीब देशों की हालत खस्ता हो रही है.

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स्पेन में एलएनजी टर्मिनल
तस्वीर: Javier Larrea/imago images

यूरोपीय देशों ने 2022 के नौ महीनों में इतनी तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) खरीद ली, जितनी उन्होंने पूरे 2021 में नहीं खरीदी थी. मांग में ये जोरदार उछाल यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से आया है.  इंडिपेंडेंट कमोडिटी इंटेलिजेंस सर्विस (आईसीआईएस) ने इससे जुड़ा डाटा डीडब्ल्यू के साथ शेयर किया है. डाटा के मुताबिक 2021 के मुकाबले इस साल फ्रांस में एलएनजी की मांग 88 फीसदी, नीदरलैंड्स में 109 परसेंट और बेल्जियम में 157 प्रतिशत बढ़ी है.

ऊर्जा संकट में जर्मनी हलकान लेकिन इटली को दिक्कत नहीं

यूरोप की ये मांग बड़े पैमाने पर एलएनजी के सहारे रहने वाले कई गरीब मुल्कों पर पड़ रही है. लिक्विफायड नेचुरल गैस का महंगा दाम गरीब देशों की कमर तोड़ रहा है. रिसर्च ग्रुप रैपिडैन के एलएनजी एनालिस्ट एलेक्स मंटन कहते हैं, "दूसरे बाजारों से ज्यादा दाम चुका कर यूरोप इतनी बड़ी मात्रा हासिल कर पाया है. "

कतर में एलएनजी टैंकर
कतर में एलएनजी टैंकरतस्वीर: picture-alliance/dpa/Tim Brakemeier

आईसीआईएस के आंकड़े दिखा रहे हैं कि यूरोप के बाहर बाकी देशों में एलएनजी की मांग में गिरावट आई है. बांग्लादेश में यह गिरावट 10 फीसदी है तो पाकिस्तान में 19 और चीन में 22 फीसदी.

बिजली गुल होने से परेशानी

कुछ देशों में इसके गंभीर परिणाम दिखाई पड़ रहे हैं. पिछले हफ्ते बांग्लादेश ने बीते दशक का एक सबसे बुरा ब्लैकआउट झेला. 10 करोड़ लोगों को कई घंटों तक बिना बिजली के रहना पड़ा. यूक्रेन युद्ध के बाद से ही बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय बाजार से गैस जुटाने के लिए संघर्ष कर रहा है.

बांग्लादेश को झटका देता बिजली संकट

ढाका की ब्राक यूनिवर्सिटी के मोहम्मद तमीम के मुताबिक बिजली की कटौती भले ही गैस सप्लाई से जुड़ी हो, लेकिन देश के इलेक्ट्रिसिटी ग्रिडों को अपग्रेड करने की भी जरूरत है. डीडब्ल्यू से बातचीत में तमीम ने कहा, "बड़े रूप में देखें तो यह सिस्टम ऑपरेटिंग चैलेंज है." वह कहते है कि बांग्लादेश को एक दूसरे से स्वतंत्र स्मार्ट ग्रिडों की जरूरत है.

बांग्लादेश अकेला नहीं है. पाकिस्तान और भारत भी एलएनजी मार्केट में फैली महंगाई से परेशान हैं. भारत में स्वच्छ ईंधन कही जाने वाली सीएनजी गैस का दाम इस साल सात बार बढ़ चुका है. तमीम कहते हैं, "यूरोप कहीं भी मौजूद गैस के हर उपलब्ध मॉलिक्यूल को हासिल करना चाहता है."

आने वाले दिनों में भी हालात बदलने के आसार नहीं हैं. तमीम कहते हैं, "वे मौजूदा और भविष्य के लिए भी गैस खरीद रहे हैं. उनकी क्रय शक्ति विकासशील देशों के मुकाबले बहुत ऊंची है, इसीलिए बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान जैसे देशों पर कड़ी मार पड़ी है."

बांग्लादेश के बड़े इलाके में आम हो गई है बिजली की लंबी कटौती
बांग्लादेश के बड़े इलाके में आम हो गई है बिजली की लंबी कटौतीतस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS

यूरोप की महंगी बोली के सामने कहां टिकेंगे गरीब मुल्क

बाढ़ से जूझ रहा पाकिस्तान ऊर्जा संकट से भी तंग हो रहा है. पिछले हफ्ते पाकिस्तान ने अगले चार से छह साल तक हर महीने एक एनएलजी कार्गो कंटेनर गैस खरीदने का टेंडर जारी किया. टेंडर के लिए किसी कंपनी ने बोली नहीं लगाई. बीते कई महीनों से पाकिस्तान यहां वहां से कम समय के लिए गैस का जुगाड़ कर रहा है.

पाकिस्तान ने तेल और गैस कंपनियों के साथ जिस तरह के करार किये हैं, उनकी वजह से भी परेशानी हो रही है. पाकिस्तान ने ऐसी कंपनियों से करार किये हैं जो खुद तरल प्राकृतिक गैस नहीं बना सकती हैं. करार में अनुबंध तोड़ने की शर्त भी है, यानि विक्रेताओं को ऊंचे दाम देने वाला देश मिला तो वे बहुत ही कम समय का नोटिस देकर करार तोड़ भी सकते हैं. हालांकि ऐसे मामलों में सप्लायर को हर्जाना देना होगी. मौजूदा दौर में यूरोप, गैस की जो कीमत देने के लिये तैयार है, उसके सामने ये पेनल्टी कोई बड़ी रकम नहीं है. पाकिस्तान को पेनल्टी देने के बाद भी सप्लायर फायदे में ही रहेगा.

रैपिडैन के एलएनजी एनालिस्ट एलेक्स मंटन के मुताबिक, "पेनल्टी चुकाना फायदेमंद है क्योंकि वैकल्पिक बाजार बहुत ही मुनाफा देने वाले हैं. और यही हो रहा है."

रूस पर ऊर्जा के लिये निर्भर नहीं रहेगा जर्मनी, यूएई से करार

ईंधन ना खरीद पाने का मतलब है कि पाकिस्तान लंबे समय तक ऊर्जा की किल्लत झेलेगा. सरकार का कहना है कि ईंधन की कमी नहीं है, लेकिन दूसरी तरफ देश में तेल की खपत कम करने के लिए तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही भारी दबाव में है. अगस्त के आखिर में देश को आईएमएफ से 1.1 अरब डॉलर का कर्ज लेना पड़ा.

वहीं बांग्लादेश का ऊर्जा संकट, आम लोगों के साथ साथ देश के आर्थिक विकास को भी झटका दे रहा है. देश की जीडीपी विकास दर को बीते छह महीनों में कई बार घटाया गया है.

ऊंची महंगाई से भी जूझ रहा है पाकिस्तान
ऊंची महंगाई से भी जूझ रहा है पाकिस्तानतस्वीर: Fayaz Aziz/REUTERS

नई एलएनजी की कोई उम्मीद नहीं

मंटन को लगता है कि अंतरराष्ट्रीय एलएनजी मार्केट में गैस की कमी आने वाले कई महीनों तक जारी रहेगी. यूरोप में एलएनजी की मांग लगातार बनी रहेगी. मंटन कहते हैं, "अगर दुनिया को अचानक ज्यादा एलएनजी की जरूरत पड़ी या फिर यूरोप जैसे खास बाजारों में इसकी मांग बढ़ी तो भी सप्लाई बढ़ाई नहीं जा सकती. वे दूसरे देशों को जा रही एलएनजी लेकर या फिर दूसरे देशों गैस की मांग में आई गिरावट से ही इसे पा सकते हैं. दुनिया में फिलहाल तय मात्रा में एलएनजी की सप्लाई होती है."

नए गैस फील्डों पर हो रहे काम और ढांचे में भारी निवेश के जरिए एलएनजी की सप्लाई बढ़ाने में चार साल का वक्त लग सकता है. तब तक अमीर और गरीब देशों के बीच गैस को लेकर आशा और निराशा का खेल चलता रहेगा.

रिपोर्ट: अर्थर सुलवान, अराफातुल इस्लाम