असम में बाढ़ से तबाही
२० जून २०२२पूर्वोत्तर के राज्यों में बाढ़ का असर बढ़ता जा रहा है. विशेष रूप से असम और मेघालय में आपदा का सबसे विकराल रूप दिखाई दे रहा है. असम के 33 जिलों में से 32 बाढ़ से ग्रसित हैं. अभी तक कम से कम 42 लोगों की मौत हो चुकी है और 37 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हो चुके हैं.
राज्य के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक रविवार 19 जून को अलग अलग स्थानों पर कम से कम पांच लोग डूब गए और भूस्खलन में पांच लोगों की मौत हो गई. लाखों लोग बेघर भी हो गए हैं. पूरे राज्य में कई जगह राहत शिविर बनाए गए हैं, जिनमें विस्थापित लोगों ने शरण ली है.
काजीरंगा भी डूबा
असम के निचले इलाकों में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं. ब्रह्मपुत्र, सुबनसिरी, कोपीली और मानस समेत राज्य की मुख्य नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. लोगों के साथ साथ राज्य के वन्य जीव भी बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर हैं. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के कई इलाके बाढ़ से ग्रसित हैं और कई वन्य जीवों की मौत हो गई है.
मेघालय में भी बाढ़ से काफी तबाही हुई है. बाढ़ और भूस्खलन की वजह से कई इलाकों में लोग फंस गए हैं. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सिर्फ पिछले सात दिनों में ही राज्य में 18 लोगों की बाढ़ संबंधित कारणों से मौत हो गई है.
दूसरे राज्य भी प्रभावित
इस बीच त्रिपुरा में भी भारी बारिश के बाद बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. हजारों लोगों को बाढ़ की वजह से अपने घरों को छोड़ कर जाना पड़ा है. राज्य सड़क मार्ग से देश के दूसरे इलाकों से पूरी तरह से कट गया है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से कहा है कि वो बांग्लादेश के रास्ते राज्य में राहत भेजने का प्रबंध करे.
मणिपुर से भी भारी बारिश और बाढ़ के असर की खबरें आ रही हैं. राज्य की कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. राज्य सरकार ने स्थिति पर नजर बनाई हुई है और लोगों के जानमाल की रक्षा करने की तैयारियां की जा रही हैं.
कुछ लोगों का कहना है कि असम में इस साल बाढ़ की वजह से जो तबाही हुई है ऐसी पहले कभी नहीं हुई. लेकिन असम में दशकों से हालात जस के तस हैं. देश के कई राज्यों की तरह की असम में साल दर साल बाढ़ से होने वाली तबाही बढ़ती जा रही है, लेकिन इस समस्या का कोई स्थायी समाधान आज तक नहीं निकल पाया है.