1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

कपड़ा उद्योग कर्मचारियों को 5.8 अरब डॉलर वेतन का नुकसान

११ अगस्त २०२०

कोरोना के कारण कपड़ा उद्योग से जुड़े कर्मचारी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. लॉकडाउन की वजह से रिटेल स्टोर बंद हो गए और मांग गिर गई. कंपनियों ने अपने ऑर्डर रद्द कर दिए जिस वजह से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है.

https://p.dw.com/p/3gls8
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/M. Hasan

ग्लोबल ब्रांड्स के लिए कपड़ा उद्योगों में काम करने वाले कर्मचारियों को कोरोना संकट के दौरान या तो कम वेतन मिला या फिर मिला ही नहीं. शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना संकट के दौरान वेतन के रूप में कर्मचारियों को छह अरब डॉलर तक का संभावित नुकसान उठाना पड़ा है. महामारी के कारण स्टोर बंद हो गए और बिक्री में भी गिरावट दर्ज की गई, कई रिटेलर्स ने अपने ऑर्डर रद्द कर दिए या फिर सप्लायर्स से डिस्काउंट की मांग की. इस क्षेत्र में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों की आजीविका खतरे में आ गई. दबाव समूह क्लीन क्लोथ कैंपेन का कहना है कि दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में कपड़ा उद्योग कर्मचारी जो कि पहले से ही कम वेतन पर गुजारा कर रहे थे, उन्हें मार्च से लेकर मई तक नियमित वेतन का औसतन 60 फीसदी से भी कम मिला.

समूह ने अपनी रिपोर्ट "अंडर पेड इन पैनडेमेकि" में कहा है कि भारत के कुछ क्षेत्रों में कपड़ा कर्मचारियों को उनके वेतन से आधा पैसा मिला है. श्रम अधिकारों के संगठनों और संघों के नेटवर्क क्लीन क्लोथ कैंपेन ने ब्रांड्स और रिटेलरों से आग्रह किया है कि वे अपनी जिम्मेदारी से पल्ला ना झाड़े और उनकी सप्लाई चेन में सभी कर्मचारियों को बकाया देने के लिए सार्वजनिक रूप से अपनी प्रतिबद्धता दिखाए. पाकिस्तान में श्रमिक शिक्षा फाउंडेशन के निदेशक खालिद महमूद ने एक बयान में कहा, "संकट के कारण वेतन में अंतर का मतलब है कि श्रमिक अपने परिवार को ठीक से खिलाने में सक्षम नहीं हैं. वे स्कूल की फीस देने में सक्षम नहीं हैं...या चिकित्सा पर होने वाले खर्च का भुगतान नहीं कर सकते हैं. कई लोगों पर कर्ज है."

क्लीन क्लोथ कैंपेन का कहना है कि डाटा के अभाव में उनका शोध सात देशों -बांग्लादेश, कंबोडिया, भारत, इंडोनेशिया, म्यांमार, पाकिस्तान और श्रीलंका- तक सीमित रहा लेकिन अन्य कम वेतन वाले क्षेत्रों में स्थिति शायद बेहतर नहीं है.

Textilarbeiter in Bangladesch protestieren
वेतन नहीं मिलने पर प्रदर्शन करते टेक्सटाइल कर्मचारी. (फाइल)तस्वीर: bdnews24.com

डाटा का अध्ययन कर शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि दुनियाभर में टेक्सटाइल कर्मचारियों को महामारी के पहले तीन महीने में 3.19 अरब डॉलर से लेकर 5.79 अरब डॉलर तक का नुकसान हुआ. उनके अनुमान के मुताबिक बांग्लादेश में 50 करोड़ डॉलर और इंडोनेशिया में 40 करोड़ डॉलर वेतन के रूप में रोक लिया गया.

बांग्लादेश में कपड़ा कर्मचारी 25 वर्षीय शरीफा बेगम ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया कि उन्हें मई के महीने में मैसेज कर नौकरी से निकाल दिया गया, जब उनके साथी कर्मचारियों ने बकाया वेतन को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. बेगम का पति इतना बीमार है कि वह काम नहीं कर पाता है. वह कहती हैं उसके पूर्व मालिक पर 60,000 टका बकाया है. यह रकम ज्यादातर ओवर टाइम के रूप में बकाया है. बेगम कहती हैं, "मैं मई महीने से कर्ज लेकर गुजारा कर रही हूं. चावल और दाल मैंने कई दुकानों से उधार पर खरीदे हैं. मुझे नहीं पता कि कब मैं उन्हें बकाया रकम चुका पाऊंगी." मायूसी के साथ बेगम दूसरी फैक्ट्री में काम शुरू करने जा रही हैं, जहां उन्हें हर महीने 6,000 टका मिलेगा, यह रकम उससे भी आधी है जो बेगम को ओवरटाइम को जोड़ने के बाद मिला करती थी. बेगम कहती हैं, "जाहिर तौर पर यह पर्याप्त नहीं होगा, लेकिन जीवित रहने के लिए तो चाहिए."

क्लीन क्लोथ कैंपेन का कहना है कि कपड़ा कंपनियां लंबे समय से कम वेतन वाले देशों से मुनाफा कमा रही हैं जहां लचर श्रम कानून है. कैंपेन से जुड़ी क्रिस्टी मिडेमा कहती हैं, "हम हर ब्रांड से कह रहे हैं कि वे व्यक्तिगत रूप से सार्वजनिक तौर पर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करे. सप्लाई चेन में हर किसी की जिम्मेदारी होती है लेकिन व्यवहार में कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेता है."

एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें