अरब देशों के विरोध के बाद बीजेपी नेता नुपूर शर्मा निलंबित
६ जून २०२२पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी करने वालीं नुपूर शर्मा को भारतीय जनता पार्टी ने निलंबित कर दिया है. यह कार्रवाई टिप्पणी करने के कई दिन बाद तब हुई जब सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों ने इस बयान की आलोचना की और भारतीय उत्पादों के खिलाफ कार्रवाई का संकेत दिया. बीजेपी ने नुपूर शर्मा के अलावा एक अन्य नेता नवीन जिंदल को भी "सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक टिप्पणियां करने" के आरोप में निष्कासित कर दिया.
निष्कासन पत्र में बीजेपी ने लिखा है, "आपने सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक सद्भावना भड़काने वाले विचार प्रकट किए हैं. यह भारतीय जनता पार्टी के मूल विचारों के विरोध में है. आपने पार्टी के विचार एवं नीतियों के विरुद्ध कार्य किया है. अतः आपकी भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता तुरंत प्रभाव से समाप्त की जाती है और आपको पार्टी से निष्कासित किया जाता है."
नुपूर शर्मा ने मांगी माफी
इससे पहले नुपूर शर्मा ने अपनी टिप्पणियों के लिए ट्विटर पर माफी भी मांगी. उन्होंने लिखा, "मैं कई दिनों से टीवी डिबेट मैं जा रही थी जहां मेरे आराध्य शिव जी का अपमान किया जा रहा था. मेरे सामने ये कहा जा रहा था कि वो शिवलिंग नहीं फुवारा है, दिल्ली के हर फुटपाथ पर बहुत शिवलिंग पाए जाते हैं, जाओ जाके पूजा कर लो. मेरे सामने बार-बार इस प्रकार से हमारे महादेव शिव जी के अपमान को मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मैंने रोष में आके कुछ चीजें कह दीं. अगर मेरे शब्दों से किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं. मेरी मंशा किसी को कष्ट पहुंचाने की नहीं थी."
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद पर आयोजित एक टीवी डिबेट में हिस्सा लेते हुए पैगंबर मोहम्मद पर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इस बहस में मुस्लिम पॉलिटिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष तसलीम रहमानी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में इस्लामिक स्ट्डीज के प्रोफेसर जुनैद हारिस भी हिस्सा ले रहे थे. टीवी डिबेट के दौरान रहमानी और नूपुर शर्मा के बीच बहस काफी तीखी हो गई. बहस के दौरान बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि लोग लगातार हिंदू धर्म का मजाक उड़ा रहे हैं और अगर यही स्थिति बनी रही तो वह भी दूसरे धर्मों का मजाक उड़ा सकती हैं.
खाड़ी देशों में विरोध
भारत में इस टिप्पणी का तीखा विरोध हुआ और कई मुस्लिम संगठनों ने नूपुर शर्मा के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. यह विरोध भारत के बाहर भी फैलने लगा और कई खाड़ी देशों ने आधिकारिक तौर पर आपत्ति दर्ज कराई. रविवार को सऊदी अरब ने भी आपत्ति की. वहां के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि यह टिप्पणी "अपमानजनक" है और हर "भावनाओं व धर्मों का सम्मान" किया जाना चाहिए.
कतर ने भी भारत से ‘इस्लाम-विरोधी' टिप्पणियों पर माफी की मांग की. यह मामला ऐसे वक्त में उठा जबकि भारत के राष्ट्रपति वेंकैया नायडू कतर की यात्रा पर थे. ऐसी खबरें आईं कि भारतीय उपराष्ट्रपति का एक कार्यक्रम भी रद्द कर दिया गया. इसके बाद दोहा में भारत के राजदूत दीपक मित्तल को कतर के विदेश मंत्रालय ने तलब किया और उन्हें एक आधिकारिक विरोध पत्र सौंपा गया. इस पत्र में कहा गया कि "कतर भारत द्वारा इन टिप्पणियों की फौरन आलोचना और सार्वजनिक रूप से माफी" की उम्मीद करता है. कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा, "ऐसी इस्लाम विरोधी टिप्पणियों को इजाजत देना और उन पर किसी तरह की सजा ना देना मानवाधिकारों को गंभीर खतरा है और हिंसा व नफरत का एक सिलसिला शुरू कर देगा."
इससे पहले रविवार सुबह कुवैत ने भी वहां तैनात भारतीय राजदूत को तलब किया था. खाड़ी देशों में सोशल मीडिया पर नुपूर शर्मा की टिप्पणियों का तीखा विरोध हो रहा है और भारतीय उत्पादों के बहिष्कार की मांग हो रही है. सऊदी शहर जेद्दाह स्थित इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने भी नुपूर शर्मा की टिप्पणियों का विरोध किया है. ओईसी ने कहा कि यह टिप्पणी तब आई है जबकि "भारत में इस्लाम के खिलाफ नफरत फैलती जा रही है."
'गलत मिसाल'
भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओँ पर इस्लाम विरोधी टिप्पणियां करने और मुसलमानों के खिलाफ बयानबाजी करने के आरोप लगातार लगते रहे हैं. ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉरपोरेशन (ओआईसी) पहले भी भारत में मुसलमानों के कथित शोषण का विरोध करती रही है, जिसे भारत अपना अंदरूनी मामला बताकर खारिज करता रहा है. यह पहली बार है जबकि भारत को दबाव में आकर ऐसी कार्रवाई करनी पड़ी है.
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हालांकि बहुत से विशेषज्ञों ने इसे एक गलत मिसाल माना है. उनका कहना है इससे भारतीय मुसलमानों को अपने अधिकारों के लिए खाड़ी देशों से मदद की उम्मीद करने को प्रोत्साहन मिलेगा. लेखिका जैनब सिकंदर ने कहा, "मुझे इस बात की शर्मिंदगी है कि राष्ट्रीय प्रवक्ता के खिलाफ बीजेपी पर कार्रवाई के लिए हमें अरब देशों के बोलने की जरूरत पड़ती है."
टिप्पणीकार गार्गा चटर्जी कहती हैं कि इस कार्रवाई के जरिए बीजेपी ने दिखाया है कि उसके लिए खाड़ी देश भारत के लोगो से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. ट्विटर पर उन्होंने लिखा, "अरब लोगों के दबाव में आकर नुपूर शर्मा और नवीन जिंदल के निलंबन के जरिए बीजेपी और मोदी ने दिखा दिया कि अरब, जो कि भारतीय नागरिक नहीं हैं, बीजेपी के खिलाफ वोट करने वाले 60 प्रतिशत लोगों के मुकाबले ज्यादा महत्वपूर्ण हैं."
उधर बहुत से लोगों ने इस कार्रवाई के लिए बीजेपी की आलोचना भी की है. लेखक आनंद रंगनाथन ने लिखा कि बीजेपी की कार्रवाई कायराना है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "नुपूर शर्मा का निलंबन बीजेपी की कायराना कार्रवाई है. पार्टी ने उन्हें भेड़ियों के आगे फेंक दिया है. नुपूर, हम आपको बताना चाहते हैं कि इस देश की ताकत उसके लोग हैं, कोई पार्टी नहीं. और हम, इस देश के लोग, आपके साथ खड़े हैं, हर कदम, हर सांस में."