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कानून और न्यायभारत

एएसआई: कुतुब मीनार एक संरक्षित स्मारक, पूजा की इजाजत नहीं

२४ मई २०२२

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अदालत में कहा है कि कुतुब मीनार पूजा स्थल नहीं है और मौजूदा स्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता. एएसआई ने कहा कुतुब मीनार 1914 से संरक्षित स्मारक है और इसकी संरचना को अब बदला नहीं जा सकता है.

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तस्वीर: IANS

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मंगलवार को कुतुब मीनार मामले पर अपना जवाब दिल्ली के साकेत कोर्ट को सौंप दिया. कोर्ट में एएसआई ने उस स्थान पर मंदिर को पुनर्जीवित करने की याचिका का विरोध किया है. एएसआई ने यह स्वीकार करते हुए कहा कि कुतुब मीनार परिसर के निर्माण में कई हिंदू और जैन देवी देवताओं की छवियों का इस्तेमाल किया गया. उसने कहा कि 1914 से कुतुब मीनार स्मारक प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम,1904 की धारा 3 (3) के तहत एक संरक्षित स्मारक है और इसे "इन-सीटू" की स्थिति में रखा जाता है.

एएसआई ने कहा कि हिंदू याचिकाकर्ताओं की याचिका कानूनी रूप से सुनवाई योग्य नहीं है. उसके मुताबिक, "पुराने मंदिर को तोड़कर कुतुब मीनार परिसर बनाना ऐतिहासिक तथ्य की बात है. कुतुब मीनार परिसर एक जीवित स्मारक है जिसे 1914 से संरक्षित किया गया है. परिसर में पूजा करने का अधिकार किसी को नहीं है."

दिल्ली के साकेत कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें दावा किया गया है कि कुतुब मीनार परिसर में कई हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां हैं. कुछ दिनों पहले एएसआई के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने दावा किया था कि कुतुब मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने नहीं बल्कि पांचवीं शताब्दी के राजा चंद्रगुप्त व्रिकमादित्य ने कराया था. हिंदू पक्ष का दावा है कि कुतुब मीनार को पहले विष्णु स्तंभ कहा जाता था.

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पिछले शनिवार को संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने कुतुब मीनार का औचक निरीक्षण किया था और इसके बाद मीडिया में खबरें आईं कि पुरातत्व विभाग को यह पता लगाने के लिए परिसर में खुदाई करने को कहा गया है, हालांकि बाद में केंद्रीय संस्कृति मंत्री जीके रेड्डी ने इन खबरों का खंडन कर दिया.

पूजा की मांग को लेकर याचिका दायर करने वाले हरिशंकर जैन ने हाल ही में दावा किया था कि कुतुब मीनार परिसर में 27 मंदिरों के 100 से अधिक अवशेष बिखरे पड़े हैं. साकेत कोर्ट में हिंदू पक्ष ने कुतुब मीनार परिसर में पूजा करने और स्मारक को पूजा स्थल बनाने की मांग है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सवाल किया कि 800 साल से पूजा नहीं हो रही है तो दावा कैसे किया जा रहा है. वहीं हिंदू पक्ष ने कहा कि वह सिर्फ मूर्तियों की पूजा का अधिकार चाहता है.

मंगलवार को साकेत कोर्ट में कुतुब मीनार में पूजा के मुद्दे पर सुनवाई पूरी हो गई और इस मामले में 9 जून को कोर्ट का आदेश आएगा. कोर्ट ने दोनों पक्षों से एक हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है.

इस महीने की शुरुआत में कट्टरपंथी हिंदू संगठनों के कई सदस्यों ने कुतुब मीनार परिसर के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करने और कुतुब मीनार का नाम बदलकर "विष्णु स्तंभ" करने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया था.

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