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भारत नहीं चाहता जी20 में रूस के खिलाफ और प्रतिबंधों पर चर्चा

२२ फ़रवरी २०२३

यूक्रेन युद्ध को एक साल पूरा होने जा रहा है. पश्चिमी देश अब भी भारत को अपनी तरफ करना चाह रहे हैं लेकिन मौजूदा जी20 अध्यक्ष के रूप में भारत कम से कम जी20 में रूस के खिलाफ और प्रतिबंधों पर चर्चा नहीं चाह रहा है.

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नरेंद्र मोदी, व्लादिमीर पुतिन
समरकंद में नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिनतस्वीर: Alexandr Demyanchuk/SPUTNIK/AFP

बेंगलुरु में इसी हफ्ते जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के प्रमुखों की एक महत्वपूर्ण बैठक होनी है, जिसके इतर जी7 समूह के देशों के वित्त मंत्रियों की भी एक बैठक आयोजित की जाएगी.

यूक्रेन पर रूस के हमले का एक वर्ष पूरा होने से ठीक एक दिन दिन पहले होने वाली इस बैठक में रूस के खिलाफ कदमों पर चर्चा होगी. लेकिन भारत सरकार के कई अधिकारियों ने बताया है कि मौजूदा जी20 अध्यक्ष के रूप में भारत नहीं चाहता कि समूह में रूस के खिलाफ यूक्रेन पर हमला करने के लिए और प्रतिबंधों पर चर्चा हो.

जी20 इसके लिए सही मंच नहीं 

ये अधिकारी बेंगलुरु वाली जी20 बैठक के आयोजन से सीधे जुड़े हुए हैं. नाम ना जाहिर करने की शर्त पर उन्होंने बताया कि बैठक में युद्ध के मैक्रोइकोनॉमिक असर पर चर्चा होगी लेकिन भारत रूस के खिलाफ अतिरिक्त प्रतिबंधों पर चर्चा नहीं चाहता है.

एस जयशंकर
एस जयशंकर ने कुछ ही दिनों पहले कहा था कि रूस के साथ भारत के संबंध "असाधारण रूप से स्थिर हैं"तस्वीर: Michael A. McCoy/Pool/REUTERS

यह बताते हुए एक अधिकारी ने कहा, "रूस के खिलाफ मौजूदा प्रतिबंधों का दुनिया पर नकारात्मक असर हुआ है." एक और अधिकारी ने बताया कि प्रतिबंध जी20 के लिए विषय नहीं हैं. उन्होंने कहा, "जी20 विकास के मुद्दों पर चर्चा करने का एक आर्थिक मंच है."

भारत सरकार, विशेष रूप से वित्त और विदेश मंत्रालयों, के प्रवक्ताओं ने इस पर टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया. विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले कह चुके हैं कि भोजन और ईंधन के दामों को बढ़ा कर युद्ध ने गरीब देशों को अनुपातहीन रूप से प्रभावित किया है.

नए प्रतिबंधों की तैयारी

अमेरिका की उप वित्त मंत्री वॉली अदेयमो ने मंगलवार 21 फरवरी को ही कहा था कि अमेरिका और उसके सहायक देश आने वाले दिनों में ऐसे नए प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहे हैं जो रूस द्वारा फ्रिज और माइक्रोवेव जैसे दो तरह के इस्तेमाल वाले सामान पर निशाना लगाएंगे.

अब बाल्टिक देश भी रूस से भयभीत

इसके अलावा अदेयमो ने यह भी कहा कि 30 से भी ज्यादा देशों के अधिकारी रूस के साथ अभी भी व्यापार करने वाली कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और लोगों को चेतावनी देंगे अगर उन्होंने रूस के साथ कारोबार जारी रखा तो उन्हें भी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा.

भारत ने युद्ध की निंदा तो की है लेकिन यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की आलोचना नहीं की है. भारत ने युद्ध के अंत के लिए बातचीत और कूटनीति के इस्तेमाल पर भी जोर दिया है. इसके अलावा भारत ने रूस से तेल की खरीद को बढ़ा दिया है.

जयशंकर ने कुछ ही दिनों पहले कहा था कि रूस के साथ भारत के संबंध "असाधारण रूप से स्थिर हैं और वैश्विक राजनीति में हर तरह की उथल पुथल के बावजूद स्थिर रहे हैं."

सीके/एए (रॉयटर्स)