जिन्हें कोविड हो चुका है वे वायरसों से ज्यादा सुरक्षितः शोध
४ अप्रैल २०२२वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘मिश्रित प्रतिरोध क्षमता' वाले लोगों को कोविड-19 वायरस का असर होने का खतरा उन लोगों के मुकाबले कम है, जिन्हें पहले कोविड नहीं हुआ है. मिश्रित प्रतिरोध क्षमता से वैज्ञानिकों का आश्य उस इम्युनिटी से है जो वैक्सीन की दोनों खुराक लगवाने और कोविड हो जाने बाद शरीर द्वारा खुद तैयार करने से मिलती है.
दो साल में कोरोना वायरस महामारी से दुनियाभर में 61 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है जबकि 50 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी से कम से कम एक बार ग्रस्त हो चुके हैं. अरबों लोगों को कोविड वैक्सीन की खुराक मिल चुकी है. इसी बारे में प्रकाशित दो अध्ययनों में वैक्सीन की अहमियत पर और जोर दिया गया है.
मेडिकल जर्नल द लांसेट इंफेक्शियस डिजीज में छपे एक अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने 2020 और 2021 में ब्राजील के दो लाख लोगों के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों का अध्ययन किया. ब्राजील में कोविड से अमेरिका के बाद दुनिया में सर्वाधिक मौतें हुई हैं.
यही बनेगी दुनिया की ढाल
अपने अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों को पहले ही कोविड हो चुका था उन्हें फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ने कोविड के कारण अस्पताल जाने या मौत से बचाने में 90 प्रतिशत तक प्रतिरोध क्षमता दी. चीन की कोरोनावैक के लिए यह आंकड़ा 81 प्रतिशत था और जॉनसन एंड जॉनसन की एक ही टीके वाली खुराक के लिए 58 फीसदी.
फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ मातो ग्रोसो दो सल के शोधकर्ता हूलियो क्रोडा कहते हैं, "इन चारों वैक्सीन ने कोरोना वायरस के प्रति उन लोगों को अतिरिक्त सुरक्षा दी जिन्हें पहले कोविड हो चुका था." इस अध्ययन पर टिप्पणी करते हुए भारत के ‘ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट' के प्रमोद कुमार गर्ग कहते हैं कि कुदरती तौर पर कोविड से पैदा हुई शारीरिक क्षमता और वैक्सीन से मिली इम्युनिटी के कारण बनी मिश्रित प्रतिरोध क्षमता ही इस वायरस से लंबी अवधि में बचाने में तो काम आएगी ही, अन्य उभरते वायरसों से भी सुरक्षा देगी.
कहां से आई कोरोना महामारी: कुछ सवालों के जवाब
इसी तरह का एक अध्ययन स्वीडन में हुआ है जहां अक्टूबर 2021 तक देश में कोविड के मरीजों के आंकड़ों पर अध्ययन किया गया. इस अध्ययन में पता चला कि जो लोग कोविड से ठीक हो गए थे उनके अंदर कोविड के प्रति अगले 20 महीने तक ज्यादा बचाव क्षमता थी. और जिन लोगों में दो वैक्सीन खुराकोंके कारण हाईब्रिड इम्युनिटी पैदा हो चुकी थी उन्हें दोबारा संक्रमण होने का खतरा 66 फीसदी तक कम था.
ओमिक्रॉन पर कितना असर?
इंग्लैंड की ईस्ट एंगेलिया यूनिवर्सिटी में मेडिसिन पढ़ाने वाले प्रोफेसर पॉल हंटर कहते हैं कि 20 महीने की सुरक्षा अच्छी-खासी है. प्रोफेसर हंटर इस अध्ययन में शामिल नहीं थे. उन्होंने कहा, "कुदरती तौर पर 20 महीने की इम्युनिटी तो उससे कहीं बेहतर है जिसकी हमने दो खुराकों से उम्मीद लगाई थी." हालांकि प्रोफेसर हंटर ने स्पष्ट किया कि दोनों ही अध्ययन ओमिक्रॉन वेरिएंटके आने से पहले किए गए थे और इस नए वेरिएंट ने "पिछले वायरस से मिली सुरक्षा में खासी कमी कर दी है."
कतर में छपे एक अन्य अध्ययन में ओमिक्रॉन पर हाईब्रिड इम्युनिटी के असर के बारे में कुछ जानकारी दी गई है. प्रकाशन से पहले अन्य विशेषज्ञों की टिप्पणियों के लिए मेडआरएक्सआईवी वेबसाइट पर छपे इस अध्ययन में कहा गया है कि वैक्सीन की खुराक ने बीए2 ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ 52 प्रतिशत तक प्रतिरोक्ष क्षमता पैदा की. लेकिन जिन लोगों को कोविड हो चुका था उनके लिए यह प्रतिरोध क्षमता 77 फीसदी तक पाई गई.
वीके/एए (एएफपी)