भारत भी बढ़ा रहा पर्यटन से होने वाला कार्बन उत्सर्जन
एक नए अध्ययन में सामने आया है कि दुनियाभर में पर्यटन से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में भारत का बड़ा योगदान है. 2009 से 2019 तक पर्यटन उत्सर्जन में हुई बढ़ोतरी में भारत, अमेरिका और चीन की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी थी.
आय के साथ बढ़ा पर्यटन पर खर्च
'नेचर कम्युनिकेशन्स' पत्रिका में छपे इस अध्ययन के मुताबिक भारत समेत इन तीनों देशों का पर्यटन उत्सर्जन में योगदान उनकी आबादी और पर्यटन में बढ़ोतरी की वजह से है. ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि विशेष रूप से भारत और चीन में आय के स्तर का बढ़ना भी इसका कारण हो सकता है.
अन्य क्षेत्रों से ज्यादा उत्सर्जन करता है पर्यटन
इस अध्ययन के लिए 2009 से 2019 तक 175 देशों में अंतरराष्ट्रीय और देश के अंदर की गई यात्राओं का अध्ययन किया गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि पर्यटन से होने वाला ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वैश्विक अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले दोगुना से भी ज्यादा गति से बढ़ रहा है.
एक कार्बन इंटेंसिव क्षेत्र
पर्यटन एक कार्बन इंटेंसिव यानी काफी कार्बन उत्पादन करने वाला क्षेत्र है. पर्यटन की वजह से कमाए जाने वाले हर डॉलर ने 2019 में 1.02 किलो ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन किया. यह सेवा क्षेत्र के मुकाबले चार गुना ज्यादा और वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुकाबले 30 प्रतिशत ज्यादा है.
अमेरिकी पर्यटकों का उत्सर्जन सबसे ज्यादा
नतीजे दिखा रहे हैं कि वैश्विक पर्यटन उत्सर्जन इस अवधि में 3.5 प्रतिशत बढ़ कर 5.2 गीगाटन हो गया. यह 2019 में कुल वैश्विक उत्सर्जन का 8.8 प्रतिशत है. इसमें अलग अलग देशों का अलग अलग योगदान है. 2019 में अमेरिकी पर्यटकों ने 1.0 गीगाटन उत्सर्जन किया, जो उस साल के कुल वैश्विक पर्यटन फुटप्रिंट का 19 प्रतिशत है.
भारत का उत्सर्जन अमेरिका और चीन से काफी कम
2019 में चीन का योगदान 15 प्रतिशत और भारत का योगदान छह प्रतिशत रहा. 2009-2019 के दशक में पिछले दशक के मुकाबले पर्यटन में काफी बढ़ोतरी भी हुई. चीन में इस अवधि में घरेलू पर्यटन पर खर्च 17 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ा और वैश्विक उत्सर्जन को 0.4 गीगाटन बढ़ाया.
घरेलू पर्यटन की भूमिका
इसके मुकाबले इसी अवधि में अमेरिका के घरेलू पर्यटन की वजह से वैश्विक उत्सर्जन 0.2 गीगाटन और भारत की वजह से 0.1 गीगाटन बढ़ा. चीन से दूसरे देश जाने वाले पर्यटकों की वजह से भी उत्सर्जन 0.1 गीगाटन बढ़ा.