अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत की नियुक्ति पर सवाल
४ फ़रवरी २०२२अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के रूप में मनोनीत किए गए मसूद खान इससे पहले पाकिस्तानी कश्मीर के राष्ट्रपति थे. वो अगस्त तक राष्ट्रपति पद पर थे और नवंबर में उन्हें वॉशिंगटन में राजदूत पद के लिए मनोनीत कर दिया गया. लेकिन अमेरिकी सरकार ने अभी तक उनकी नियुक्ति को स्वीकार नहीं किया है.
अमूमन जब कोई देश किसी दूसरे देश में अपने राजदूत की नियुक्ति करता है तो दूसरे देश को इससे संबंधित दस्तावेज भेजे जाते हैं. दूसरा देश दस्तावेजों का अध्ययन कर अपनी अनुमति देता है और तब राजदूत को वहां भेज दिया जाता है. इस अनुमति में अक्सर दो से तीन महीनों का समय लग जाता है.
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राजदूत का विरोध
पाकिस्तान सरकार ने अमेरिकी सरकार को खान के दस्तावेज नवंबर में भेजे थे लेकिन जो बाइडेन प्रशासन ने अभी तक नियुक्ति पर अपनी हामी नहीं दी है. हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने एक बयान में मीडिया को बताया कि सामान्य कूटनीतिक प्रक्रिया के तहत मंत्रालय विदेशी सरकारों द्वारा भेजे गए राजदूतों के दस्तावेजों के मामले पर टिप्पणी नहीं करता है.
हालांकि रिपब्लिकन नेता और पेंसिल्वेनिया राज्य से अमेरिकी सीनेट के सदस्य स्कॉट पेरी ने बाइडेन प्रशासन से खान की नियुक्ति को खारिज कर देने के लिए कहा है. पेरी ने प्रशासन से दरख्वास्त की है कि वो पाकिस्तान सरकार को एक "जिहादी" को वॉशिंगटन में अपने राजदूत के रूप में भेजने की अनुमति ना दे.
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मसूद खान 1980 से ले कर 2005 तक पाकिस्तानी की राजनयिक सेवा के अधिकारी थे. इस दौरान उन्होंने चीन में और संयुक्त राष्ट्र में भी पाकिस्तान के राजदूत समेत कई पदों पर काम किया. 2016 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने खान को पाकिस्तानी कश्मीर का राष्ट्रपति बनाने का फैसला लिया जिसके बाद पाकिस्तानी कश्मीर की विधान सभा ने उन्हें राष्ट्रपति चुन लिया था.
कौन हैं मसूद खान
उन्हें भारतीय कश्मीर के लोगों के खुद अपना दर्जा तय करने के अधिकार का प्रबल समर्थक माना जाता है. संयुक्त राष्ट्र में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई बार संयुक्त राष्ट्र में यह मुद्दा उठाया. 2013 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव बान की मून की पाकिस्तान यात्रा आयोजित करने में अहम् भूमिका निभाई थी.
उस यात्रा के दौरान बान की मून ने नवाज शरीफ से कश्मीर मसले पर विस्तृत चर्चा की थी और उसके बाद उस मसले पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश भी की थी. पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि भारत वॉशिंगटन में खान की नियुक्ति के रास्ते में बाधा डाल रहा है. भारत के विदेश मंत्रालय ने इस आरोप को खारिज करते हुए इसे बेतुका बताया है.
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लेकिन अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों के एक समूह एफआईआईडीएस ने एक बयान में खान को आतंकवादियों का समर्थक बताया है और बाइडेन प्रशासन से उनकी नियुक्ति को ठुकरा देने की अपील की है.