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समाज

"लव जिहाद" कानून की संवैधानिकता को परखेगा उच्चतम न्यायालय

६ जनवरी २०२१

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को "लव जिहाद" कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. इस मामले पर कोर्ट ने कानून पर तुरंत रोक लगाने से इनकार किया है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया.

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तस्वीर: Hrishikesh Sathawane

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अध्यादेश लाकर प्रदेश में तथाकथित "लव जिहाद" को रोकने के लिए कानून बनाया था. इस कानून के बनने के बाद ही गैरकानूनी रूप से धर्मांतरण का आरोप लगाकर कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. एक दो मामले में तो हाईकोर्ट धर्म बदलकर शादी करने वाले जोड़ों को राहत दे चुकी है.

बुधवार 6 जनवरी को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विवाह के लिए धर्म परिवर्तन के खिलाफ बनाए गए "लव जिहाद "कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सु्प्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने कुछ याचिकाकर्ताओं और एक एनजीओ सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) की याचिका पर सुनवाई करते हुए कानून पर तो रोक नहीं लगाई लेकिन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को नोटिस जारी किया है. अंतरधार्मिक विवाह के कारण होने वाले धर्मांतरण के खिलाफ बने कानून की उसने समीक्षा पर सहमति व्यक्त की है. 

बेंच ने हालांकि उन कानूनों के प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया जिनके लिए विवाह के लिए धर्म परिवर्तन की पहले से इजाजत जरूरी होती है, सुप्रीम कोर्ट अब कानूनों की संवैधानिकता को परखेगा. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस कानून का दुरुपयोग किसी को भी गलत तरीके से फंसाने के लिए किया जा सकता है. लाइव लॉ के मुताबिक सीजेपी की ओर से पेश वकील चंद्र उदय सिंह ने कहा कि विवाह के लिए धर्म परिवर्तन की पूर्व इजाजत "दमनकारी" है और विवाह करने की पूर्व अनुमति बिल्कुल "अप्रिय" है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि कानून लागू होने के बाद यूपी पुलिस ने कई बेगुनाह को गिरफ्तार किया है.

Schmuck an der Hand einer frisch verheirateten, einheimischen Frau, Indien
कानून के आलोचक इसे निजता का हनन बताते हैं. तस्वीर: picture-alliance

हालांकि सुनवाई के शुरुआत में ही बेंच ने याचिकाकर्ताओं से राज्यों के हाई कोर्ट में जाने को कहा था. वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट पहले से ही सुनवाई कर रहा है.

सख्त कानून

उत्तराखंड में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 कानून लागू है. इसके तहत लालच, छल-कपट, बल, खरीद-फरोख्त या अन्य किसी प्रभाव से शादी के लिए जबरन धर्मांतरण के खिलाफ प्रावधान हैं. अधिनियम की धारा 6 के मुताबिक धर्म परिवर्तन के एकमात्र उद्देश्य के लिए की कई शादी किसी भी पक्ष की तरफ से दायर याचिका पर शून्य घोषित की जा सकती है. वहीं बात उत्तर प्रदेश के कानून की जाए तो वहां शादी के लिए लालच, धोखा या जबरन धर्म बदलवाने पर 10 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. यूपी सरकार की दलील है कि इस कानून का मकसद महिलाओं को सुरक्षा देना है, लेकिन कानून के आलोचक इसे संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 25 के तहत धर्म की आजादी के तहत निजता के अधिकार में अतिक्रमण बताते हैं. 

बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश में पिछले साल दिसंबर में तथाकथित लव जिहाद पर कानून बनाया गया है. कर्नाटक, हरियाणा और असम ने अंतरधार्मिक विवाह को रोकने के लिए इसी तरह का कानून बनाने का फैसला किया है.

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