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क्या भारत में निजी कंपनियां भी करेंगी परमाणु ऊर्जा में निवेश

२१ फ़रवरी २०२४

एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत सरकार जल्द ही निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के लिए निमंत्रण देगी. यह पहली बार होगा जब देश में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश की अनुमति दी जाएगी.

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परमाणु ऊर्जा संयंत्र
भारतीय कानून के तहत निजी कंपनियां परमाणु ऊर्जा संयंत्र बना नहीं सकती हैंतस्वीर: Nathan G/EPA/picture alliance

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दो सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा है कि सरकार निजी कंपनियों से इस क्षेत्र में करीब 2,156 अरब रुपयों के निवेश की उम्मीद कर रही है. इस समय भारत में कुल बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी दो प्रतिशत से भी कम है.

उम्मीद की जा रही है कि देश इस निवेश की मदद से 2030 तक कुल इन्सटाल्ड बिजली उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधनों से बनी बिजली की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत करने के लक्ष्य को हासिल कर पाएगा. इस मामले में सीधे तौर पर शामिल दोनों सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार कम से कम पांच निजी कंपनियों से बात कर रही है.

बनाना, चलाना नहीं करेंगी कंपनियां

इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा पावर, अदाणी पावर और वेदांता लिमिटेड शामिल हैं. इनमें से हर कंपनी करीब 440 अरब रुपयों का निवेश करेगी. केंद्रीय एटॉमिक ऊर्जा विभाग (डीएई) और सरकारी कंपनी परमाणु ऊर्जा निगम (एनपीसीआईएल) ने पिछले एक साल में इन कंपनियों से कई बार बातचीत की है.

गैर-जीवाश्म ईंधनों से बनी बिजली
भारत ने 2030 तक कुल इन्सटाल्ड बिजली उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधनों से बनी बिजली की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा हैतस्वीर: Anupam Nath/AP/picture alliance / ASSOCIATED PRESS

डीएई, एनपीसीआईएल, टाटा पावर, रिलायंस इंडस्ट्रीज, अदाणी पावर और वेदांता ने रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया. सूत्रों ने यह भी बताया कि सरकार को उम्मीद है कि इस निजी निवेश की बदौलत वह 2040 तक 11,000 मेगावाट नई परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल कर लेगी.

एनपीसीआईएल ही भारत के मौजूदा परमाणु संयंत्रों की मालिक है और उन्हें चलाती है. इनकी कुल मिलाकर उत्पादन क्षमता 7,500 मेगावाट है. कंपनी इसके अतिरिक्त 13,000 मेगावाट उत्पादन के लिए निवेश आवंटित भी कर चुकी है. सूत्रों के मुताबिक निजी निवेश की फंडिंग योजना के तहत निजी कंपनियां ही संयंत्रों में निवेश करेंगी, भूमि और जल का अधिग्रहण करेंगी और संयंत्रों के रिएक्टर परिसर से बाहर निर्माण भी करेंगी.

लेकिन इन संयंत्रों को बनाने और चलाने और इनके ईंधन के प्रबंधन का अधिकार एनपीसीआईएल के पास ही रहेगा, जैसा की कानूनी प्रावधान है. निजी कंपनियां से उम्मीद की जा रही है कि वो संयंत्रों की बिजली की बिक्री से राजस्व कमाएंगी और एनपीसीआईएल शुल्क लेकर इन संयंत्रों को चलाएगी.

क्या कहता है कानून

अमेरिकी बहुराष्ट्रीय ऑडिट कंपनी प्राइसवॉटरहाउसकूपर्स के साथ पूर्व में काम कर चुकीं ऊर्जा क्षेत्र में स्वतंत्र कंसलटेंट चारूदत्ता पालेकर कहती हैं, "परमाणु ऊर्जा परियोजना विकास का यह हाइब्रिड मॉडल परमाणु ऊर्जा को बढ़ाने का एक मौलिक समाधान है."

कितने सुरक्षित हैं नई पीढ़ी के छोटे मॉड्युलर रिएक्टर

दोनों सूत्रों में से एक ने बताया इस योजना के लिए भारत के परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 में कोई संशोधन लाने की जरूरत नहीं होगी, लेकिन डीईए से हरी झंडी की जरूरत पड़ेगी. भारतीय कानून के तहत निजी कंपनियां परमाणु ऊर्जा संयंत्र बना नहीं सकती हैं, लेकिन पुर्जों और उपकरणों की सप्लाई कर सकती हैं और रिएक्टरों के बाहर के इलाके में काम के लिए निर्माण अनुबंध कर सकती हैं.

भारत कई सालों से परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाया है. इसका मुख्य कारण रहा है परमाणु ईंधन हासिल कर पाने में अक्षमता. लेकिन 2010 में भारत ने रीप्रोसेस किए हुए परमाणु ईंधन की सप्लाई के लिए अमेरिका के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे.

भारत के कड़े परमाणु मुआवजा कानूनों की वजह से जनरल इलेक्ट्रिक और वेस्टिंगहाउस जैसी ऊर्जा संयंत्र बनाने वाली विदेशी कंपनियों के साथ बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई है. भारत ने 20,000 मेगावाट परमाणु ऊर्जा बढ़ाने के लक्ष्य को 2020 से 2030 तक आगे खिसका दिया है.

सीके/एए (रॉयटर्स)