लोकसभा चुनाव: क्यों जरूरी हैं मतदान के सही आंकड़े
१७ मई २०२४चुनाव आयोग ने गुरुवार, 16 मई को जानकारी दी कि अभी तक हुए मतदान के चारों चरणों में कुल मिलाकर करीब 45 करोड़ लोगों (66. 95 प्रतिशत) ने मतदान किया है. चौथे चरण से पहले विपक्षी पार्टियों, कई पत्रकारों और चुनाव प्रक्रिया के जानकारों ने सवाल उठाया था कि आयोग हर चरण के मतदान प्रतिशत के आंकड़े जारी करने में ज्यादा समय क्यों ले रहा है.
छेड़छाड़ के आरोप
शुरू के दो चरणों में मतदान खत्म होने के बाद और उसके अगले दिन आयोग ने मतदान प्रतिशत का जो तात्कालिक आंकड़ा दिया था उसे बाद में आयोग ने काफी बढ़ा दिया. जानकारों का कहना था कि तात्कालिक और अंतिम आंकड़ों में एक या दो प्रतिशत का अंतर रहता है कि लेकिन यहां तो आंकड़े पांच प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ गए थे.
जानकारों के तीन सवाल थे - पहला, आयोग आंकड़े जारी करने में ज्यादा समय क्यों ले रहा है, दूसरा, तात्कालिक और अंतिम आंकड़ों में ज्यादा अंतर क्यों है और तीसरा, आयोग मतदान प्रतिशत के साथ साथ डाले गए मतों की संख्या कब जारी करेगा.
अब जाकर आयोग ने मतों की संख्या जारी तो की है लेकिन हर निर्वाचन क्षेत्र की संख्या की जगह एक सम्मिलित आंकड़ा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पहले ही इन चिंताओं को लेकर इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियों को एक चिट्ठी लिखी थी.
उन्होंने चिट्ठी में लिखा था कि ऐसा लग रहा है कि चुनाव के नतीजों से छेड़छाड़ की जा रही है. चुनाव आयोग ने खरगे की चिट्ठी का खुद ही संज्ञान लेते हुए खरगे के आरोपों को नकार दिया था. आयोग ने कहा था कि तात्कालिक आंकड़ा एक अनुमान होता है.
सुप्रीम कोर्ट में मामला
मतदान अमूमन छह बजे बंद हो जाता है लेकिन अगर मतदाता उससे पहले मतदान केंद्र में घुस गए तो जब उनमें से सभी जब अपना अपना वोट डाल देंगे, मतदान उसके बाद ही बंद होगा. ऐसे केंद्रों से सही जानकारी दिल्ली तक आने में समय लग जाता है.
लेकिन इस बीच यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एडीआर ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है.
एडीआर ने अदालत से अपील की है कि वो आयोग को मतदान पूरा होने के 48 घंटों के अंदर अंदर हर मतदान केंद्र में हुए मतदान का आंकड़ा अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई मंजूर कर ली है.