तालाबंदी में मजदूरों की जद्दोजहद
३ अप्रैल २०२०प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तालाबंदी की घोषणा के बाद लाखों प्रवासी मजदूर किसी तरह से बसों में घुसकर, कई दिनों तक पैदल चलकर अपने पैतृक गांव तक पहुंचे. लेकिन 1.3 अरब की आबादी वाले देश में कई मजदूर जिनमें दिहाड़ी मजदूर भी शामिल हैं, ट्रेनों के रुकने की वजह से फंस गए. मुंबई के भिवंडी में हथकरघा कपड़ा उद्योग के श्रमिक भी इसी तरह से फंस गए हैं. लॉकडाउन को एक हफ्ते से अधिक हो गया है, कई प्रवासी मजदूर मुफ्त भोजन के सहारे किसी तरह से गुजारा कर रहे हैं. कंपनियों, मिल मालिकों या स्थानीय प्रशासन की तरफ से प्रवासी मजदूरों को दिन में दो बार भोजन दिए जा रहे हैं.
एक बंद पड़े गेस्ट हाउस के बाहर दर्जनों मजदूर इकट्ठा होकर दोपहर के भोजन के लिए आपस में धक्का-मुक्की कर रहे हैं. इन मजदूरों को प्लास्टिक के थैले में रोटी और सब्जी दी जा रही है. अपनी प्यास बुझाने के लिए वे नल के पानी को पी रहे हैं. कुछ मजदूरों का हाल यह कि उन्होंने कई दिनों से स्नान तक नहीं किया है क्योंकि उनके पास साबुन खरीदने तक के पैसे नहीं है. यही नहीं कुछ मजदूर शौच भी खुले में कर रहे हैं क्योंकि शौचालय के इस्तेमाल के लिए पैसे देने पड़ते हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स से उत्तर प्रदेश के रहने वाले मिल कर्मचारी मायाराम तिवारी कहते हैं, "या तो आप ट्रेनों को शुरू करें या फिर लॉकडाउन समाप्त करें जिससे हम काम कर सकें.”
तालाबंदी की वजह से ट्रेनें बंद हैं और राज्यों की सीमाएं सील हैं. सरकार का कहना है कि तालाबंदी घनी आबादी वाले देश में जरूरी है जहां सार्वजनिक अस्पतालों पर पहले से अधिक भार है. भिवंडी में कर्मचारियों का कहना है कि पुलिस दिन में कई बार आती है यह देखने के लिए कि तालाबंदी का पालन हो रहा है कि नहीं. कुछ मजदूर कपड़ा मिल में ही सो रहे हैं.
इलाके के डिप्टी पुलिस कमिश्नर राजकुमार शिंदे का कहना है कि स्थानीय अधिकारियों ने उन्हें आश्वस्त किया है कि मजदूरों की देखभाल ठीक तरीके से हो रही है और सामुदायिक रसोई स्थापित की जा रही है जिससे मजदूरों के भोजन का इंतजाम किया जा सके. पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर गिरिधर बाबू कहते हैं कि तालाबंदी जरूरी थी. वह कहते हैं, "मैं नहीं कह रहा कि कुछ लोगों को टाइफाइड हो जाए. लेकिन अगर लॉकडाउन नहीं होता तो और अधिक लोगों की मौत हो जाती .” बाबू कहते हैं कि उन्हें लगता है कि लॉकडाउन की वजह से पूरे समुदाय को लाभ मिला है.
एए/सीके (रॉयटर्स)
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