फुकुशिमा का रेडियोधर्मी पानी छोड़ने पर सरकार के दो विकल्प
२३ दिसम्बर २०१९जापान के आर्थिक और उद्योग मंत्रालय ने एक प्रस्ताव तैयार किया है, जिसके तहत रेडियोधर्मी पानी को धीरे-धीरे या भाप की तरह छोड़ने की योजना है. साल 2011 में फुकुशिमा परमाणु संयंत्र सुनामी और भूकंप की चपेट में आ गया था. सोमवार को इस प्रस्ताव को पहली बार विशेषज्ञों के सामने पेश किया गया. फुकुशिमा संयंत्र ने एक हजार टैंकों में 10 लाख लीटर से ज्यादा पानी जमा करके रखा है. संयंत्र को संचालित करने वाली कंपनी के पास रेडियोधर्मी पानी रखने की और जगह नहीं बची है. कंपनी के ऊपर जनता का भी दबाव है कि वह जल्द से जल्द रेडियोधर्मी पानी का निपटारा करे.
फुकुशिमा त्रासदी के करीब नौ साल पूरे हो रहे हैं. लेकिन अब भी अधिकारी इस बात पर सहमत नहीं हो सके हैं कि इस रेडियोधर्मी पानी का क्या किया जाए. भूकंप के बाद आपदा में फुकुशिमा दाई ची परमाणु संयंत्र के तीन रिएक्टर पिघल गए थे. इसके बाद रिएक्टर से रेडियोधर्मी पानी रिस कर संयंत्र के पास भूजल और बारिश के पानी में मिल गया. रेडियोधर्मी पानी अब भी आस-पास रिस रहा है.
बीते कई वर्षों से सरकारी पैनल इस संकट से निपटने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहा है. इसके अलावा स्थानीय लोग और मछुआरे इलाके की छवि और संभावित स्वास्थ्य नुकसान को भी लेकर चिंतित नजर आते हैं. प्रस्ताव के मसौदे में मंत्रालय ने जो विकल्प दिए हैं, उसमें प्रशांत महासागर में नियंत्रित रूप से रेडियोधर्मी पानी को छोड़ना या उसे भाप बनाकर छोड़ना शामिल है. प्रस्ताव में एक या दोनों विकल्पों के बारे में विचार करने के बारे में कहा गया है.
मंत्रालय के मुताबिक महासागर में नियंत्रित रूप से पानी छोड़ने का विकल्प सबसे बेहतर है, क्योंकि प्लांट से पानी स्थिरतापूर्वक और फैलाव के साथ जाएगा. उसके मुताबिक संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने भी इस प्रक्रिया का समर्थन किया है. इसके अलावा इस प्रक्रिया के तहत पर्यावरण में रेडिएशन के स्तर की निगरानी की भी सुविधा मिलेगी. प्रस्ताव में मंत्रालय ने इस बात को माना है कि भाप बनाकर रेडियोधर्मी पानी उड़ाना जांची और सिद्ध प्रणाली है. सरकार और संयंत्र को संचालित करने वाली कंपनी टोक्यो इलेक्ट्रिक पॉवर कंपनी दस लाख रेडियोधर्मी पानी को साफ कर अब तक जमा कर रखा है. स्थानीय मछुआरे और लोग पानी को महासागर में छोड़ने का विरोध करते आए हैं. उनका कहना है कि इससे फुकुशिमा की छवि और खराब हो जाएगी.
दूसरी ओर कंपनी का कहना है कि उसके पास 2022 तक 13 लाख 70 हजार लीटर पानी रखने की ही क्षमता है. इसके साथ ही आशंका इस बात की बढ़ जाती है कि कंपनी अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक के बाद पानी महासागर में छोड़ सकती है. फुकुशिमा संयंत्र का दौरा कर चुके विशेषज्ञों, जिनमें अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के लोग भी शामिल हैं, कह चुके हैं कि नियंत्रित ढंग से पानी का छोड़ना ही एक वास्तविक विकल्प है, हालांकि इसमें दशकों का समय लगेगा.
एए/ओएसजे (एपी)
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