पत्नी से रेप पर कर्नाटक हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
२४ मार्च २०२२कर्नाटक हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा कि एक व्यक्ति केवल इसलिए दुष्कर्म के मुकदमे से बच नहीं सकता क्योंकि पीड़िता उसकी बीवी है. बेंच ने कहा यह समानता के अधिकार के खिलाफ है. कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा, "एक पुरुष एक पुरुष है, एक कृत्य एक कृत्य है; बलात्कार एक बलात्कार है, चाहे वह पुरुष 'पति' द्वारा 'पत्नी' पर किया जाए."
दरअसल हाईकोर्ट की बेंच ने बलात्कार के मामले को खारिज करने की पति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की और उसने बलात्कार के आरोपों को हटाने से इनकार कर दिया.
हाईकोर्ट ने कहा कि सांसदों को "चुप्पी की आवाज" पर ध्यान देना चाहिए और कानून में असमानताओं को दूर करना चाहिए.
साथ ही हाईकोर्ट ने कहा, "सदियों पुरानी सोच है कि पति अपनी पत्नियों के शासक होते हैं, उनके शरीर, उनके मन और आत्मा के. इस सोच को मिटा दिया जाना चाहिए." हाईकोर्ट ने कहा कि इस मान्यता को बदलने की जरूरत है. उसने कहा महिलाओं के साथ अन्याय के मामले में सख्त कदम उठाने की जरूरत है.
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"मैरिटल रेप के गंभीर परिणाम"
हाईकोर्ट ने मैरिटल रेप के बढ़ते मामलों पर कहा कि पति की ओर से अपनी बीवी पर यौन हमले के गंभीर परिणाम होते हैं. इसका पत्नी पर मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दोनों पर प्रभाव पड़ता है.
कर्नाटक हाई कोर्ट में आरोपी पति की ओर से दायर याचिका में पत्नी द्वारा उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करने के बाद आईपीसी की धारा 376 के तहत उसके खिलाफ लंबित बलात्कार के आरोपों को हटाने की मांग की गई थी. हालांकि हाईकोर्ट ने पति को कोई राहत नहीं दी और उसे सुनवाई का सामना करने को कहा.
आईपीसी की धारा 375 जो बलात्कार को परिभाषित करती है, उस धारा के तहत प्रावधान किसी व्यक्ति द्वारा उसकी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौन कार्य को बलात्कार के अपराध से छूट देता, बशर्ते पत्नी की उम्र 18 साल से कम न हो.
दिल्ली हाईकोर्ट भी केंद्र सरकार से मैरिटल रेप के मामले में इसी साल अपना रुख साफ करने को कह चुका है.