18वीं लोकसभा के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी
प्रकाशित ४ जून २०२४आखिरी अपडेट ४ जून २०२४आपके लिए अहम जानकारी
कुल 500 सीटों के नतीजे साफ, बीजेपी ने जीती 240 सीटें, कांग्रेस 99 पर
गठबंधन पार्टियों के साथ बहुमत के पार पहुंचा बीजेपी का आंकड़ा
कांग्रेस-नीत इंडिया गठबंधन को कुल 233 सीटों पर मिली जीत
लोकसभा चुनाव 2024: किसे मिली कितनी सीटें
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे: किस पार्टी को मिले कितने फीसदी वोट
विरोधी मिलकर भी बीजेपी के जितनी सीटें नहीं जीत पाए: पीएम मोदी
लोकसभा चुनाव के नतीजे तकरीबन साफ होने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता का शुक्रिया अदा किया है. खबर लिखे जाने तक बीजेपी 198 सीटें जीत चुकी है और 42 पर आगे चल रही है. वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाला गठबंधन आसानी से बहुमत का आंकड़ा पार करता दिख रहा है. पीएम मोदी ने एनडीए पर तीसरी बार भरोसा जताने के लिए जनता का शुक्रिया अदा किया.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, "देश की जनता जनार्दन ने एनडीए पर लगातार तीसरी बार अपना विश्वास जताया है. भारत के इतिहास में यह अभूतपूर्व पल है. मैं इस स्नेह और आशीर्वाद के लिए अपने परिवारजनों को नमन करता हूं. मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हम नई ऊर्जा, नई उमंग, नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ेंगे. सभी कार्यकर्ताओं ने जिस समर्पण भाव से अथक मेहनत की है, मैं इसके लिए उनका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूं, अभिनंदन करता हूं."
शाम को पीएम मोदी ने बीजेपी कार्यालय पहुंचकर संबोधन दिया. इसमें उन्होंने रेखांकित किया कि बीजेपी के विरोधी एकजुट होकर भी उतनी सीटें नहीं जीत पाए, जितनी बीजेपी ने अकेले जीती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मां के निधन के बाद यह उनका पहला चुनाव था, लेकिन देश की जनता ने उन्हें मां की कमी नहीं खलने दी.
कर्नाटक में 2019 की सफलता नहीं दोहरा पाई बीजेपी, फिर भी कांग्रेस से आगे
अमूमन त्रिकोणीय मुकाबला दिखाने वाले कर्नाटक में बीजेपी इस बार भी आगे रही, लेकिन उसे पिछली बार जैसे एकतरफा नतीजे नहीं मिले. कर्नाटक की सभी 28 लोकसभा सीटों के परिणाम आ गए हैं. इनमें बीजेपी ने 17, कांग्रेस ने नौ और जेडी(एस) ने दो सीटों पर जीत दर्ज की है. जेडी(एस) ने इस बार बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में रहकर चुनाव लड़ा.
नतीजों से पहले एग्जिट पोल में बीजेपी को कम से कम 20 से 25 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था. सर्वे में इंडिया गठबंधन को 3 से 5 सीटें मिलने का आकलन किया गया था. हालांकि, इंडिया गठबंधन के लिए नतीजे बहुत उत्साहजनक भले न रहे हों, लेकिन बीजेपी को पिछली बार से काफी नुकसान हुआ है. 2019 के चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 28 में से 26 सीटें जीती थीं, जिनमें से 25 अकेले बीजेपी ने हासिल की थीं.
यौन उत्पीड़न केस: सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर कैसे हुआ खुलासा
कर्नाटक में इस बार पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना के कथित अश्लील वीडियो सामने आने का मामला गर्म रहा. एनडीए ने उन्हें हासन सीट से उम्मीदवार बनाया था, जहां वह कांग्रेस के उम्मीदवार श्रेयस पटेल से 42,649 वोटों से चुनाव हार गए हैं. सियासी लिहाज से कर्नाटक दक्षिण का द्वार माना जाता है, जहां विधानसभा में कांग्रेस की सरकार है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की प्रेस कॉन्फ्रेंस
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों को जनता और लोकतंत्र की जीत बताया. खरगे ने फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा, "यह जनादेश मोदी जी के खिलाफ गया है. यह मोदी जी की नैतिक हार है."
खरगे ने आगे कहा, "कांग्रेस ने सकारात्मक प्रचार अभियान चलाया. हम विनम्रता से जनता के फैसले को स्वीकार करते हैं." मंच पर खरगे के साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी मौजूद हैं. कांग्रेस अध्यक्ष ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को भी श्रेय देते हुए कहा कि "राहुल की यात्राओं से लाखों लोग जुड़े."
प्रेस कॉन्फ्रेंस में संविधान की प्रति लेकर आए राहुल गांधी ने कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह संविधान बचाने की लड़ाई थी. उन्होंने कहा, "मुझे देश के लोगों पर गर्व है. देश ने साफ कर दिया है कि मोदी को नहीं चाहते." यह पूछे जाने पर कि वह रायबरेली और वायनाड दोनों में से किस सीट को छोड़ेंगे, राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने अभी इसका फैसला नहीं किया है.
राजस्थान में बीजेपी को करारा झटका, पिछले चुनाव से तकरीबन आधे पर आई
राजस्थान की 25 में से 10 लोकसभा सीटों पर नतीजे आ चुके हैं. बाकी सीटों के रुझानों को भी मिला लें तो पता चलता है कि राजस्थान की जनता ने इस बार बीजेपी को बड़ा झटका दिया है.
जिन 10 सीटों के नतीजे आए हैं, इनमें से आठ सीटें बीजेपी ने, एक सीट कांग्रेस और एक सीट सीपीआई (एम) ने जीती है. वहीं रुझानों में बीजेपी छह सीटों, कांग्रेस सात सीटों, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी एक सीट और भारतीय आदिवासी पार्टी एक सीट पर आगे चल रही है.
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2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राजस्थान की 25 में से 24 सीटें जीती थीं. वहीं एक सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने जीती थी. इस बार यहां दो चरणों में, 19 और 26 अप्रैल को मतदान हुआ था. बीजेपी को इस बार भी राजस्थान में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन राज्य ने बीजेपी को झटका दिया है.
अहम सीटों की बात करें, तो अजमेर सीट पर बीजेपी के अर्जुन राम मेघवाल आगे चल रहे हैं. जोधपुर से बीजेपी के गजेंद्र सिंह शेखावत आगे हैं. चित्तौड़ से बीजेपी के सीपी जोशी आगे चल रहे हैं. झालावाड़ से बीजेपी के दुष्यंत सिंह आगे चल रहे हैं. बाड़मेर से कांग्रेस के उम्मेद राम बेनीवाल आगे चल रहे हैं. गंगानगर से कांग्रेस के कुलदीप इंदोरा और चुरू से कांग्रेस के ही राहुल कसवान आगे चल रहे हैं.
महाराष्ट्र ने ध्वस्त किए सारे अनुमान, किसी पार्टी को नहीं दिया जोरदार समर्थन
महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों के रुझान बता रहे हैं कि जनता ने किसी भी पार्टी को भरपूर समर्थन नहीं दिया है. शरद पवार की एनसीपी से इतर असल एनसीपी को झटका मिला दिख रहा है, लेकिन अभी कोई भी पार्टी निर्विवाद बढ़त का दावा करने की स्थिति में नहीं है.
चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अभी सिर्फ दो सीटों पर ही अंतिम नतीजे आए हैं. एक सीट शिवसेना (उद्धव गुट) ने जीती है और एक एनसीपी के खाते में गई है. कांग्रेस 12 सीटों, बीजेपी 11 सीटों, एनसीपी (शरद पवार गुट) 7 सीटों और शिवसेना (उद्धव गुट) 6 सीटों पर आगे चल रही है. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने बढ़त बनाई हुई है.
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महाराष्ट्र में एनसीपी में फूट और विवाद का सिलसिला सालभर पहले शुरू हुआ था, जब भतीजे अजीत पवार ने चाचा शरद पवार से टकराव के बाद पार्टी के नेतृत्व पर दावा किया था. उनके साथ जो विधायक एनसीपी से टूटे थे, वे एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में शामिल हो गए थे. अभी लोकसभा चुनाव के रुझानों को इस तरह देखा जा रहा है कि जनता ने एनसीपी के नेतृत्व को लेकर फैसला सुना दिया है.
आयोग के आंकड़ों के मुताबिक एनसीपी (पवार गुट) की सुप्रिया सुले बारामती सीट पर आगे चल रही हैं. बीजेपी के नितिन गडकरी नागपुर सीट से आगे चल रहे हैं. मुंबई उत्तर से पीयूष गोयल भी आगे चल रहे हैं.
एग्जिट पोल में बीजेपी को महाराष्ट्र में 20-22 सीटें जीतने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन रुझान इससे काफी अलग हैं. पिछले चुनाव की बात करें, तो 2019 में बीजेपी ने 48 में से 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उसने 23 सीटें जीती थीं. शिवसेना ने 23 सीटों पर लड़कर 18 सीटें जीती थीं. कांग्रेस और एनसीपी ने क्रमश: 25 और 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था. एनसीपी ने 4 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को महज 1 सीट से संतोष करना पड़ा था.
इन 5 राज्यों ने बीजेपी को दिया सबसे बड़ा झटका
उत्तर प्रदेश
बीजेपी की जीत में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश ने इस बार उसे करारा झटका दिया है. बीजेपी ने यहां 2014 में 71 और 2019 में 62 सीटें अकेले अपने दम पर जीती थी. फिलहाल राज्य की केवल 36 सीटों पर ही बीजेपी आगे चल रही है. यहां तक कि फैजाबाद सीट पर भी बीजेपी पीछे चल रही है. समाजवादी पार्टी ने यहां बड़ी जीत हासिल की है और कांग्रेस पार्टी ने भी उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है.
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में हुई राजनीतिक उठापटक से भी बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचा है. एक तरफ जहां उसकी सीटें घटी हैं वहीं उसके सहयोगी दलों का भी बुरा हाल है. 2019 में यहां बीजेपी को 23 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन फिलहाल यहां की सिर्फ 12 सीटों पर ही उसके उम्मीदवार आगे चल रहे हैं.
राजस्थान
पिछले दो बार से राजस्थान के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी का परचम लहरा रहा था. इस बार यह किला भी ढह गया है. 2019 में राजस्थान की 24 सीटें जीतने वाली बीजेपी के उम्मीदवार इस बार सिर्फ 14 सीटों पर आगे हैं.
हरियाणा
हरियाणा ने भी बीजेपी को काफी निराश किया है. हालांकि इसके कयास पहले से ही लग रहे थे. हाल ही में पार्टी ने यहां अपना मुख्यमंत्री भी बदला था लेकिन फिर भी कोई खास फायदा नहीं हुआ. 2019 में यहां 10 सीटें जीतने वाली बीजेपी की सिर्फ पांच सीटों पर ही बढ़त दिख रही है. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरल लाल खट्टर ने जरूर एक लाख से ज्यादा मतों की बढ़त बना रखी है.
कर्नाटक
दक्षिण भारत में कर्नाटक ने ही सबसे पहले कमल खिलाया था. बीजेपी ने यहां प्रदेश की सरकार भी बनाई लेकिन इस बार लोकसभा में दांव उल्टा पड़ गया. पिछली बार बीजेपी ने यहां 25 सीटें अकेले जीती थी. इस बार यह आंकड़ा फिलहाल 16 सीटों पर बढ़त के साथ थमा हुआ है.
पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी के लिए बड़ा उलटफेर नहीं
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश की दोनों लोकसभा सीटों पर बीजेपी आगे है. अरुणाचल पश्चिम की सीट से बीजेपी उम्मीदवार किरेन रिजिजू करीब 96,000 वोटों से आगे हैं. कांग्रेस नेता और प्रत्याशी नबाम तुकी दूसरे स्थान पर हैं.
अरुणाचल पूर्व की सीट से बीजेपी के प्रत्याशी तापिर गाओ, कांग्रेस उम्मीदवार बोसिराम सिराम के मुकाबले 31,000 से ज्यादा मतों से आगे हैं.
मणिपुर
मणिपुर की प्रदेश की दोनों लोकसभा सीटों (बाह्य मणिपुर और आंतरिक मणिपुर) में कांग्रेस आगे हैं. बाह्य मणिपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अल्फ्रेड कनङम एस आर्थर, नागा पीपल्स फ्रंट के कछुई टिमोथी जिमिक से 64,000 से ज्यादा मतों से आगे हैं. मणिपुर आंतरिक सीट पर बीजेपी प्रत्याशी थोनाओजम बसंता कुमार सिंह, कांग्रेस के अंगोमचा बिमोल अकोइजाम के मुकाबले करीब 96 हजार वोटों से पीछे हैं.
मेघालय
मेघालय की दो लोकसभा सीटों में से एक पर कांग्रेस और एक पर वॉइस ऑफ दी पीपल पार्टी आगे है. शिलांग लोकसभा सीट से वॉइस ऑफ दी पीपल पार्टी के उम्मीदवार डॉक्टर रिकी एंड्रयू जे सिनग्कोन साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोटों से आगे हैं. कांग्रेस के विंसेंट एच पाल दूसरे नंबर पर हैं. तुरा सीट पर कांग्रेस के सालेंग ए संगमा, नेशनल पीपल्स पार्टी की अगाथा के संगमा से आगे बने हुए हैं.
सिक्किम
सिक्किम की इकलौती लोकसभा सीट पर सत्तारूढ़ सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के प्रत्याशी इंद्र हांग सुब्बा लगभग 78,000 वोटों से बढ़त बनाए हुए हैं.
त्रिपुरा
त्रिपुरा की दोनों ही लोकसभा सीटों पर बीजेपी बढ़त में है. त्रिपुरा पूर्व सीट से बीजेपी की कृति देवी देबबर्मन और त्रिपुरा पश्चिम से बीजेपी के ही बिप्लव कुमार देब आगे हैं.
असम
प्रदेश की 14 लोकसभा सीटों में बीजेपी आठ पर, कांग्रेस चार पर, यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल एक सीट और असम गण परिषद एक सीट पर आगे है. बारपेटा सीट से असम गण परिषद के फणी भूषण चौधरी और कोकराझार सीट से यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल के प्रत्याशी जोयंता बासुमतारी आगे हैं.
मिजोरम
राज्य की इकलौती लोकसभा सीट पर जोरम पीपल्स मूवमेंट के प्रत्याशी रिचर्ड वनलालह्मांगैया आगे हैं.
नागालैंड
यहां एक लोकसभा सीट है, जहां कांग्रेस के एस सुपोंगमेरेन जमीर आगे चल रहे हैं. नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के डॉक्टर चुंबेन मुरी 48,000 से ज्यादा वोटों से पीछे हैं.
ओडिशा में बीजेपी रच रही इतिहास
बीजेपी ओडिशा में इतिहास बनाने की तरफ बढ़ती हुई नजर आ रही है. ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में बीजेपी बड़ी जीत और बीजेडी बड़ी हार की तरफ बढ़ती नजर आ रही है. ताजा रुझानों के मुताबिक राज्य में लोकसभा की कुल 21 सीटों में से सिर्फ एक सीट पर सत्ताधारी बीजेडी आगे है, जबकि 19 सीटों पर बीजेपी आगे है.
ओडिशा में बदलाव की लहर
ओडिशा विधानसभा की 147 सीटों में से बीजेपी 78 और बीजेडी 52 सीटों पर आगे है. अगर यही रुझान बने रहे तो बीजेपी आसानी से सरकार बना सकती है और अगर ऐसा हुआ तो राज्य में पहली बार बीजेपी सत्ता में आ जाएगी. नवीन पटनायक पिछले 24 सालों से ओडिशा के मुख्यमंत्री हैं.
चंद्रबाबू नायडू की भूमिका क्या होगी
अभी तक के रुझानों में बीजेपी अपने दम पर 245 सीटों पर आगे चल रही है. एनडीए की घटक दल टीडीपी रुझानों में 16 सीटों पर आगे चल रही है. आंध्र प्रदेश में कुल 25 सीटें हैं. एनडीए में बीजेपी के बाद टीडीपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है.
भारतीय मीडिया में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने बात की है. बीजेपी को केंद्र में सरकार बनाने के लिए चंद्रबाबू नायडू का समर्थन चाहिए होगा.
सक्रिय हुआ इंडिया अलायंस
इस बीच इंडिया गठबंधन की स्थिति मजबूत होने पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी सक्रिय हो गए हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि शरद पवार नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संपर्क में हैं. पवार ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के भी संपर्क में बताए जा रहे हैं. हालांकि खुद पटनायक की स्थिति भी इस समय कमजोर है. इस समय उनकी बीजेडी ओडिशा की 21 सीटों में से सिर्फ एक सीट पर आगे चल रही है.
चंद्रबाबू की पार्टी ने आंध्र विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है. टीडीपी विधानसभा की कुल 175 सीटों में से 132 पर आगे चल रही है. मौजूदा घटनाक्रम को देख कर लग रहा है कि नायडू किंगमेकर की स्थिति में रह सकते हैं. बल्कि जिस तरह से दोनों गठबंधन उन्हें अपनी अपनी तरफ करने की कोशिश में लगे हुए हैं, ऐसा भी हो सकता है कि वो किंगमेकर की जगह खुद किंग या प्रधानमंत्री पद के दावेदार बन जाएं.
गलत साबित हुए एग्जिट पोल
अभी तक के रुझान अगर नतीजों में तब्दील हो गए, तो सभी एग्जिट पोल स्पष्ट रूप से गलत साबित होते नजर आएंगे. अलग-अलग एग्जिट पोलों में एनडीए को 342 से 392 सीटें दी गई थीं, लेकिन इस समय जितने भी अनुमान सामने आ रहे हैं, उनमें से किसी में भी एनडीए 300 सीटों पर भी आगे नहीं चल रहा है.
बीजेपी का खराब प्रदर्शन
एग्जिट पोलों में अकेले बीजेपी को 300 के आस पास सीटें दी गई थीं, जबकि चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी इस समय सिर्फ 238 सीटों पर आगे चल रही है, यानी अपने 2019 के प्रदर्शन से भी पीछे. 2019 में बीजेपी को 303 सीटें हासिल हुई थीं.
वहीं इंडिया गठबंधन को एग्जिट पोलों में 125 से 169 सीटें दी गई थीं, लेकिन इस समय निजी अनुमानों के मुताबिक इंडिया गठबंधन 200 से 233 सीटों तक पर आगे चल रहा है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इंडिया गठबंधन की प्रमुख पार्टियों में कांग्रेस 99 सीटों पर, सपा 37, तृणमूल कांग्रेस 32 और डीएमके 21 सीटों पर आगे चल रही हैं.
हरियाणा में बीजेपी पांच सीटों पर आगे
हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में कांग्रेस और बीजेपी पांच-पांच सीटों पर आगे है. कांग्रेस जिन सीटों पर लीड कर रही है, वो हैं: सिरसा, हिसार, रोहतक, गुड़गांव और अंबाला. बीजेपी की बढ़त वाली सीटें हैं: भिवानी-महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र, करनाल और सोनीपत.
मनोहर लाल खट्टर डेढ़ लाख वोटों से आगे
करनाल सीट पर मनोहर लाल खट्टर की बढ़त डेढ़ लाख वोटों तक पहुंच रही है. कांग्रेस के दिव्यांशु बुद्धिराजा दूसरे स्थान पर हैं. चर्चित सीटों में रोहतक सीट पर कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा, बीजेपी उम्मीदवार डॉक्टर अरविंद कुमार शर्मा से डेढ़ लाख वोटों से ज्यादा अंतर से आगे हैं. गुड़गांव सीट पर कांग्रेस नेता राज बब्बर, बीजेपी के राव इंद्रजीत सिंह से आगे हैं. हालांकि, वोटों की बढ़त लगभग 7,000 ही है.
2019 लोकसभा में बीजेपी ने हरियाणा की सभी 10 सीटें जीती थीं. उसका वोट प्रतिशत 58 प्रतिशत था.
नगीना से चंद्रशेखर आजाद लगातार आगे
उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद मतगणना शुरू होने के बाद लगातार बढ़त बनाए हुए हैं. दलित नेता के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाले आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद को मुखर होने की वजह से लगातार धमकियां मिलती रही हैं. साल 2023 में सहारनपुर के देवबंद में उन पर जानलेवा हमला भी हुआ था.
साल 2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलितों और राजपूतों के बीच हुई हिंसामें दलितों के कई घरों को जला दिया गया था और एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी. इस घटना के बाद चंद्रशेखर आजाद की अगुवाई में भीम आर्मी ने दिल्ली के जंतर मंतर पर जबरदस्त प्रदर्शन किया था. चंद्रशेखर आजाद को इस प्रदर्शन के बाद सहारनपुर में जातीय दंगे फैलाने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया था और लगभग 15 महीने बाद साल 2018 में उनकी रिहाई हुई थी.
साल 2020 में उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की दलित लड़की के साथ रेप और हत्या की घटना और कृषि बिल को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन में चंद्रशेखर आजाद किसानों के साथ खड़े नजर आए थे. 15 मार्च 2020 को चंद्रशेखर आजाद ने आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) की औपचारिक रूप से स्थापना की थी.
नहीं चला राम मंदिर का मुद्दा! अयोध्या-फैजाबाद में बीजेपी पीछे
उत्तर प्रदेश की फैजाबाद लोकसभा सीट पर काफी रोचक मुकाबला दिख रहा है. दोपहर 01:30 बजे तक के अपडेट के मुताबिक, फैजाबाद सीट पर बीजेपी के लल्लू सिंह पीछे चल रहे हैं. समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद करीब 10,000 वोटों से आगे हैं.
राम मंदिर का मुद्दा
अयोध्या, जहां जनवरी में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को बीजेपी अपनी बड़ी उपलब्धियों में बताती है, इसी फैजाबाद सीट के अंतर्गत आता है. जनवरी में जब राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का उद्घाटन हुआ, तब कई राजनीतिक विश्लेषकों ने अनुमान लगाया कि चुनाव से कुछ ही महीने पहले हुआ यह भव्य कार्यक्रम बीजेपी को ना केवल फैजाबाद, बल्कि अन्य जगहों पर भी फायदा दिला सकता है.
2019 के लोकसभा चुनाव में लल्लू सिंह ने समाजवादी पार्टी के आनंद सेन को 65 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. कांग्रेस के निर्मल खत्री तीसरे स्थान पर रहे थे. 2014 लोकसभा चुनाव में भी लल्लू सिंह ने समाजवादी पार्टी के मित्रसेन यादव को 2,82,775 वोटों के बड़े अंतर से हराया था.
यूपी में झटका
लोकसभा चुनाव 2024 में अभी तक के रुझान और वोटों की गिनती में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है. वह 36 सीटों पर आगे है. उसकी सहयोगी कांग्रेस आठ सीटों पर आगे है. बीजेपी 32 सीटों पर आगे चल रही है. राष्ट्रीय लोक दल दो सीटों, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) और अपना दल एक-एक सीट पर आगे है. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 62 सीटें और उसके सहयोगी अपना दल को दो सीटें मिली थीं.