घर लौटने से पहले मजदूरों को ट्रेन ने कुचला
८ मई २०२०लॉकडाउन के बाद से मजदूरों का घर जाना नहीं थमा है और वे किसी तरह से अपने घर लौटना चाहते हैं. कोई बस में जा रहा है तो कोई ट्रक या फिर कोई पैदल ही चला जा रहा है. महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में घर जाने के लिए निकले मजदूरों को मालगाड़ी ने कुचल डाला. रेलवे ने इस हादसे की पुष्टि की है. हादसा औरंगाबाद के जालना रेलवे लाइन के पास हुआ है, जिसमें 15 मजदूरों की मौत हो गई है जबकि कुछ मजदूर घायल हुए हैं. औरंगाबाद की एसपी मोक्षदा पाटील ने एक टीवी चैनल को बताया कि जो मजदूर हादसे में बच गए हैं वे अभी बहुत सदमे में हैं. उन्होंने बताया कि मजदूर अपने घरों की ओर जा रहे थे तभी हादसा हुआ.
रेल मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि शुक्रवार तड़के जब लोको पायलट ने कुछ मजदूरों को ट्रैक पर देखा तो मालगाड़ी रोकने की कोशिश की लेकिन इसी दौरान हादसा हो गया. यह हादसा बदनापुर और करमाड स्टेशन के बीच हुआ.
कुछ रिपोर्ट के मुताबिक यह मजदूर स्टील फैक्ट्री में काम करते थे और मध्य प्रदेश में अपने घरों के लिए निकले थे. थकावट की वजह से समूह के कुछ सदस्य ट्रैक पर ही सो गए जबकि कुछ ट्रैक के बगल में सो गए. 21 लोगों का यह समूह 45 किलोमीटर का पैदल सफर पूरा कर चुका था लेकिन इससे पहले ही हादसा हो गया.
जान की कीमत क्या
सेव लाइफ फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान घर लौटने की कोशिश में कम से कम 42 मजदूरों की सड़क हादसों में मौत हो चुकी है. रिपोर्ट में 24 मार्च को लागू लॉकडाउन से लेकर 3 मई तक सड़क हादसों का जिक्र है. इस अवधि के दौरान देश में कुल 140 लोग सड़क हादसे में मारे गए, इसमें 30 फीसदी प्रवासी मजदूर शामिल हैं जो अपने गृह राज्य जाने की कोशिश में पैदल, बसों और ट्रकों में छिपकर जाने की कोशिश में थे. रिपोर्ट के मुताबिक आठ मजदूरों की मौत तेज रफ्तार ट्रक और कारों की टक्कर की वजह से हुई. रिपोर्ट कहती है कि देश में दो चरणों के लॉकडाउन के दौरान 600 सड़क हादसे दर्ज किए गए. 42 मजदूरों के अलावा सड़क हादसों में जरूरी काम में लगे 17 लोगों की भी मौत हुई.
22 अप्रैल को विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि लॉकडाउन की वजह से देश के मजदूरों का जीवन बहुत प्रभावित हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के कारण देश के चार करोड़ प्रवासी मजदूर प्रभावित हुए हैं. रिपोर्ट कहती है कि लॉकडाउन के शुरू होते ही कुछ दिनों के भीतर 50,000-60,000 प्रवासी मजदूर शहरों से ग्रामीण इलाकों में लौट गए. मजदूरों के घर लौटने से कर्नाटक और पंजाब जैसे राज्यों में श्रम संकट भी पैदा हो चुका है. खेत और फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर लौट गए हैं या फिर इसकी योजना बना रहे हैं.
गृह राज्यों में मजदूरों के लौटने से राज्यों की सरकार के सामने रोजगार मुहैया कराने का भी संकट है. यही नहीं कोविड-19 मुक्त इलाकों में संभावित संक्रमण को लेकर भी राज्य सरकार चुनौती के बारे में चिंतित है.
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