नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलिया में उठाया खालिस्तान का मुद्दा
२४ मई २०२३ऑस्ट्रेलिया दौरे पर आये भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया सरकार ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि अलगाववादी तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. पिछले कुछ समय से ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तान समर्थक संगठनों की गतिविधियां बढ़ी हैं, जिनका जिक्र मोदी ने प्रधानमंत्री अल्बानीजी के साथ हुई बैठक में किया.
बैठक के बाद उन्होंने कहा कि अल्बानीजी ने उन्हें हिंदू मंदिरों की सुरक्षा का यकीन भी दिलाया है. मोदी ने बुधवार सुबह ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री से मुलाकात की. इस दौरान दोनों देशों के बीच छात्रों की आवाजाही, कुशल कामगारों को वीजा, ग्रीन हाईड्रोजन तकनीकी में सहयोग और एक-दूसरे की शैक्षणिक डिग्रियों को मान्यता देने संबंधी समझौतों पर दस्तखत भी हुए.
पहली बार ऑस्ट्रेलिया में किसी काउंसिल का मेयर बना भारतीय मूल का व्यक्ति
अल्बानीजी ने कहा कि माइग्रेशन को लेकर हुआ समझौता "छात्रों, कुशल पेशेवरों और शोधकर्ताओं की आवाजाही को सुगम करेगा और मानव तस्करी को रोकने में सहायक होगा." दोनों देश एक ग्रीन हाईड्रोजन टास्क फोर्स बनाने पर भी सहमत हुए हैं.
नरेंद्र मोदी ने कहा, "क्रिकेट की भाषा में, ऑस्ट्रेलिया और भारत के संबंध टी-20 के दौर में पहुंच चुके हैं.”
मंदिरों का मुद्दा
बुधवार की मुलाकात के बाद जारी एक बयान में नरेंद्र मोदी ने कहा, "प्रधानमंत्री अल्बानीजी और मैंने पहले भी ऑस्ट्रेलिया में मंदिरों और अलगाववादी तत्वों की गतिविधियों पर चर्चा की है. आज हमने दोबारा इस बारे में बात की. हम ऐसे किन्हीं तत्वों को स्वीकार नहीं करेंगे जो भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मजबूत रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इस बारे में कार्रवाई करने के लिए मैं प्रधानमंत्री का धन्यवाद करता हूं. उन्होंने एक बार फिर मुझे भरोसा दिलाया कि वह भविष्य में ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे.”
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि नरेंद्र मोदी अब तक की गई किस तरह की कार्रवाई की बात कर रहे थे क्योंकि जनवरी से अब तक ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न, ब्रिसबेन और सिडनी में कई हिंदू मंदिरों पर भारत विरोधी नारे लिखे जाने की घटनाएं हुई हैं लेकिन किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है. इस महीने सिडनी में होने वाले कथित खालिस्तान रेफरेंडम को पुलिस ने सुरक्षा कारणों से इजाजत नहीं दी थी.
ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा अस्थायी वीजा धारक भारत के
ब्लैकटाउन काउंसिल, जहां यह रेफरेंडम होना था, अपनी कार्रवाई के लिए कई सिख संगठनों की आलोचना का शिकार हुई है. लेकिन उसका कहना है कि यह कोई राजनीतिक फैसला नहीं था बल्कि पुलिस द्वारा इस कार्यक्रम को सुरक्षा के लिए खतरा माना गया. काउंसिल का कहना है कि उसकी कार्रवाई को खालिस्तान की बहस में समर्थन या विरोध में नहीं देखा जाना चाहिए.
नरेंद्र मोदी का स्वागत
इससे पहले मंगलवार को नरेंद्र मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित किया. सिडनी के ओलंपिक पार्क में एक स्टेडियम में उन्हें सुनने के लिए करीब 12 हजार भारतीय मूल के लोग जमा हुए. इस दौरान ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी के अलावा, विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग और व्यापार व पर्यटन मंत्री साइमन बर्मिंगम भी मौजूद थे.
नरेंद्र मोदी का स्वागत करते हुए अल्बानीजी ने कहा, "मैंने अपने दोस्त प्रधानमंत्रीजी से कहा कि पिछली बार यहां मैंने मंच पर ब्रूस स्प्रिंगस्टीन को देखा था और उन्हें भी ऐसा स्वागत नहीं मिला था, जैसा प्रधानमंत्री मोदी को मिला है. प्रधानमंत्री मोदी तो बॉस हैं.”
भारत की झुग्गी-बस्तियों से ऑस्ट्रेलिया पहुंचते होनहार छात्र
उन्होंने एक नया भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध केंद्र स्थापित करने का भी ऐलान किया, जिसे सिडनी के पश्चिमी में उस पैरामाटा इलाके में स्थापित किया जाएगा, जहां भारतीय मूल के लोगों की बड़ी आबादी रहती है.
इस मौके पर नरेंद्र मोदी ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच लगातार मजबूत होते संबंधों का जिक्र किया और ब्रिसबेन में एक नया उच्चायोग खोलने का ऐलान किया. उन्होंने कहा, "भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मजबूत होते संबंधों से हर उस व्यक्ति को फायदा होगा जिसका भारत माता में यकीन है. आपके अंदर प्रतिभा है. आपके पास हुनर की ताकत है और साथ ही आपके पास आपके संस्कार हैं.”