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राजनीतिताइवान

अब नाउरू ने तोड़े ताइवान से रिश्ते, बचे बस 12 देश

१६ जनवरी २०२४

अमेरिका ने नाउरू के ताइवान से कूटनीतिक रिश्ते तोड़ लेने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. सोमवार को प्रशांत महासागर में द्वीपीय देश नाउरू ने ऐसा ऐलान किया था.

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ताइवान में चुनाव
ताइवान में चुनाव के फौरन बाद नाउरू का फैसलातस्वीर: Ann Wang/REUTERS

अमेरिका ने कहा है कि नाउरू का ताइवान से कूटनीतिक रिश्ते खत्म करने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. ताइवान में हाल ही में चुनाव हुए हैं जिसमें चीन के विरोधी माने जाने वाले उम्मीदवार की जीत हुई है. चुनावी नतीजे आने के एक ही दिन बाद नाउरू ने चीन के पक्ष में ताइवान से रिश्ते तोड़ने का ऐलान किया.

इस ऐलान पर प्रतिक्रिया में अमेरिकन इंस्टिट्यूट इन ताइवान की अध्यक्ष लॉरा रोजेनबर्गर ने कहा, "हम सभी देशों को ताइवान के साथ संबंध मजबूत करने को प्रोत्साहित करते हैं.”

सोमवार को नाउरू की सरकार ने कहा कि "अपने देश और उसके लोगों के हित में” वह चीन के साथ कूटनीतिक रिश्ते बनाने का फैसला कर रही है. एक बयान में कहा गया, "इसका अर्थ है कि नाउरू रिपब्लिक ऑफ चाइना (ताइवान) को अब एक अलग देश नहीं बल्कि चीन का हिस्सा मानेगा.”

ताइवान में प्रतिक्रिया

ताइवान में भी नाउरू के इस फैसले पर प्रतिक्रिया आई और आनन-फानन में आयोजित एक प्रेस वार्ता में वहां के उप विदेश मंत्री तिएन चुंग-क्वांग ने कहा कि यह खबर अचानक ही आई है. उन्होंने कहा कि यह "एक लोकतंत्र पर बेशर्म हमला है”.

तिएन ने कहा, "ताइवान दबाव के आगे नहीं झुका है. हमने उसे चुना, जिसे हम चुनना चाहते थे. यह बात उन्हें बर्दाश्त नहीं है.” उन्होंने आरोप लगाया कि 13 हजार से भी कम लोगों वाले देश को चीन ने धन देकर खरीदा है. उन्होंने कहा कि चीन ने नाउरू को इतने धन की पेशकश की है, जितना ताइवान अपने सहयोगियों को नहीं दे सकता.

उधर चीन ने नाउरू के फैसले का स्वागत किया. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनका देश नाउरू सरकार के फैसले का स्वागत करता है और आभारी है.

चीन की रणनीति

ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता है और वहां किसी भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का विरोध करता है. अमेरिका ने जब चुनाव जीतने पर लाई को बधाई दी थी, तब भी चीन ने आपत्ति जताई थी. सत्ताधारी डेमोक्रैटिक पार्टी के उम्मीदवार लाई चिंग-तेई को चीन एक अलगाववादी के रूप में देखता है.

नाउरू ने ताइवान से रिश्ते तोड़ने का ऐलान चुनावी नतीजे आने के ठीक बाद किया है और बहुत से विशेषज्ञ इस समय ऐलान को चीन की रणनीति का हिस्सा मानते हैं. शनिवार को ही ताइवान के कुछ रक्षा अधिकारियों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया था कि चीन कुछ देशों को ताइपेई के साथ रिश्ते तोड़ने को मनाने की कोशिश में लगा है.

उप विदेश मंत्री तिएन ने चीन पर आरोप लगाया कि नाउरू के इस ऐलान का समय सोच-समझ कर चुना गया है. यह खबर ताइवान में नाउरू के राजदूत जार्डन केफास के लिए भी हैरतअंगेज थी. उन्होंने कहा, "मेरे लिए कहने को कुछ नहीं है. मेरी सरकार ने ऐलान किया है और मुझे सामान बांधकर वापस जाने को कहा गया है.”

कम होते ताइवान के समर्थक

अब दुनिया में सिर्फ 12 देश बचे हैं जो ताइवान को एक देश के रूप में दर्जा देते हैं. इनमें अधिकतर ग्वाटेमाला, पराग्वे, एस्वातीनी, पलाऊ और मार्शल आइलैंड्स जैसे छोटे-छोटे देश हैं. अन्य देश हैं बेलीज, हैती, सेंट किट्स एंड नेवीस, सेंट लूशिया, सेंट विंसेंट, ग्रेनाडीन्स, तुवालू और वेटिकन सिटी. पराग्वे ने पिछले साल ऐलान किया था किवह ताइवान के साथ खड़ा रहेगा.

2016 में ताइवान के पिछले चुनाव के बाद से नौ देश ताइवान का साथ छोड़ चीन के साथ जा चुके हैं, जो चीन की ताइवान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग करने की रणनीति का हिस्सा है. पिछले साल अप्रैल में होंडुरास ने भी इसी तरह से ताइवान से संबंध खत्म कर लिए थे. होंडुरास के विदेश मंत्रालय ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा था कि उनका देश मानता है कि दुनिया में एक ही चीन है.

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भारत भी वन चाइना पॉलिसी को मानता है और उसी के तहत उसने ताइवान को अलग देश की मान्यता नहीं दी है. इसी वजह से उसके साथ औपचारिक रूप से कूटनीतिक रिश्ते नहीं बनाए हैं. लेकिन दिल्ली और मुंबई में लंबे समय से ताइवान के 'ताइपेई इकनॉमिक एंड कल्चरल सेंटर' चल रहे हैं.

पिछले साल ही ताइवान ने मुंबई में भी 'ऐसा ही सेंटर' खोलने का ऐलानकिया था. ऐसा पहला दफ्तर ताइवान ने 1955 में दिल्ली में खोला था, जो डी-फैक्टो रूप से भारत में ताइवान के दूतावास के रूप में काम करता है.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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