महिलाओं के लिए दिल्ली सबसे ज्यादा असुरक्षित
६ दिसम्बर २०२३तीन दिसंबर को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी 2022 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 के मुकाबले 2022 में महिलाओं के प्रति अपराध में चार प्रतिशत का इजाफा हुआ है. देश में अपराध के 58 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जिनमें महिलाओं के प्रति अपराध के करीब साढ़े चार लाख मामले थे. मतलब हर घंटे औसतन करीब 51 एफआइआर दर्ज हुए.
यह भी पाया गया है कि महिलाओं के विरूद्ध अपराध करने वाले अधिकतर लोगों में उनके पति या रिश्तेदार शामिल थे. रिपोर्ट के अनुसार 2022 में शहरों में हुए अपराध के मामलों में दिल्ली पहले नंबर पर और मुंबई दूसरे नंबर पर है. इसके बाद क्रमश: बेंगलुरु, जयपुर और अहमदाबाद हैं. वहीं, प्रति लाख आबादी पर दर्ज किए गए संज्ञेय अपराध के मामले में तीसरी बार कोलकाता को सबसे सुरक्षित शहर बताया गया है. इसके बाद पुणे और हैदराबाद सबसे सुरक्षित शहर पाए गए हैं.
महिला अपराध और हत्या में उत्तर प्रदेश ऊपर
एनसीआरबी के राज्यवार आंकड़ों पर नजर डालें, तो 2022 में उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध के करीब 66 हजार मामले दर्ज किए गए. इसके बाद सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र और राजस्थान में रिपोर्ट हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, प्रति एक लाख की आबादी पर महिलाओं के विरूद्ध अपराध के मामले वर्ष 2021 की तुलना में 64.5 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 66 प्रतिशत हो गए.
अगर महानगरों की बात करें, तो यहां भी अपराध के मामलों में पिछले साल के मुकाबले 12.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. देश की राजधानी दिल्ली लगातार तीसरे साल सबसे ऊपर है. 2022 में यहां महिलाओं के प्रति अपराध के 14 हजार से ज्यादा केस दर्ज किए गए. इसके बाद मुंबई और बेंगलुरु का नंबर है. वहीं, शहरों में 501 हत्याओं के साथ दिल्ली पहले नंबर पर और 172 हत्याओं के साथ बेंगलुरू दूसरे नंबर पर है.
2022 में देशभर में बलात्कार के 31,000 से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए गए. इनमें सबसे ज्यादा 5,399 केस राजस्थान में दर्ज हुए. इसके बाद उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का स्थान है. प्रेम प्रसंग में भी सबसे अधिक हत्या की घटनाएं उत्तर प्रदेश और इसके बाद बिहार में दर्ज की गईं. दहेज के लिए महिलाओं की मौत के मामले में भी यूपी-बिहार अव्वल रहा.
जाति और वर्ग संघर्ष की सर्वाधिक घटनाएं बिहार में
हत्या की घटनाओं की सबसे बड़ी वजह आपसी विवाद रही. इस कारण देश में 10 हजार हत्याएं हुईं. हालांकि 2020 और 2021 के मुकाबले हत्या के मामलों में कमी आई है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में हत्या के मामलों में उत्तर प्रदेश भले ही अव्वल रहा हो, लेकिन जाति और वर्ग संघर्ष तथा जमीन-जायदाद के विवादों में सबसे अधिक हत्याएं बिहार में हुईं.
बिहार में प्रति एक लाख की आबादी पर अपराध दर 277.1 है. इस संबंध में 1,274 की संख्या के साथ केरल सबसे आगे है. 2022 में यहां अपराध की लगभग साढ़े तीन लाख घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 2930 हत्या के मामले थे. देश में जाति को लेकर हत्या की 27 घटनाएं हुईं, जिनमें सबसे अधिक सात लोगों की हत्या बिहार में हुई. इस श्रेणी में मध्य प्रदेश व तमिलनाडु में छह-छह, कर्नाटक में पांच तथा उत्तर प्रदेश में दो हत्याएं हुईं.
इसी तरह देश में वर्ग संघर्ष के कारण हत्या के 83 मामले दर्ज किए गए, जिनमें सर्वाधिक 50 घटनाएं बिहार में हुईं. कर्नाटक में आठ, हरियाणा में सात तथा उत्तर प्रदेश में ऐसी छह घटनाएं हुई. राजनीतिक कारणों से हुई हत्याओं में झारखंड अव्वल रहा. यहां ऐसे 17 कांड दर्ज किए गए, जबकि बिहार व ओडिशा में यह संख्या आठ-आठ रही.
अपहरण के एक लाख से अधिक मामले
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, देश में हर दिन अपहरण की औसतन 294 से अधिक घटनाएं हुईं. दिल्ली में भी अपहरण के मामलों में इजाफा हुआ है. हालांकि अपहरण के सर्वाधिक 16,262 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए. इसके बाद महाराष्ट्र और बिहार का नंबर है.
ट्रांसजेंडर के मामलों की बात करें, तो प्रोटेक्शन आफ राइट्स ऐक्ट के तहत सिर्फ एक मामला तमिलनाडु में सामने आया है. वहीं, आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले साल लापता कुल 83,350 बच्चों में 24 ट्रांसजेंडर थे, जबकि इनमें सबसे अधिक 62,946 लड़कियां थीं तथा 20,380 लड़के थे.
24 प्रतिशत बढ़ गया साइबर क्राइम
साइबर अपराध के मामलों में भी 2021 के मुकाबले करीब 24.4 फीसदी वृद्धि हुई है. इनमें सबसे ज्यादा फ्रॉड से जुड़े मामले थे. अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) के प्रति अपराध में भी वृद्धि दर्ज की गई है. देश में बच्चों के साथ अपराध में भी इजाफा हुआ है. 2021 की तुलना में बुजुर्गों के प्रति अपराध में भी नौ फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है.
बढ़ गई अचानक होने वाली मौत भी
2022 में अचानक होने वाली मौतों में भी पिछले साल के मुकाबले 11.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में इस तरह से 56,653 लोगों की जान चली गई. इनमें दिल का दौरा पड़ने से मरने वालों की संख्या 32 हजार से ज्यागा है. मृतकों में अधिकतर 45 से 60 आयु वर्ग के थे. आंकड़े बता रहे कि देश में आत्महत्या के मामलों में भी करीब चार चार फीसद की वृद्धि हुई है. पाया गया कि 2022 में 13,000 छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या की.