अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबान के लौटने का भय
६ अक्टूबर २०२०7 अक्टूबर 2001 को अमेरिका ने अफगानिस्तान में अल कायदा को पनाह देने वाले तालिबान के खिलाफ हमला बोला था. ये हमले अमेरिकी में हुए आतंकी हमले के कुछ हफ्ते बाद हुए थे जिनमें करीब 3,000 लोगों की जान चली गई थी. इस्लामिक शासन के ढहने के 19 साल बाद तालिबान एक बार फिर सत्ता में लौटने की कोशिश कर रहा है. इसी साल उसने वॉशिंगटन के साथ सेना वापसी पर ऐतिहासिक समझौता किया और फिलहाल अफगान सरकार के साथ शांति समझौता कर रहा है.
हालांकि इन सबके बीच अफगानिस्तान में लोगों के मन में तालिबान को लेकर भय है. एक दौर ऐसा था जब वह अपने शासन के दौरान व्यभिचार के आरोप में महिलाओं को मौत के घाट उतार देता था, अल्पसंख्यक धर्म के सदस्यों को मारता था और उसके आतंकी लड़कियों को स्कूल जाने से रोक देते थे. कई अफगान तालिबान के नए युग को लेकर चिंतित हैं. काबुल की रहने वाली 26 साल की कतायून अहमदी कहती हैं, "मुझे तालिबान का शासन एक बुरे सपने की तरह याद है. हम अपने भविष्य और बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित हैं."
अहमदी को आज भी अच्छे से याद है कि काबुल की सड़कों पर कैसे मामूली अपराध के लिए तालिबान शरिया कानून के तहत हाथ और उंगलियां काट दिया करता था. 2001 के हमले ने युवा अफगानों के लिए कुछ स्थायी सुधारों की शुरुआत की, खासतौर पर लड़कियों के लिए और उन्हें शिक्षा का अधिकार भी मिला. दोहा में पिछले महीने शुरू हुई शांति वार्ता में तालिबान ने महिला अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी जैसे मुद्दों पर चर्चा नहीं की.
अहमदी के पति फराज फरनूद कहते हैं कि तालिबान और वॉशिंगटन में समझौते के बाद तालिबान की हिंसा से यह पता चलता है कि तालिबानी चरमपंथियों में कोई बदलाव नहीं आया है. 35 साल के फरनूद अफगानिस्तान के सामरिक अध्ययन में शोधकर्ता हैं. वे सवाल करते हैं, "क्या यह अफगानों के लिए उम्मीद पैदा कर रहा है? नहीं."
जब वे छोटे थे तब उन्होंने तालिबानी चरमपंथियों को महिलाओं को पत्थर मारते देखा, सरेआम कोड़े मारने की सजा देते देखा और काबुल के स्टेडियम में मौत की सजा पाते लोगों को भी देखा. जब तालिबान ने संगीत पर प्रतिबंध लगाया तो फरनूद के परिवार को टीवी एंटीना को पेड़ से छिपाना पड़ा. उनके मुताबिक, "हमने 18 सालों में जो भी उपलब्धियां हासिल की हैं, वह तालिबान के दौर में नहीं थीं."
अफगानिस्तान में अमेरिका को हमला करना काफी महंगा पड़ा है. अमेरिका को इस युद्ध में अब तक 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने पड़े हैं और उसके 2,400 सैनिकों की युद्ध के दौरान मौत हो गई. पेंटागन इस युद्ध को निर्णायक स्थिति पर ना पहुंचने वाला युद्ध बता चुका है.
दोहा में तालिबान के नेता और अफगानिस्तान सरकार लगातार बातचीत के जरिए एक सामान एजेंडा तैयार करने की कोशिश में जुटे हुए हैं. यह एजेंडा आगे आने वाले सालों के लिए तय होगा.
एए/सीके (एएफपी)
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