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एक देश, एक चुनाव: राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट में क्या है

आमिर अंसारी
१४ मार्च २०२४

एक देश, एक चुनाव को लेकर बनाई गई उच्च स्तरीय समिति ने गुरुवार को अपनी 18 हजार से अधिक पन्नों की रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को सौंप दी है.

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एक देश, एक चुनाव पर रिपोर्ट सौंपी गई
एक देश, एक चुनाव पर रिपोर्ट सौंपी गईतस्वीर: Indranil Mukherjee/AFP/Getty Images

भारत सरकार ने एक देश, एक चुनाव को लेकर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन 2 सितंबर 2023 को किया था. समिति के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं.

इसके सदस्य गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल सुभाष कश्यप, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी हैं.

एक देश, एक चुनाव का सरल शब्दों में मतलब है कि सभी भारतीय मतदाता सभी स्तर के चुनावों में अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए एक ही समय पर नहीं तो एक साल में मतदान करेंगे.

राष्ट्रपति भवन द्वारा सोशल मीडिया साइट एक्स पर समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने की तस्वीर साझा की गई हैं. 18,626 पन्नों की इस रिपोर्ट में कई सुझाव दिए गए हैं. सबसे अहम सुझाव यह है कि लोकसभा के साथ विधानसभा के चुनाव करा लिए जाएं.

समिति की सिफारिशें

समाचार चैनल एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "समिति की सर्वसम्मत राय है कि एक साथ चुनाव होने चाहिए." समिति ने कहा है कि सबसे पहले लोकसभा चुनाव और राज्य चुनाव एक साथ होने चाहिए और उसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने चाहिए.

समिति ने कई संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है जिनमें से ज्यादातर के लिए राज्यों के अनुमोदन की जरूरत नहीं होगी. समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ कराने के उद्देश्य से भारत के राष्ट्रपति आम सभा के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख की अधिसूचना जारी कर सकते हैं.

साथ ही समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनावों के साथ-साथ पंचायतों और नगर पालिकाओं में चुनाव कराने के लिए अनुच्छेद 324 ए की शुरूआत की जाए. समिति ने कहा है कि संसद यह सुनिश्चित करने के लिए एक कानून बना सकती है कि नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव आम चुनावों के साथ कराए जाएं.

लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ कराने की सिफारिश
लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ कराने की सिफारिशतस्वीर: NARINDER NANU/AFP via Getty Images

समिति ने रिपोर्ट में कहा, "एक साथ चुनाव कराए जाने से विकास प्रक्रिया और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा, लोकतांत्रिक परंपरा की नींव गहरी होगी और 'इंडिया जो कि भारत है' की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी."

रिपोर्ट में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए एकल यानी साझा मतदाता सूची तैयार करने की बात कही गई है. वर्तमान में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए अलग मतदाता सूची तैयार की जाती है. स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से मतदाता सूची तैयार की जाती है.

एक बयान में कहा गया है कि यह रिपोर्ट दो सितंबर 2023 को समिति गठन के बाद से हितधारकों, विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श और 191 दिनों के शोध कार्य के बाद तैयार की गई है.

मोदी कर चुके हैं एक देश, एक चुनाव की वकालत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौके पर 'एक देश, एक चुनाव' की आवश्यकता पर बात की है और यह 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के घोषणापत्र का भी हिस्सा था.

हाल ही में उच्च स्तरीय समिति ने बीजेपी, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, सीपीआई, सीपीआई (एम), एआईएमआईएम, आरपीआई, अपना दल आदि समेत कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की और बातचीत की. इन दलों के प्रतिनिधियों ने समिति को लिखित रूप में अपने सुझाव भी सौंपे थे.

पहले भी हो चुके हैं साथ चुनाव

देश में 1952, 1957, 1962 और 1967 में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. 1968-69 में कुछ राज्य विधानसभाओं को समय से पहले भंग कर दिए जाने के बाद यह प्रक्रिया बंद हो गई.

हालांकि एक देश, एक चुनाव के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी और फिर इसे राज्यों की विधानसभाओं में ले जाने की जरूरत होगी.

2014 के अपने लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में बीजेपी ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए एक पद्धति विकसित करने का वादा किया था.