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कॉर्बेट: पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए कटे हजारों पेड़

४ अक्टूबर २०२२

उत्तराखंड वन विभाग महीनों से किए जा रहे दावों को ठुकराता रहा है कि जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में एक नई बाघ सफारी के लिए हजारों पेड़ काट दिए गए. अब केंद्रीय वन सर्वेक्षण विभाग ने 6,000 पेड़ काटे जाने की पुष्टि की है.

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जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यानतस्वीर: Charu Kartikeya/DW

मीडिया रिपोर्टों में महीनों से ये दावे किए जा रहे थे कि कॉर्बेट बाघ रिजर्व में एक नए स्थान पर सफारी की शुरुआत करने के लिए अवैध तरीके से हजारों पेड़ कटवा दिए गए हैं. अब केंद्रीय वन सर्वेक्षण विभाग ने इन दावों की पुष्टि कर दी है. विभाग की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है नई सफारी शुरू करने के लिए उत्तराखंड सरकार के वन विभाग ने 16.21 हेक्टेयर के इलाके में 6,903 पेड़ कटवा दिए.

विभाग ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से यह कर नई सफारी के लिए अनुमति ली थी कि उसके लिए सिर्फ 163 पेड़ काटे जाएंगे. लेकिन वन सर्वेक्षण विभाग ने सैटेलाइट से प्राप्त चित्रों और फील्ड ट्रिप के जरिए पता लगाया है कि अनुमान है कि 163 की जगह 6,903 पेड़ काट दिए हैं.

प्रधानमंत्री मोदी का सपना

पखरो नाम की नई सफारी को कॉर्बेट बाघ रिजर्व के कालागढ़ इलाके में बनाया जा रहा है. ये वही इलाका है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 मेंडिस्कवरी चैनल के एक कार्यक्रम के लिए शूटिंग में हिस्सा लिया था. प्रधानमंत्री ने ही इस इलाके में नई सफारी शुरू करने का सुझाव दिया था.

इसके तुरंत बाद ही उत्तराखंड सरकार ने सफारी पर काम करना शुरू कर दिया. सिर्फ 163 पेड़ काटने के आश्वासन पर केंद्र से अनुमति भी मिल गई. लेकिन अगस्त 2021 में एक्टिविस्ट और सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता गौरव बंसल ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक अपील दायर की जिसमें उन्होंने दावा किया कि सफारी के लिए कॉर्बेट में 10,000 पेड़ काटे गए हैं.

क्या हो रहा है कॉर्बेट में

अदालत ने जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को इस मामले की जांच करने के लिए कहा तब प्राधिकरण ने एक जांच समिति बनाई. समिति ने इलाके का दौरा किया और अक्टूबर 2021 में ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी. मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि समिति ने हजारों पेड़ों के काटे जाने के दावों को सही ठहराया और उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी की.

वन विभाग ने इन दावों का खंडन किया था. अब वन सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट में उन्हीं दावों की पुष्टि कर दी गई है लेकिन वन विभाग ने इस रिपोर्ट को भी स्वीकार नहीं किया है और सर्वेक्षण विभाग से पूछा है कि वो विस्तार से बताए कि ये आंकड़े किस आधार पर दिए गए हैं.

हालांकि वन विभाग ने कॉर्बेट में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई के लिए अप्रैल 2022 में दो आईएफएस अफसरों को निलंबित कर दिया था और कॉर्बेट के निदेशक का तबादला कर दिया था. अगस्त 2022 में राज्य सरकार के विजिलेंस विभाग ने इन सबके खिलाफ मामला भी दर्ज किया.