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पाकिस्तान चुनाव: ग्रामीण महिलाएं ले रही हैं ज्यादा दिलचस्पी

मुदस्सर काजी
१९ जनवरी २०२४

अगले महीने पाकिस्तान में चुनाव होना है. 2018 में हुए पिछले चुनाव के दौरान पांच सबसे दूर-दराज के इलाकों में महिला वोटरों के बीच जैसा उत्साह था, वो देश के किसी और हिस्से के मुकाबले कहीं ज्यादा था.

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Pakistan Überschwemmungen Frauen und Kinder
तस्वीर: Asif Hassan/AFP/Getty Images

पाकिस्तान में अगले महीने चुनाव होने जा रहे हैं. देश में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या लगभग 12.7 करोड़ है, जिनमें महिलाओं की संख्या सिर्फ 5.85 करोड़ ही है. यहां महिलाओं के पंजीकरण कराने की संभावना कम रहती है. साथ ही, पुरुषों की तुलना में कम महिलाएं चुनाव में भाग लेती हैं. यहां तक ​​कि लाहौर और कराची जैसे बड़े शहरों में भी यही हाल है.

कराची के एक विश्वविद्यालय से स्नातक सादिया कमर कहती हैं, "मैंने पिछले चार आम चुनावों में कभी मतदान नहीं किया और मुझे अभी भी मतदान में कोई दिलचस्पी नहीं है.” कमर एक पूर्व राजनयिक और लेखक हैं. कमर बताती हैं कि वो अपने उदार वैश्विक दृष्टिकोण और पाकिस्तानी राजनीति की वास्तविकता के बीच के अंतर से काफी निराश हैं.

ग्रामीण इलाकों में महिला वोटर्स का दबदबा

विकासशील देशों में साक्षरता और उच्च जीवनस्तर को अक्सर ऐसे कारकों के रूप में देखा जाता है, जो महिलाओं को राजनीतिक जीवन में बड़ी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करते हैं. लेकिन पाकिस्तान में हुए पिछले आम चुनाव में जिन पांच निर्वाचन क्षेत्रों में महिलाओं ने सबसे ज्यादा मतदान किया था, वो सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और वहां जीवनस्तर काफी नीचे है.

2018 में पाकिस्तान में औसत मतदान 51.7 फीसदी से थोड़ा ज्यादा था. इसमें महिला मतदाताओं की भागीदारी लगभग 46.7 प्रतिशत थी. लेकिन थारपारकर के रेगिस्तानी इलाके के दो निर्वाचन क्षेत्रों में महिला मतदान कहीं ज्यादा प्रभावशाली रहा. यहां एक निर्वाचन क्षेत्र में महिला मतदाताओं की हिस्सेदारी 72 फीसदी से ज्यादा और दूसरे में 71 प्रतिशत के करीब थी. यहां पुरुषों के मतदान की स्थिति पहले निर्वाचन क्षेत्र में 65.4 फीसद और दूसरे में करीब 70.5 फीसद थी.

थारपारकर मुस्लिम बहुल देश पाकिस्तान के सिंध प्रांत का सीमावर्ती इलाका है. यहां बड़ी संख्या में हिंदू रहते हैं. पेयजल, बिजली, स्कूल, स्वास्थ्य ढांचा और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के मामले में यह इलाका काफी पिछड़ा है. एक तरह से इसे अविकसित माना जाता है. हालांकि, यह क्षेत्र कोयले के भंडार से समृद्ध है और सरकार कोयले के खनन की कोशिश कर रही है.

बुनियादी जरूरतों में भूमिका

थारपारकर निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पा कुमारी ने डीडब्ल्यू को बताया कि आर्थिक परेशानियां महिलाओं को मतदान के लिए प्रेरित करने में भूमिका निभाती हैं. वह कहती हैं, "थार के इस सुदूर क्षेत्र की महिलाएं, शहरी महिलाओं की तुलना में आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं. वो हर पांच साल में इस उम्मीद के साथ राजनीतिक व्यवस्था में भाग लेती हैं कि शायद इससे उनके जीवन में भी थोड़ा बदलाव आएगा.”

49 साल की पुष्पा कुमारी कहती हैं कि इस क्षेत्र में मतदान विभिन्न समुदायों पर जीत हासिल करने पर ज्यादा आधारित है. इससे राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के लिए गांव से वोट लेना आसान हो जाता है. पुष्पा कुमारी बताती हैं, "कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो भोजन, एक या दो थैली आटा या सार्वजनिक नौकरी की गारंटी जैसी बुनियादी जरूरतों के बदले उम्मीदवारों के साथ वोटों का सौदा करती हैं. दरअसल गरीबी, लोगों को अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी करने के तरीके खोजने के लिए मजबूर करती है.”

पुष्पा कुमारी के मुताबिक, महिलाएं एक बार फिर आगामी आम चुनावों का इंतजार कर रही हैं क्योंकि उनके पास अपनी आजीविका में सुधार का कोई दूसरा विकल्प नहीं है. सिंध प्रांत में थारपारकर इलाके के इन दो निर्वाचन क्षेत्रों के अलावा सबसे ज्यादा महिला मतदान प्रतिशत वाले बाकी तीन क्षेत्र पंजाब प्रांत के सुदूर ग्रामीण इलाकों में स्थित हैं.

पाकिस्तान के कटियाबाज

नेताओं को अभी बहुत काम करने होंगे

पाकिस्तान में सेंटर-लेफ्ट "पाकिस्तान पीपल्स पार्टी" के एक वरिष्ठ नेता ताज हैदर कहते हैं कि दूर-दराज के इलाकों की महिलाएं राजनीति के प्रति अधिक जागरूक हो गई हैं और उनके पास मोलभाव के लिए और भी बहुत कुछ है. हैदर बताते हैं, "पाकिस्तान की चुनावी व्यवस्था में ग्रामीण महिलाओं की दिलचस्पी अभूतपूर्व है. राजनीतिक लामबंदी के लिए जो बातें प्रेरित कर रही हैं, उनमें शिक्षा या उच्च सामाजिक स्थिति की बजाय गरीबी और परिवर्तन की इच्छा ज्यादा मजबूत है.”

हैदर कहते हैं कि मुख्यधारा के पाकिस्तानी राजनीतिक दल भी ग्रामीण महिलाओं से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इनमें सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम और देश की स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार शामिल हैं. हालांकि हैदर चेतावनी भी देते हैं कि गरीबी से जूझ रही महिलाओं के जीवन में सुधार के लिए ग्रामीण और अविकसित क्षेत्रों में अभी भी बहुत काम बाकी है.