एआई182 विमान धमाके के संदिग्ध रहे सिख की कनाडा में हत्या
१५ जुलाई २०२२1985 में एयर इंडिया की उड़ान संख्या 182 को धमाके में ध्वस्त करने के आरोपी मलिक को कोर्ट ने 2005 में बरी कर दिया था. एक वक्त में खालिस्तानी आंदोलन के कट्टर समर्थक रहे मलिक का अपना कपड़े का व्यापार था. वह कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में रहते थे जहां वैंकुवर में उनकी दुकान थी.
रॉयल कनेडियन माउंटेड पुलिस ने हत्या की घटना के पीड़ित के नाम की पुष्टि किए बिना कहा कि एक व्यक्ति को गोलियों के घावों के साथ पाया गया और उसने "मौके पर ही दम तोड़ दिया." कॉन्स्टेबल सरबजीत सांघा ने कहा, "ऐसा लगता है कि निशाना बनाकर गोलीबारी को अंजाम दिया गया." उन्होंने बताया कि घटनास्थल से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर लपटों में घिरी एक कार बरामद हुई जो संदिग्धों द्वारा इस्तेमाल की गई होगी.
पुलिस के मुताबिक ऐसा प्रतीत होता है कि कार को आग लगाने के बाद हमलावर अन्य किसी वाहन से वहां से फरार हुए और उस अन्य वाहन की तलाश की जा रही है.
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घटना के एक चश्मदीद ने कनाडा के टीवी चैनल सीबीएस को बताया कि उसने तीन गोलियां चलने की आवाज सुनी और उसके बाद सिंह को उनकी लाल टेस्ला कार से बाहर निकाला गया. तब सिंह की गर्दन से खून बह रहा था. नाम प्रकाशित ना करने के अनुरोध पर गवाह ने बताया कि पुलिस घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंची थी.
फ्लाइट 182 धमाका
एयर इंडिया की उड़ान संख्या 182 पर हुआ हमलाअमेरिका के 9/11 से पहले का सबसे घातक आतंकी हवाई हमला था. उस उड़ान में 331 लोग सवार थे. विमान जब आयरलैंड के तट के करीब से गुजर रहा था तब उसमें धमाका हुआ और सभी सवारियों की मौत हो गई. मरने वालों में 280 नागरिक कनाडा के थे. घटना में 86 बच्चों की मौत हुई थी.
यह धमाका तब हुआ जब जापान के नारिता एयरपोर्ट पर एक अन्य एयर इंडिया विमान में सामान चढ़ाते वक्त हुए बम धमाके में दो कर्मचारियों की मौत हो गई. दोनों घटनाओं में बम रखने के लिए इस्तेमाल किए गए सूटकेस का स्रोत वैंकुवर में पाया गया, जहां सिखों की बड़ी आबादी रहती थी.
इस घटना में दशकों चले मुकदमे के बाद एकमात्र संदिग्ध इंदरजीत सिंह रेयत को दोषी करार दिया गया. रेयत को साजिश रचने बम बनाने और अपने साथी उग्रवादियों के लिए सुनवाई के दौरान झूठ बोलने का दोषी पाया गया. रिपुदमन सिंह मलिक उन्हीं साथियों में से एक थे.
मलिक और एक अन्य संदिग्ध अजायब सिंह को 2005 में बरी कर दिया गया. फैसले के बाद सरकारी वकीलों ने कहा कि अगर रेयत ने सच बोला होता तो नतीजा अलग होता. रेयत बीस साल जेल में रहने के बाद 2016 में परोल पर रिहा हुआ.
मलिक की मौत पर प्रतिक्रिया
कनाडाई मीडिया के मुताबिक मलिक की मौत पर मिली-जुली प्रतिक्रिया आ रही है. मलिक के पुराने दोस्त रागीतबीर सिंह भिंडर ने सीबीएस से कहा, "हमने सिख समुदाय के एक नायक को खो दिया है. हम चाहते थे कि यह शख्स सौ साल जिए. उसका जाना बहुत दुख दे रहा है."
उम्र की सातवीं दहाई में पहुंच चुके मलिक के बारे में ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री उज्जल दोसांझ ने कहा कि वह एक विवादित शख्सियत थे. उन्होंने कहा, "मामले को जटिल करने वाला एक तथ्य यह भी है कि हाल ही में सिंह ने भारत की यात्रा की थी और वहां उन्होंने (प्रधानमंत्री) मोदी व उनकी नीतियों के समर्थन में एक पत्र लिखा था. मुझे लगता है कि उसकी समुदाय में प्रतिक्रिया हुई होगी."
कनाडा के सिख समुदाय पर मलिक का खासा प्रभाव था. वह एक सफल उद्योगपति थे. 2005 में बरी होने के बाद उन्होंने सरकार पर मुकदमा कर दिया था. उन्होंने दलील दी थी कि अधिकारियों के पास पर्याप्त सबूत नहीं थे और फिर भी उन्होंने ‘समुदाय के दबाव में' मुकदमा चलाया. उन्होंने 92 लाख कनाडाई डॉलर का दावा किया था जिसे 2016 में अदालत ने खारिज कर दिया.
रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)