रूस ने प्रयोग किया ड्रोन भस्म करने वाला हथियार "जदीरा"
१९ मई २०२२2018 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश के कई रहस्यमयी हथियारों का खुलासा किया था. इनमें अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल, पानी के नीचे चलने वाले न्यूकलियर ड्रोन, एक सुपरसोनिक हथियार और एक लेजर हथियार भी था. तब यह नहीं बताया गया था कि यह लेजर हथियार क्या है. पुतिन ने मध्ययुगीन ऑर्थोडॉक्स योद्धा आलेक्जांद्र पर्सेवेत के नाम पर इसका नाम पर्सेवेत रखा था.
सैन्य विकास के लिए जिम्मेदार देश के उप प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव ने मॉस्को में एक सम्मेलन में बताया कि पर्सेवेत को तैनात किया जा चुका है और यह पृथ्वी से 1,500 किलोमीटर की ऊंचाई तक स्थापित उपग्रहों को अंधा करने की क्षमता रखता है. उन्होंने कहा कि देश के पास पर्सेवेत से भी ज्यादा ताकतवर हथियार हैं जो ड्रोन और अन्य हथियारों को भस्म कर सकते हैं.
क्या है जदीरा?
बोरिसोव ने मंगलवार को हुए एक परीक्षण का हवाला दिया जिसमें 5 किलोमीटर दूर स्थित एक ड्रोन को चंद सेकंड में खाक कर दिया गया. रूस के सरकारी टीवी को बोरिसोव ने बताया, "अगर पर्सेवेत अंधा करता है तो नई पीढ़ी के लेजर हथियार निशाने को जलाकर खाक कर सकते हैं. वे भस्म हो जाते हैं.”
जब बोरिसोव से पूछा गया कि क्या ये हथियार यूक्रेन में प्रयोग किए जा रहे हैं तो उन्होंने कहा, "हां, पहले प्रोटोटाइप को वहां इस्तेमाल किया जा रहा है. उस हथियार का नाम जदीरा है.” इस हथियार जदीरा के बारे में सार्वजनिक तौर पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. 2017 में रूसी मीडिया ने कहा था कि देश के परमाणु निगम रोस्तम ने इसे विकसित करने में मदद की थी.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस द्वारा लेजर हथियारों के इस्तेमाल को लेकर रूस का मजाक उड़ाया है. जेलेंस्की ने इनकी तुलना नाजी जर्मनी द्वारा दूसरे विश्व युद्ध में उतारे गए कथित ‘वंडर वेपंस' से की. जेलेंस्की ने कहा, "जैसे-जैसे यह साफ होता जा रहा है कि इस युद्ध में उनके जीतने की कोई गुंजाइश नहीं है, वे वैसे ही एक जबरदस्त हथियार के बारे में दुष्प्रचार कर रहे हैं, जो इतना शक्तिशाली होगा कि सारा खेल पलट देगा.”
देर रात जारी एक वीडियो संदेश में जेलेंस्की ने कहा, "हम देख रहे हैं कि पूर्ण युद्ध के तीसरे महीने में पहुंच गए हैं, जबकि रूस अपना ‘वंडर वेपन' खोज रहा है. यह दिखाता है कि अभियान पूरी तरह विफल हो चुका है.”
तिलिस्म से हकीकत तक
रूस के यूक्रेन पर किए गए हमले के चलते सोवियत संघ के बाद के रूस की खामियां और कमियां सामने आई हैं. सोवियत संघ का दौर पारंपरिक हथियारों और पारंपरिक युद्धों का दौर था, जिस पर आधुनिक तकनीक हावी हो चुकी है. हालांकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि यह ‘विशेष सैन्य अभियान' योजना के अनुरूप चल रहा है.
बोरिसोव के बयान से यह जाहिर होता है कि लेजर हथियारों के मामले में रूस ने खासी तरक्की कर ली है. अमेरिका और चीन जैसी परमाणु ताकतों की भी इस तकनीक में काफी दिलचस्पी रही है. कभी लेजर किरणों का इस्तेमाल करके उपग्रहों को नष्ट कर देना साइंस फिक्शन में नजर आता था. लेकिन पिछले कई सालों से रूस, चीन और अमेरिका ऐसी कल्पनाओं को सच्चाई में बदलने में लगे हुए हैं.
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ड्रोन जलाने और उपग्रहों के सिस्टम को नाकाम करने के अलावा भी इनका फायदा है क्योंकि उपग्रहों को परमाणु हथियार दागने वालीं अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों पर नजर रखने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
बोरिसोव ने बताया कि वह हाल ही में सारोव से लौटे हैं, जहां रूस का परमाणु हथियार शोध होता है. उन्होंने कहा कि लेजर हथियारों की एक नई पीढ़ी तैयार की जा रही है और इलेक्ट्रोमेग्नेटिक बैंड का प्रयोग करने वाले ये हथियार पारपंरिक हथियारों की जगह ले लेंगे. उन्होंने कहा, "यह कोई तिलिस्माई कल्पना नहीं है. यह हकीकत है.”
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स, एपी)