नई राह पर भारत-चीन संबंध
१७ मार्च २०२२गलवान घाटी मुठभेड़ के दो साल बाद ऐसा लग रहा है कि भारत और चीन आपसी संबंधों को फिर से सुधारने की नई कोशिश की तरफ बढ़ रहे हैं. भारत में कई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के सर्वोच्च नेता एक दूसरे के देशों की यात्रा पर जा सकते हैं.
इन रिपोर्टों के अनुसार सबसे पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी इसी महीने भारत आ सकते हैं. उसके बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर बीजिंग जा सकते हैं. फिर और भी कई उच्च स्तरीय यात्राएं और मुलाकातें संभव हैं.
तनाव बरकरार
इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने दावा किया है इन सब कदमों के पीछे चीन का उद्देश्य है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कुछ महीनों बाद चीन में आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन जाएं.
हालांकि, भारत और चीन की सरकारों ने इनमें से किसी भी कार्यक्रम की पुष्टि नहीं की है. मौजूदा हालात देख कर दोनों देशों के सर्वोच्च नेताओं के बीच इस तरह के कार्यक्रम की संभावना कम लगती है.
मई 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक मुठभेड़ के बाद दोनों देशों के आपसी रिश्ते इस कदर बिगड़ गए थे कि स्थिति आज तक सामान्य नहीं हुई है. आज भी सीमा पर कई बिंदुओं पर दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के आमने सामने तैनात हैं.
गतिरोध को मिटाने के लिए दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत के 15 दौर हो चुके हैं लेकिन गतिरोध अभी भी बरकरार है. भारत कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कह भी चुका है कि दोनों देशों के रिश्तों की बेहतरी के लिए सीमांत इलाकों में शांति आवश्यक है.
यूक्रेन युद्ध की छाया
बल्कि बातचीत के ताजा दौर के ठीक पहले भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने यही बात दोहराई थी. उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों देशों के रिश्तों के आगे बढ़ने का आधार "परस्पर आदर, परस्पर संवेदनशीलता और परस्पर हित" ही होंगे.
नेताओं के बीच इन संभावित मुलाकातों पर इन मीडिया रिपोर्टों से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि अगर इन्हें चीन ने प्रस्तावित किया है तो उसका उद्देश्य क्या है. इस समय यूक्रेन युद्ध की वजह से पश्चिमी देशों की नाराजगी झेल रहे रूस की दो ही बड़े देशों ने आलोचना नहीं की है - भारत और चीन.
इस वजह से माना जा रहा है कि रूस, भारत और चीन एक तरफ हो रहे हैं. लेकिन भारत बहुत सावधानीपूर्वक आगे बढ़ रहा है और अभी तक उसने किसी भी गुट में शामिल होने की आतुरता नहीं दिखाई है.
भारत ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस की आलोचना भी नहीं की और संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्तावों पर मतदान से खुद को बाहर रखा. देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस घटनाक्रम का भारत-चीन संबंधों पर कितना असर पड़ता है.