एयर इंडिया फिर हुई टाटा समूह की
२७ जनवरी २०२२सौंपने की प्रक्रिया के आधिकारिक रूप से पूरे होने से पहले टाटा समूह के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले. उसके बाद एयर इंडिया का स्वागत करते हुए चंद्रशेखरन ने कहा, "हम एयर इंडिया को टाटा समूह में वापस पा कर बहुत खुश हैं और हम इसे एक विश्व स्तर की एयरलाइन बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं."
निवेश और सरकारी संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएम) के सचिव तुहिन कांता पांडेय ने एक बयान में कहा, "एयर इंडिया का स्ट्रेटेजिक विनिवेश आज एयर इंडिया के 100 प्रतिशत शेयरों को मेसर्स टैलेस प्राइवेट लिमिटेड के हवाले कर पूरा हुआ. स्ट्रेटेजिक पार्टनर के नेतृत्व में एक नए बोर्ड ने एयर इंडिया की कमान थाम ली."
कर्ज में डूबी कंपनी
टाटा समूह ने एयर इंडिया को खरीदने के लिए 180 अरब रूपए खर्च किए हैं. भारत सरकार लंबे समय से कंपनी के लिए एक खरीदार की तलाश में थी. एक अनुमान के मुताबिक भारत सरकार ने एयरलाइन को डूबने से बचाने के लिए 2009 से करीब 15 अरब डॉलर खर्च कर दिए हैं.
कंपनी की स्थापना 1932 में टाटा समूह ने ही की थी. उसकी सबसे पहली उड़ान के पायलट खुद उस समय कंपनी के अध्यक्ष रहे जेआरडी टाटा थे. 1953 में भारत सरकार ने कंपनी का राष्ट्रीयकरण करने के लिए उसमें मेजॉरिटी हिस्सेदारी खरीद ली, लेकिन अगले पांच दशकों के अंदर अंदर कंपनी की माली हालत खराब हो गई.
कई सरकारों ने एयर इंडिया का फिर से निजीकरण करने की कोशिश की लेकिन उसके कर्जे हर भावी खरीदार को कंपनी से दूर कर देते थे. मोदी सरकार ने भी 2018 में ऐसी ही एक कोशिश की थी जो नाकाम रही थी.
इस समय एयर इंडिया 615 अरब डॉलर के कर्ज में डूबी हुई है. टाटा समूह इसमें से करीब एक चौथाई कर्ज का वहन करेगा और बाकी इसी उद्देश्य के लिए बनाई गई एक विशेष कंपनी में हस्तांतरित कर दिया जाएगा.
क्या अब चलेगी कंपनी
इसके बदले टाटा समूह को एयर इंडिया के करीब 120 विमान, उसकी नियंत्रित कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस के 25 विमान, भारत में 6,200 और विदेश में 900 एयरपोर्ट गेट स्लॉट मिलेंगे. मोदी सरकार ने एक दर्जन से ज्यादा घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों की संपत्ति के मुद्रीकरण की योजना बनाई है.
टाटा समूह मलेशिया की कंपनी एयर एशिया बेरहाद के साथ मिल कर एक बजट एयरलाइन एयर एशिया इंडिया और सिंगापुर एयरलाइन्स के साथ मिल कर एक बड़ी विमान सेवा विस्तारा भी चलाता है.
अब देखना यह है कि इस समझौते के बाद एयर इंडिया के दिन बदलते हैं या नहीं. कई समीक्षक हैं कि अब इस एयरलाइन का उठान होगा. विमानन क्षेत्र के समीक्षक मार्क मार्टिन कहते हैं, "अब हम एक ऐसी एयर इंडिया देखेंगे जो ज्यादा उज्जवल, ग्राहक के अनुकूल और लोगों की तरफ ध्यान देने वाली होगी."
हालांकि सब इतने आशावान नहीं हैं. विमानन क्षेत्र के जानकार धीरज माथुर ने कहा कि टाटा समूह के लिए "आगे का रास्ता लंबा और मुश्किल होने वाला है. विमानों की उम्र और उनके रखरखाव को लेकर कई समस्याएं आएंगी...स्टाफ का क्या करेंगे उसे लेकर भी समस्या आएगी."
सीके/एए (एएफपी, एपी)