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छह महीने के भीतर तेजी से बढ़ी जर्मनी की जनसंख्या

२८ सितम्बर २०२२

2022 में जर्मनी की जनसंख्या में रिकॉर्ड इजाफा हुआ. पहले से ही यूरोपीय संघ में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश अब 8.4 करोड़ लोगों का बसेरा बन चुका है. पर इतनी तेजी अचानक कैसे आई?

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Ukrainische Flüchtlinge in Deutschland
तस्वीर: Ryan Evans/Pressefoto Evans/picture alliance

इस सवाल का जवाब है यूक्रेन युद्ध. फरवरी 2022 के आखिर में रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. आम यूक्रेनी नागरिकों के लिए यूरोपीय संघ और यूक्रेन के पड़ोसी देशों ने अपनी सीमाएं खोल दी. सबसे ज्यादा शरणार्थी यूरोपीय संघ के देशों में आये. जर्मनी के संघीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक इस वक्त जर्मनी की आबादी रिकार्ड स्तर पर है. कार्यालय के मुताबिक 2022 की पहली छमाही के बाद देश की जनसंख्या 8.4 करोड़ है. इसमें यूक्रेन से जर्मनी आए 7,50,000 लोग भी शामिल हैं.

जर्मनी में समाज, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के बारे में आंकड़े जुटाने वाले कार्यालय के मुताबिक, "यूक्रेन से शरणार्थियों के बड़े पैमाने पर आने के पीछे निर्णायक फैक्टर है, रूस का आक्रामक युद्ध."

दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार रूस में सेना जुटाने का अभियान

रिफ्यूजियों की संख्या के कारण 2022 के पहले छह महीने में जर्मनी की आबादी एक फीसदी बढ़ गई. दूसरे शब्दों में कहें तो इस साल अब तक जर्मन आबादी में 8,43,000 नए लोग जुड़ चुके हैं. 2021 में देश की आबादी मात्र 0.1 फीसदी बढ़ी थी, यानि तब जर्मन जनसंख्या में सिर्फ 82,000 नए लोग जुड़े.

नहीं दिख रहे हैं यूक्रेन युद्ध के जल्द खत्म होने के आसार
नहीं दिख रहे हैं यूक्रेन युद्ध के जल्द खत्म होने के आसारतस्वीर: Purcari Wineries Group

युद्ध और हिंसा का आबादी से रिश्ता

यह पहला मौका नहीं है कि जब जर्मनी जनसंख्या में इजाफा देख रहा है.  1990 में जर्मन एकीकरण के बाद तीन बार ऐसे मौके आ चुके हैं जब जर्मनी की आाबादी तेजी से बढ़ी. पूर्वी यूगोस्लाविया में युद्ध के दौरान 1992 में सात लाख लोग जर्मनी आए. इसके बाद 2015 में सीरिया और मध्य पूर्व के देशों से 10 लाख लोग रिफ्यूजी बनकर जर्मनी पहुंचे और अब यूक्रेन युद्ध.

बढ़ती जनसंख्या में महिलाओं की आबादी ज्यादा है. सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक जर्मनी में महिलाओं की आबादी 1.2 फीसदी बढ़ी है. वहीं पुरुषों की आबादी में सिर्फ 0.8 फीसदी इजाफा हुआ है. इससे पता चलता है कि यूक्रेन से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे आए हैं. वयस्क और स्वस्थ पुरुषों को यूक्रेन छोड़ने की इजाजत नहीं है.

बीते कुछ दशकों से जर्मनी का जॉब मार्केट आप्रवासियों को लुभाता रहा है. जर्मनी में कामगारों की कमी है. यूरोपीय संघ के अमीर देशों में शुमार जर्मनी में मृत्यु दर काफी कम है. लेकिन दूसरी तरफ देश सबसे कम युवा आबादी वाले मुल्कों में भी शामिल है.

जॉर्जिया बॉर्डर पर रूस से भागते लोग
जॉर्जिया बॉर्डर पर रूस से भागते लोगतस्वीर: picture alliance/dpa/TASS

अभी और बढ़ेगी आबादी

यूरोपीय संघ की बॉर्डर एजेंसी फ्रंटेक्स के मुताबिक रूस में सैन्य भर्ती की नई मुहिम के बाद बड़ी संख्या में रूसी पुरुष ईयू के देशों में दाखिल हो रहे हैं. रूस के साथ खुले रोड बॉर्डर वाले देशों में शामिल कजाखस्तान, जॉर्जिया और फिनलैंड में रूसी कारों की लंबी लंबी कतारें लगी हैं. रूस छोड़ रहे कई पुरुषों का कहना है कि वे पुतिन के सैन्य अभियान में शामिल नहीं होना चाहते हैं.

डर के कारण मुल्क छोड़ते रूसी पुरुष

फ्रंटेक्स ने आशंका जताते हुए कहा है कि अगर रूस ने बॉर्डर बंद करने का फैसला किया तो गैरकानूनी तरीके से सीमा लांघने वालों की संख्या बढ़ेगी.

रूस में आंशिक स्तर पर अनिवार्य सैन्य भर्ती
रूस में आंशिक स्तर पर अनिवार्य सैन्य भर्तीतस्वीर: Alexey Malgavko/REUTERS

रूसी रिफ्यूजियों का विरोध करते यूक्रेनी

रूसी नागरिकों को शरण देने के मुद्दे पर यूरोपीय संघ अभी तक कोई स्पष्ट फैसला नहीं कर सका है. जर्मन नेता शरण देने का समर्थन कर रहे हैं. जर्मनी में बहुत से लोग रूस छोड़ रहे लोगों को शरण देने के पक्ष में हैं. जर्मनी के न्याय मंत्री मार्को बुशमन साफ कह चुके हैं," जो पुतिन की नीतियों से नफरत करते हैं और उदारवादी लोकतंत्र से प्यार करते हैं, उनका जर्मनी में स्वागत है." जर्मन सरकार में शामिल तीनों पार्टियों का यही रुख है.

हालांकि जर्मनी में रह रहा यूक्रेनी समुदाय इसे लेकर आशंकित है. बीते 20 साल से जर्मनी में रह रहीं यूक्रेन की कैटेरीना रित्स-राकुल कहती हैं कि जब उन्होंने पहली बार ये बात सुनी तो उन्हें लगा कि ये एक भद्दा मजाक है, "मुझे लगा कि ये सच नहीं हो सकता. शुरुआत में मुझे इस पर यकीन ही नहीं हुआ."

रूस और उसके पड़ोसी देशों की सीमा पर लगी लंबी कतार का जिक्र करते हुए वह कहती हैं, "जिन रूसियों की कार पर Z स्टीकर था या जिनके शरीर पर Z टैटू था, उन्हें जब लौटाया गया तो वे नाराज हो गए. "Z वही निशान है जो यूक्रेन में दाखिल हुए रूसी टैंकों पर बना था. इस निशान के जरिए कई रूसी यूक्रेन युद्ध को लेकर पुतिन का समर्थन कर रहे थे. कैटेरीना आगे कहती हैं, "इसके बाद आप इस तरह की बातें सुनते हैं, जॉर्जिया के लोगों, तुम्हें 2008 के टैंक याद रहने चाहिए."

ओएसजे/ एनआर (एपी, डीपीए, रॉयटर्स)

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