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समाज

कतर में कफाला सिस्टम खत्म हुआ

३१ अगस्त २०२०

संयुक्त राष्ट्र के श्रम निकाय ने कहा कि कतर के नए श्रम कानूनों में प्रभावी रूप से देश के कफाला रोजगार प्रणाली को खत्म कर दिया है. अधिकार समूह कफाला की लंबे समय से आलोचना करते आए हैं.

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तस्वीर: Karim Jaafar/AFP/Getty Images

कफाला रोजगार प्रणाली के तहत श्रमिक अपनी नौकरी नहीं बदल पाते थे और उनके लिए रोजगार के अन्य विकल्प नहीं होते थे. कतर में अब कफाला रोजगार प्रणाली की समाप्ति के बाद श्रमिक अपने करार खत्म होने से पहले अपने मौजूदा नियोक्ताओं की इजाजत लिए बिना नौकरी बदल सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के मुताबिक अब प्रवासी श्रमिक करार खत्म होने के पहले नौकरी बदल पाएंगे.

आईएलओ का कहना है कि कतर ने श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन के रूप में एक हजार कतरी रियाल की राशि तय की है. देश के राजपत्र में छपने के बाद नए कानून को प्रभावी होने में छह महीने लगेंगे. न्यूनतम वेतन नियम के तहत नियोक्ताओं को अपने श्रमिकों को रहने और खाने का भत्ता भी देना होगा, अगर वे इन्हें मुहैया नहीं करा रहे हैं.

मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ''यह एक उत्साहजनक संकेत है कि कतर आखिरकार सही दिशा में जा सकता है.'' फिर भी नियोक्ता ''भगोड़े'' कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करा सकता है, इसका मतलब यह हुआ कि ये उन श्रमिकों के खिलाफ होगा जिन्होंने बिना इजाजत के नौकरी छोड़ दी.

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एमनेस्टी इंटरनेशनल के अधिकारी स्टीव कॉकबर्न ने बयान में कहा, "हम कतर से आग्रह करते हैं कि वह सुधारों पर और आगे जाएं, जिसमें भगोड़े के आरोप को भी हटाया जाए, जिससे यह तय हो पाए कि श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा हो रही है.'' 

प्राकृतिक गैस की वजह से प्रति व्यक्ति आय के मामले में कतर के नागरिक सबसे ऊपर के स्थानों पर हैं. साल 2018 में आंशिक तौर कफाला को खत्म कर दिया गया था. कफाला के तहत कतर में काम करने वाले सभी विदेशी कामगारों को एक स्थानीय प्रायोजक की जरूरत होती है. यह कोई व्यक्ति भी हो सकता है और कोई कंपनी भी. अगर श्रमिक को नौकरी बदलनी होती है तो उसे प्रायोजक से अनुमति लेनी पड़ती है. यही नहीं देश छोड़ने पर भी अपने मालिक या कंपनी से इजाजत लेनी पड़ती है.

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कतर में पहले से ही प्राकृतिक गैसों का भंडार है और अब वहां निर्माण के क्षेत्र में तेजी आई है. अन्य खाड़ी देशों की ही तरह कतर को भी लाखों प्रवासी मजदूरों पर निर्भर रहना पड़ता है, प्रवासी मजदूर ज्यादातार दक्षिण एशियाई देशों जिनमें भारत, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल हैं, कतर में जाकर काम करते हैं.

कतर की ओर से ऐसे समय में फैसला लिया गया है जब वह 2022 में फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी करने जा रहा है और यह फैसला बड़ा श्रम सुधार माना जा रहा है. अरब प्रायद्वीप में फीफा वर्ल्ड कप के आयोजन ने मानवाधिकार हनन के मामले की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है.

इस बीच संयुक्त अरब अमीरात ने कहा कि निजी कंपनियों को बच्चे के जन्म पर पिता को पांच दिन की छुट्टी वेतन के साथ देनी होगी.

एए/सीके (एएफपी)

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