पन्नू के मामले से भारत-अमेरिका रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा
१ दिसम्बर २०२३खालिस्तान समर्थक अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की विफल साजिश को लेकर अमेरिका ने जो चिंताएं जाहिर की थीं, उसकी जांच के लिए भारत ने एक हाई लेवल कमेटी बनाई है.
इस्राएल दौरे पर गए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने पत्रकारों से बात करते हुए इसे गंभीर मामला बताया. उन्होंने कहा, "भारत ने कहा है कि वह इस मामले की जांच कर रहा है. यह अच्छा और उचित है."
अमेरिका का कहना है कि पन्नू की हत्या की विफल साजिश के पीछे भारतीय अधिकारी काम कर रहा था. बुधवार को अमेरिका के न्याय मंत्रालय ने भारतीय मूल के एक व्यक्ति पर हत्या की साजिश का मुकदमा दर्ज किया था.
इसी से जुड़े एक सवाल के जवाब में ब्लिंकेन ने कहा कि मामले में कानूनी प्रक्रिया जारी है और वह इस पर विस्तार से बात नहीं कर पाएंगे, लेकिन उन्होंने कहा, "हम इस जांच के नतीजे देखना चाहते हैं."
अमेरिका: भारत रणनीतिक साझेदार
इस बीच व्हाइट हाउस ने कहा कि वह भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना जारी रखे हुए है, लेकिन वह इन आरोपों को "बहुत गंभीरता से" लेता है कि एक भारतीय उसकी धरती पर एक सिख अलगाववादी नेता को मारने की नाकाम कोशिश में शामिल था.
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, "हमें यह देखकर खुशी हो रही है कि भारत भी इसकी जांच के लिए अपनी तरफ से कोशिश कर रहा है और इसे गंभीरता से ले रहा है."
बुधवार को अमेरिका में संघीय अभियोजकों ने आरोप लगाया था कि निखिल गुप्ता नाम के व्यक्ति ने एक भारतीय अधिकारी के साथ मिलकर सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रची थी जो सफल नहीं हो पाई.
जिस अधिकारी पर आरोप लग रहे हैं वह सुरक्षा और जासूसी के लिए जिम्मेदार है. अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया कि गुप्ता ने इस अधिकारी के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची थी.
भारत ने कहा यह बहुत चिंताजनक
हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने उस व्यक्ति की पहचान आधिकारिक रूप से जारी नहीं की है, लेकिन इससे पहले अधिकारी गुरपतवंत सिंह पन्नू का नाम ले चुके हैं जो सिख्स फॉर जस्टिस नामक संगठन का नेता है. सिख्स फॉर जस्टिस खालिस्तान समर्थक संगठन है जो भारत से अलग खालिस्तान बनाए जाने के लिए आंदोलनरत है. पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है.
पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोप पर गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था यह "चिंता का विषय" और "भारत सरकार की नीति के विपरीत" है. बागची ने बताया कि एक उच्च स्तरीय कमेटी इस मामले के सभी पहलुओं की जांच करेगी.
बागची ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध, तस्करों, अवैध हथियार रखने वालों और उग्रवादियों के बीच सांठगांठ कानून प्रवर्तन एजेंसियों और संस्थानों के लिए गंभीर मुद्दा है और इसलिए एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की गई है और हम जाहिर तौर पर इसके परिणामों के आधार पर कार्रवाई करेंगे."
क्या बिगड़ेंगे भारत-अमेरिका के रिश्ते?
पन्नू की हत्या की साजिश के आरोपों पर जिस तेजी के साथ अमेरिका प्रतिक्रिया दे रहा है, उससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या दोनों देशों के रिश्तों पर आने वाले दिनों में कोई असर पड़ेगा. विदेश नीति विशेषज्ञ सी राजामोहन ने डीडब्ल्यू को बताया कि उन्हें वॉशिंगटन और नई दिल्ली के बीच रिश्तों में कोई प्रतिकूल असर या कूटनीतिक दरार पैदा होती नहीं दिख रही है.
सिंगापुर में इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज में विजिटिंग प्रोफेसर राजामोहन ने कहा, "कथित घटना जून में हुई थी. पिछले कुछ महीनों में दोनों सुरक्षा प्रतिष्ठानों और राजनीतिक नेतृत्व के बीच इस मुद्दे पर काफी बातचीत हो चुकी है."
पूर्व राजदूत अनिल वाधवा का भी मानना है कि कथित हत्या की साजिश का प्रभाव सीमित होगा. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "यह कल्पना करना मुश्किल है कि यह मुद्दा भारत और अमेरिका के बीच पहले से विकसित मजबूत चौतरफा संबंधों को पटरी से उतार सकता है."
जानकारों का मानना है कि बाइडेन प्रशासन इस्राएल-हमास युद्ध और भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के सैन्य विस्तार जैसी भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच भारत को एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखता है.
रिपोर्ट: मुरली कृष्णन, आमिर अंसारी