पहली बार अफ्रीका से निकलकर कहां गए हमारे प्राचीन पूर्वज
२६ मार्च २०२४आज अपने इस ग्रह पर हम इंसानों की बस एक प्रजाति 'होमो सेपियन्स' रहती है. लैटिन भाषा में होमो का अर्थ है मानव और सेपियन्स मतलब, बुद्धिमान. हम इंसानों ने खुद ही खुद को 'बुद्धिमान मानव' की यह उपाधि दी है.
होमो सेपियन्स की शुरुआत अफ्रीका में ही हुई, इस पर वैज्ञानिकों में आम सहमति है. दशकों तक मानव जीनोम पर हुए शोधों से संकेत मिलता है कि मानवों की आबादी के हालिया विस्तार का संबंध अफ्रीका में हमारे साझा पूर्वजों से जुड़ा है.
एक बड़ी पहेली
करीब तीन लाख साल पहले की बात है, जब शुरुआती होमो सेपियन्स की आबादी अफ्रीका में धीरे-धीरे बढ़ने लगी. साल 1997 में इथियोपिया में मिले एक प्राचीन मानव का जीवाश्म करीब 160,000 साल पुराना है. यानी आधुनिक मानवों का एक रूप तब यहां रहा करता था. माना जाता है कि ये मानव बहुत लंबे वक्त तक अफ्रीका में रहे.
कई आनुवांशिक साक्ष्य संकेत देते हैं कि इन मानवों ने 90 हजार से लेकर 60-65 हजार साल पहले अफ्रीका से बाहर निकलने की एक महान यात्रा शुरू की. अनुमान है कि जलवायु में बड़े बदलाव और सूखे जैसी स्थितियों ने उन्हें बाहर निकलने की प्रेरणा दी होगी.
लेकिन एक बड़ी पहेली है कि वो शुरुआती होमो सेपियन्स अफ्रीका से निकलकर कहां गए? उनकी इस यात्रा के पड़ाव क्या थे? दशकों की बहस के बाद एक नई रिसर्च ने इसका जवाब दिया है. इस अध्ययन के नतीजे नेचर कम्युनिकेशन्स पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं.
प्राचीन मानवों के डीएनए सैंपलों और आधुनिक जीन पूल को पेलियोईकोलॉजिकल साक्ष्यों के साथ जोड़कर वैज्ञानिकों ने एक भूभाग की पहचान की है, जहां शिकारी मानवों का झुंड अफ्रीका से बाहर निकलने के तुरंत बाद रहने लगा. इस भौगोलिक इलाके की पहचान ईरान, दक्षिणपूर्वी इराक और उत्तरपूर्वी सऊदी अरब के रूप में की गई है.
मानव इतिहास की एक अहम कहानी
शोधकर्ताओं ने इस क्षेत्र को प्राचीन होमो सेपियन्स प्रवासियों के लिए "हब" की संज्ञा दी है. शोध के लिए रिसर्चरों ने यूरोपीय और एशियाई लोगों के आधुनिक और प्राचीन जीनोम डेटा का इस्तेमाल किया. ऐसा तरीका विकसित किया गया, जिसकी मदद से हब के बाहर निकलने के बाद बड़े स्तर पर हुए आनुवांशिक मिश्रण को अलग किया जा सके.
अनुमान है कि हब में प्रवास के दौरान इनकी संख्या कुछेक हजार तक सीमित होगी. हजारों साल तक यहां टिके रहने के बाद करीब 45 हजार साल पहले ये मानव आगे एशिया और यूरोप में पहुंचकर बसने लगे.
शोध के वरिष्ठ लेखक और इटली की पादोवा यूनिवर्सिटी में मॉलिक्यूलर एंथ्रोपॉलोजिस्ट लूका पगानी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "हमारे शोध के नतीजे आधुनिक गैर-अफ्रीकी मानवों के पूवर्जों के ठिकानों की पूरी तस्वीर बताते हैं."
स्टडी के सह-लेखक और ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी के ऑस्ट्रेलियन रिसर्च सेंटर फॉर ह्युमन इवॉल्यूशन के निदेशक माइकल पेत्रालिया ने बताया कि यह शोध "हमारी और हमारे इतिहास की एक कहानी है."
उन्होंने कहा, "हमारा मकसद विकासक्रम और दुनियाभर में हमारे फैलने से जुड़े कुछ रहस्यों को सुलझाना था. जेनेटिक और पेलियोईकोलॉजिकल मॉडलों को मिलाकर हमें उस जगह का अनुमान लगाने में मदद मिली, जहां शुरुआती मानवों की आबादी अफ्रीका से निकलने के तुरंत बाद बसी."
कैसा जीवन था उन प्राचीन मानवों का
रिसर्च में बताया गया है कि ये पूर्वज छोटे झुंडों में रहते थे. तब यहां इन शिकारी मानवों के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद रहे होंगे. साक्ष्य बताते हैं कि ये जंगली गजेल, भेड़ और बकरियों का शिकार करते होंगे.
पेत्रालिया बताते हैं, "उनके भोजन में खाने योग्य पौधे और छोटे-बड़े आकार के जानवर शामिल होंगे. ये शिकारी-संग्राहक समूह मौसमी जीवनचर्या जीते होंगे. ठंडे महीनों में ये निचले इलाकों में आ जाते होंगे और गर्मियों में पहाड़ी इलाकों में चले जाते होंगे."
हब में रहने वाले इन होमो सेपियन्स की त्वचा और बाल गहरे रंग की रही होगी. यह भी अनुमान है कि यहां से बाहर निकलने के बाद इन मानवों ने गुफा में चित्रकारी की कला विकसित की. ऐसे में मुमकिन है कि हब में रहने के कालखंड में ही उन्होंने ये सांस्कृतिक उपलब्धियां हासिल की होंगी.
ग्रीस में एक गुफा के पत्थर से मिली खोपड़ी के अवशेष कम-से-कम 210,000 साल पुराने बताए गए. इससे संकेत मिला कि आधुनिक मानवों में से कुछ ने संभावित काल अवधि से बहुत पहले ही अफ्रीका से बाहर कदम बढ़ा दिए थे.