भारत को लेकर ट्रंप और हैरिस की नीतियों में काफी फर्क
पांच नवंबर को अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनावों में मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बीच सीधी टक्कर होनी है. भारत को लेकर दोनों उम्मीदवारों की नीतियों और योजनाओं में काफी फर्क है.
लोकप्रियता
भारत में कमला हैरिस और डॉनल्ड ट्रंप दोनों लोकप्रिय हैं. हैरिस तो आंशिक रूप से भारतीय मूल की ही हैं. ट्रंप से जुड़ी खबरों में भारत में लोगों को काफी दिलचस्पी रहती है. फरवरी, 2020 में अहमदाबाद में "नमस्ते ट्रंप" रैली में मोदी और ट्रंप को सुनने एक लाख से ज्यादा लोग आए थे. ट्रंप और मोदी दोनों एक दूसरे को अपना दोस्त भी बताते हैं.
किसे मिलेगा वोट
हालांकि अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के मतदाता किसे वोट देंगे यह अभी कहना मुश्किल है. अमेरिका में हाल ही में थिंक टैंक कार्नेगी एनडाओमेंट द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में सामने आया कि 61 प्रतिशत अमेरिकी भारतीय हैरिस को वोट देंगे और सिर्फ 32 प्रतिशत ट्रंप को वोट देंगे.
व्यापार नीति
ट्रंप का कहना है कि अमेरिका के साथ भारत की व्यापारिक नीतियां सही नहीं हैं. उन्हें भारी शुल्क और संरक्षणवादी नीतियों की तरफ झुकाव के लिए जाना जाता है. सीएनबीसी-टीवी18 वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के व्यापारिक हित हैरिस के शासन में बेहतर सध सकते हैं. हालांकि रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि ट्रंप के शासन में भारत के लिए अमेरिकी बाजार में चीनी आयातों की जगह ले लेने का मौका भी निकल सकता है.
आप्रवासन
ट्रंप अपने आप को लगातार कड़ी आप्रवासन नीति का समर्थक दिखाते रहे हैं. उनके शासन में आप्रवासन के नियम और कड़े हो सकते हैं, जबकि हैरिस ने और ज्यादा एचवन-बी वीजा देने की बात की है. एक रिपोर्ट के मुताबिक हैरिस की डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकारों के कार्यकाल में एचवन-बी वीजा की औसत अप्रूवल दर 94.6 रही है, जबकि रिपब्लिकन पार्टी की सरकारों में यह दर 90.7 रही है.
चीन नीति
चीन के प्रति भारत की स्थिति को लेकर हैरिस और ट्रंप की समझ को जानकार लगभग एक जैसा मानते हैं. दोनों अमेरिकी नेता चीन की बढ़ती ताकत को चिंता की नजर से देखते हैं और भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के खिलाफ संतुलन बनाने की रणनीति में भारत को एक महत्वपूर्ण देश मानते हैं.
रूस नीति
यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने जिस तरह रूस की आलोचना से बचते हुए उससे अपने रिश्ते बनाए रखे उसे लेकर अमेरिका नाराज रहा है. बाइडेन प्रशासन ने रूस से व्यापार करने के लिए कई भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध भी लगा दिए हैं. हैरिस से उम्मीद है कि वो इन्हीं नीतियों को कायम रखेंगी लेकिन ट्रंप क्या करेंगे, यह कहना मुश्किल है. उन्होंने कई बार कहा है कि अगर वह राष्ट्रपति बने तो वो यूक्रेन युद्ध तुरंत रुकवा देंगे.