अंतरिक्ष में तापमान कैसे नापा जाता है?
१४ जून २०१९पदार्थों का तापमान उन कणों की गति पर निर्भर करता है जिनसे मिल कर वे बने हैं. जैसे कि पानी के अणु जब बहुत धीमी गति से चलते हैं, तो पानी जम कर बर्फ बन जाता है. जब इनकी गति बढ़ जाती है, तो अणु बार बार आपस में टकराते हैं और इससे ऊर्जा पैदा होती है. तब पानी तरल अवस्था में आ जाता है. और अगर यह गति और भी ज्यादा बढ़ जाए, तो पानी उबलने लगता है.
खगोलविद् इलेक्ट्रो मैग्नेटिक कणों के विकिरण का इस्तेमाल तापमान मापने के लिए करते हैं. वेवलेंथ जितनी छोटी, तापमान उतना ही ज्यादा. अंतरिक्ष की रचना लगभग चौदह अरब साल पहले बिग बैंग के साथ हुई थी. बेहद गर्म गैस के गुबार से आकाशगंगा और आकाश के अन्य उन हिस्सों का जन्म हुआ जिनसे मिल कर हमारा ब्रह्माण्ड बनता है. हर जगह अलग अलग तापमान होता है.
सूरज जैसे तारे की बेहद मजबूत मैगनेटिक फील्ड होती है. यहां मौजूद कण बहुत तेज गति में घूमते हैं. इतने तेज कि तापमान लाखों डिग्री तक पहुंच जाता है. इससे भी ज्यादा गर्मी ब्लैक होल में होती है. यहां के अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण में कणों पर इतना दबाव बनता है कि वे भाप बन जाते हैं. अंतरिक्ष में मौजूद तारों, ग्रहों और आकाशगंगाओं के बीच ऐसी जगहें भी हैं, जहां खूब सर्दी पड़ती है. यहां तापमान माइनस 270 डिग्री सेल्सियस तक होता है. यहां मौजूद कण इतने धीरे चलते हैं कि वे कभी आपस में टकरा ही नहीं पाते.
ऐसे में ब्रह्माण्ड फैलता रहता है. इस विस्तार के साथ साथ कणों के बीच की दूरी भी बढ़ती रहती है और इसके चलते तापमान और भी नीचे गिरता चला जाता है. कुछ साल पहले यूरोपीय सैटेलाइट प्लैंक ने काफी सटीक तरीके से अंतरिक्ष का तापमान नापा. आज ऐसे स्पेस टेलीस्कोप मौजूद हैं जिनसे भूगोलशास्त्री हर तरह की वेवलेंथ को नाप सकते हैं. रेडिएशन कितना ज्यादा है, इसे जांचते हुए वे बता पाते हैं कि अंतरिक्ष में कोई जगह कितनी गर्म या ठंडी होगी.
रिपोर्ट. कॉर्नेलिया बोरमन/आईबी
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