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अमरिंदर सिंह बनाएंगे नई पार्टी

२० अक्टूबर २०२१

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने घोषणा की है कि वो अपनी ही पार्टी बनाएंगे. उन्होंने यह भी कहा है कि वो बीजेपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ना चाह रहे हैं.

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तस्वीर: Narinder Nanu/AFP/Getty Images

घोषणा कैप्टन की तरफ से उनके मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने ट्विटर पर की. "पंजाब के भविष्य के लिए जंग शुरू हो चुकी है", यह कहते हुए रवीन ने बताया कि कैप्टन जल्द ही अपनी नई पार्टी शुरू करेंगे.

उन्होंने यह भी कहा भी कि यह पार्टी पंजाब के सभी लोगों के हित के लिए काम करेगी, जिनमें "अपनी उत्तरजीविता के लिए एक साल से ज्यादा से लड़ रहे किसान" भी शामिल हैं. पार्टी के बारे में आगे बताते हुए रवीन ने कहा कि "पंजाब को राजनीतिक स्थिरता और आंतरिक और बाहरी खतरों से सुरक्षा की जरूरत है."

बीजेपी के साथ की उम्मीद

पार्टी की विचारधारा के बारे में संकेत देते हुए उन्होंने शुरू में ही घोषणा कर दी कि 2022 में होने वाले पंजाब विधान सभा चुनावों में उन्हें बीजेपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ने की उम्मीद है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा वो तभी करें अगर किसान आंदोलन का समाधान किसानों के हित में हो जाएगा.

हालांकि कैप्टन पार्टी कब शुरू करेंगे और आगे के कदम कब उठाएंगे इस बारे में ना उन्होंने और ना रवीन ने बताया. कैप्टन ने 18 सितंबर को पंजाब के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कांग्रेस पार्टी से अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है.

उनकी इस घोषणा को कांग्रेस के लिए उनके इशारे के रूप में भी देखा जा रहा है. उनकी दो घोषणाओं में परस्पर विरोधाभास भी नजर आ रहा है. बीजेपी तीन नए कृषि कानून के खिलाफ एक साल से भी ज्यादा से आंदोलन कर रहे किसानों के निशाने पर है.

आगे क्या करेंगे कैप्टन

ऐसे में किसी पार्टी या नेता के लिए किसानों के हित और बीजेपी से हाथ मिलाने की बातें एक साथ करना चौंकाने वाला है. उनकी इस घोषणा पर पंजाब सरकार में मंत्री परगट सिंह ने मीडिया से कहा कि वो पहले से कह रहे थे कि कैप्टन बीजेपी और अकाली दल के साथ मिल कर काम कर रहे थे.

Öffnungszeremonie Kartarpur-Korridor zwischen Indien und Pakistan
करतारपुर गलियारे की स्थापना के मौके पर अमरिंदर सिंहतस्वीर: Getty Images/AFP/N. Nanu

कैप्टन पहले भी कांग्रेस पार्टी छोड़ कर अपनी पार्टी शुरू कर चुके हैं. उन्होंने 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार के विरोध में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी. उसके बाद वो शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए थे लेकिन 1992 में उन्होंने अकाली दल से भी नाता तोड़ लिया और शिरोमणि अकाली दल (पंथिक) नाम से एक नई पार्टी शुरु की.

हालांकि 1998 के विधान सभा चुनावों में अमरिंदर और उनकी इस नई पार्टी को भी बड़ी हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद कैप्टन कांग्रेस में लौट आए और अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया.

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