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अमेरिका के लिए काला दिन

चारु कार्तिकेय
७ जनवरी २०२१

अमेरिकी चुनावों में ट्रंप की हार को अस्वीकार करने वाले उनके समर्थकों ने वॉशिंगटन में कैपिटल बिल्डिंग पर चढ़ाई कर दी और उसके अंदर घुस गए. पूरी दुनिया में इसे लोकतंत्र पर हमला बताया जा रहा है और इसकी कड़ी निंदा की जा रही है.

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USA | Präsidentschaftswahl | Demonstranten im Capitol
तस्वीर: Leah Millis/REUTERS

नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के उदघाटन के कुछ ही दिन पहले राजधानी वॉशिंगटन डीसी में बुधवार को नाटकीय दृश्य देखे गए. चुनावों में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की हार को अस्वीकार करने वाले उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन करते करते कैपिटल बिल्डिंग पर ही धावा बोल दिया. कैपिटल अमेरिका में सत्ता का केंद्र है जहां अमेरिकी संसद की बैठकें होती हैं.

ट्रंप अभियान के कपड़े पहने हुए प्रदर्शनकारी पहले सिर्फ व्हाइट हाउस के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन जल्द ही उन्होंने कैपिटल पर चढ़ाई शुरू कर दी. देखते ही देखते प्रदर्शनकारियों की एक भीड़ पुलिस और कैपिटल के सुरक्षाकर्मियों से भिड़ कर कैपिटल के अंदर घुस गई. संसद में उस वक्त सांसदों की बैठक चल रही थी, जिसे बाइडेन और निर्वाचित उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की जीत पर मुहर लगाने के लिए बुलाया गया था.

Washington I Sturm gegen U.S. Capitol
सीनेट के चेम्बर में कूदता हुआ एक ट्रंप समर्थक प्रदर्शनकारी.तस्वीर: Win McNamee/Getty Images

प्रदर्शनकारियों के सीनेट के चैम्बर तक पहुंच जाने की वजह से सांसदों की बैठक को बीच में ही रोकना पड़ा और उप-राष्ट्रपति माइक पेन्स और अन्य सांसदों को वहां से निकाल लिया गया. भीड़ तब तक कैपिटल के कई कमरों पर कब्जा जमा चुकी थी, जिनमें स्पीकर नैंसी पेलोसी का कमरा भी शामिल है. पूरी घटनाक्रम की नाटकीय तस्वीरों में कैपिटल में घुस आए ट्रंप समर्थकों को पेलोसी के कमरे और अन्य कक्षों में कब्जा जमाते, तस्वीरें खिंचवाते और सामान उठा कर ले जाते हुए देखा जा सकता है.

चार की मौत

प्रदर्शनकारी अंदर कैसे घुसे यह अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया है. कुछ रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि पुलिस ने या तो खुद ही उन्हें अंदर जाने दिया या उन्हें रोकने के पूरे प्रयास नहीं किए. कुछ खबरों में यह भी दावा किया गया था कि वॉशिंगटन के मेयर ने रक्षा मंत्रालय से नेशनल गार्ड भेजने का अनुरोध किया था लेकिन मंत्रालय ने अनुरोध माना नहीं.

Washington I Sturm gegen U.S. Capitol
हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी के कक्ष से सामान उठा कर ले जाता हुआ एक प्रदर्शनकारी.तस्वीर: Win McNamee/Getty Images

हालांकि बाद में पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने कैपिटल बिल्डिंग और सांसदों को सुरक्षित करने के लिए गोली भी चलाई, जिसमें अभी तक कम से कम चार लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है. वॉशिंगटन पुलिस के अनुसार एक महिला की पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई और तीन और की मौत "मेडिकल इमरजेंसी" की वजह से हुई. मीडिया में आई रिपोर्टों के अनुसार अभी तक 52 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

ट्रंप पर भीड़ को भड़काने का आरोप 

कैपिटल में घुस आई भीड़ को भड़काने के आरोप खुद राष्ट्रपति ट्रंप पर लग रहे हैं. उन्होंने बुधवार को ही व्हाइट हाउस के बाहर अपने समर्थकों की एक रैली को संबोधित किया था और कहा था कि "वो कभी भी हार नहीं मानेंगे." उनके द्वारा सोशल मीडिया पर भी इस तरह के विचार व्यक्त करने के बाद ट्विट्टर, फेसबुक और इंस्टाग्राम ने उनके वीडियो डिलीट कर दिए और उनके खातों को ब्लॉक कर दिया. पूरे दिन के घटनाक्रमों को देखने के बाद ट्रंप को तुरंत राष्ट्रपति पद से हटाने की मांग बढ़ गई है.

Washington I Sturm gegen U.S. Capitol
सीनेट चेम्बर में "आजादी" चिल्लाता हुआ एक प्रदर्शनकारी.तस्वीर: Win McNamee/Getty Images

संसद का काम फिर शुरू

सुरक्षकर्मी जैसे ही प्रदर्शनकारियों को संसद से बाहर खदेड़ने में कामयाब हुए, संसद की बैठक को फिर से शुरू कर दिया गया. सांसदों ने हमले की निंदा करने के बाद इलेक्टोरल कॉलेज के मतों की गणना की प्रक्रिया को फिर से शुरू कर दिया. संसद के दोनों सदनों में रिपब्लिकन सांसदों ने एरिजोना राज्य में उनकी पार्टी को मिली हार को पलटने की कोशिश की लेकिन वे हार गए.

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में रिपब्लिकन 303 बनाम 121 मतों से हारे. सीनेट में उनकी हार और ज्यादा स्पष्ट रही क्योंकि कैपिटल पर हमले के बाद कई रिपब्लिकन सांसदों ने भी ट्रंप का साथ छोड़ दिया. 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता

वॉशिंगटन जैसा घटनाक्रम देश के कई राज्यों की राजधानियों में देखा गया, जहां ट्रंप समर्थकों ने राज्यों की संसद के बाहर प्रदर्शन किए. हालांकि संसद पर चढ़ाई सिर्फ वॉशिंगटन में की गई. कुछ रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि ऐसा 200 सालों में पहली बार हुआ है जब कैपिटल बिल्डिंग पर हमला हुआ है. सन 1814 में ब्रिटिश सैनिकों ने अमेरिका से युद्ध के दौरान वॉशिंगटन पर चढ़ाई कर दी थी और कैपिटल बिल्डिंग को जला दिया था. कैपिटल उस समय पूरी तरह से बनी भी नहीं थी.

इन अभूतपूर्व दृश्यों को देख कर पूरी दुनिया के नेताओं ने चिंता और अविश्वास भरी प्रतिक्रिया दी है और पूरे घटनाक्रम की निंदा की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विट्टर पर लिखा की वो घटना की खबरों को देख कर "व्यथित" हैं. उन्होंने कहा कि "सत्ता का सुव्यवस्थित और शांतिपूर्ण हस्तांतरण" जारी रहना चाहिए और "लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गैर-कानूनी विरोध द्वारा पलट दिए जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए."

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता ने कहा कि गुटेरेश पूरी घटना से "दुखी" हैं और उन्होंने कहा है कि "इन हालत में यह महत्वपूर्ण है कि राजनेता अपने समर्थकों से कहें कि वो हिंसा से दूर रहें और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और कानून के राज का सम्मान करें." नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने ट्वीट कर वॉशिंगटन के दृश्यों को "चौंकाने" वाला बताया और कहा कि "इस लोकतांत्रिक चुनाव के नतीजे को सम्मान मिलना चाहिए."

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक ट्वीट में वॉशिंगटन के दृश्यों को "शर्मनाक" बताया और कहा कि "अमेरिका पूरी दुनिया में लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करता है और अब यह अति आवश्यक है कि सत्ता का शांतिपूर्ण और व्यवस्थात्मक हस्तांतरण हो."

जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने कैपिटल पर हमले की हाल में हुई जर्मनी की संसद पर हमले की कोशिश से तुलना की और कहा, "भड़काऊ शब्द हिंसा तक ले ही जाएंगे, चाहे वो राईश्टाग की सीढ़ियां हों या अब कैपिटल." मास ने आगे कहा, "लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति उपेक्षा का विनाशकारी असर होता है. वॉशिंगटन से आ रही इन तस्वीरों को देख कर लोकतंत्र के दुश्मन खुश हो रहे होंगे."

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