किसान आंदोलन को फिर तेज करने की कोशिश
२९ जनवरी २०२१गुरुवार रात दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच गाजीपुर बॉर्डर से किसानों को हटाने की पुलिस और प्रशासन ने पूरी कोशिश की. वहां बिजली और पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई, किसान नेताओं को उस जगह को खाली करने का नोटिस दिया गया और करीब 10,000 पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया. हालांकि किसान धरने पर डटे रहे.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत टेलीविजन पर बोलते बोलते रो पड़े और यह दृश्य देख कर उत्तर प्रदेश से और बड़ी संख्या में किसान उनका साथ देने दिल्ली के लिए निकल पड़े. शुक्रवार सुबह होते होते गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों और उनके समर्थकों की भीड़ बढ़ गई और मजबूर हो कर पुलिसकर्मियों को वहां से हटा लिया गया.
उत्तराखंड और हरयाणा से भी कई किसान गाजीपुर बॉर्डर की तरफ निकल चुके हैं. किसान संगठनों ने आंदोलन को जबरन खत्म करने के सरकार के इस प्रयास की निंदा की और कहा कि आंदोलन अभी भी जारी है. सिंघु बॉर्डर पर यह साबित करने के लिए करीब 15 किलोमीटर लंबी सद्भावना रैली निकाली गई. हालांकि अब वहां भारी संख्या में पुलिस और अर्ध-सैनिक बलों को तैनात कर दिया गया है. विपक्षी राजनीतिक पार्टियां भी किसानों को समर्थन दे रही हैं.
राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी राकेश टिकैत का साथ देने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे. आम आदमी पार्टी भी किसान आंदोलन को समर्थन की घोषणा कर चुकी है और पार्टी के कई नेता आज अलग अलग बॉर्डरों पर जा कर किसानों को अपने समर्थन का प्रदर्शन करेंगे. किसानों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करने के लिए कम से कम 16 पार्टियों ने शुक्रवार को संसद में हुए राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया.
पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह के मामले
दूसरी तरफ 26 जनवरी को किसान परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में उत्तर प्रदेश पुलिस ने नोएडा के एक थाने में कांग्रेस सांसद शशि थरूर और कम से कम छह पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह और अन्य आरोपों के तहत मामले दर्ज किए हैं. इन पत्रकारों में राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडे, जफर आगा, परेश नाथ, अनंत नाथ और विनोद जोस शामिल हैं. पुलिस का कहना है कि इन सभी के खिलाफ भ्रामक खबरें फैलाने की शिकायत मिली थी.
इन सभी के खिलाफ सिर्फ नोएडा में ही नहीं, बल्कि भोपाल में भी एक एफआईआर दर्ज की गई है. एडिटर्स गिल्ड ने इन एफआईआरों की निंदा की है और इन्हें स्वतंत्र मीडिया को डराने, परेशान करने और दबाने की कोशिश बताया है.
विपक्ष के बहिष्कार के बीच शुरू हुआ संसद का बजट सत्र
किसानों के आंदोलन के समर्थन में विपक्षी पार्टियों द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बहिष्कार के साथ संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो गई. कोविड-19 संबंधित दिशा-निर्देशों का ध्यान रखते हुए संसद भवन में तीन अलग अलग स्थानों पर अभिभाषण को सुनने के लिए सांसदों के बैठने का प्रबंध किया गया था. हालांकि विपक्ष के बहिष्कार की वजह से तीनों स्थानों पर बड़ी संख्या में कुर्सियां खाली ही दिखीं.
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में तीनों कृषि कानूनों और उनके खिलाफ हो रहे विरोध की चर्चा भी की. उन्होंने कहा कि ये कानून गहन विचार के बाद पारित किए गए थे और इनकी वजह से 10 करोड़ से भी ज्यादा छोटे किसानों को तुरंत फायदा मिला है. राष्ट्रपति ने माना कि कुछ लोग इन कानूनों के खिलाफ हैं और कहा कि सरकार उनको समझाने का प्रयास कर रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों पर रोक लगा दी है और उनकी सरकार अदालत के आदेश का सम्मान करती है. राष्ट्रपति ने 26 जनवरी को किसान परेड के दौरान हुई घटनाओं का जिक्र भी किया और कहा कि गणतंत्र दिवस पर जो हिंसा हुई वो दुर्भाग्यपूर्ण थी.
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