ईरान में पत्नी का कटा सिर लेकर वह सड़क पर घूमता रहा
१० फ़रवरी २०२२दक्षिण पश्चिमी ईरान के अहवाज शहर में एक आदमी ने अपनी 17 साल की बीवी का सिर काट कर उसकी हत्या कर दी है. इसके बाद वो शख्स उस कटे सिर को अपने हाथ में लेकर ईरान की सड़कों पर चलता रहा. इसकी तस्वीरें और वीडियो फुटेज सोशल मीडिया पर खूब चले हैं.
गुरुवार को ईरान के अभियोजकों ने बताया कि उस शख्स और उसके भाई को इस हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया गया है और अब उन पर जल्दी ही मुकदमा चलेगा. इसके साथ ही मीडिया को अब उसकी तस्वीर छापने या वीडियो दिखाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है.
मरने वाली महिला का नाम मोना हयद्री और उसके पति का नाम सज्जाद हयद्री है. 12 साल की उम्र में मोना की शादी उसके रिश्ते के भाई सज्जाद से कर दी गई थी और वो भी उसकी मर्जी के बगैर. अपुष्ट खबरों से पता चला है कि उसके साथ ससुराल में बहुत अत्याचार हुआ और वह अपने पति से तलाक चाहती थी. उसका दो साल का एक बेटा है और उसी की वजह से मोना उस घर में जुल्म सहती रही.
कुछ समय पहले वह ईरान से भाग कर तुर्की चली गई थी लेकिन वहां अकेले रहने में हुई दिक्कतों के बाद वापस चली आई. इसके बाद ही सज्जाद ने उसे मारा. सज्जाद ने अपने भाई के साथ मिल कर उसके हाथ बांध दिए और फिर उसका सिर काट दिया. धड़ को दफनाने के बाद वह एक हाथ में उसका कटा सिर और दूसरे हाथ में खंजर लेकर अहवाज की सड़कों पर हंसते हुए चला जा रहा था. पुलिस ने इस घटना के पीछे दोनों परिवारों में रंजिश होने की भी बात कही है.
अभी तक ये साफ नहीं है कि औरत के पति और उसके भाई पर हत्या का मुकदमा चलेगा या फिर कथित "ऑनर किलिंग" का. ईरान की आबादी का एक बड़ा तबका ऑनर किलिंग को न्यायसम्मत मानता है. मुख्य अभियोजक मोहम्मद जफर मॉन्तासेरी ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया लेकिन यह जरूर कहा कि इस तरह के मामलों के लिए सोशल मीडिया और इंटरनेट जिम्मेदार है.
आलोचकों का कहना है कि इस तरह से किसी को मारना हत्या माना जाना चाहिए. ईरान में हत्या के दोषियों को मौत की सजा दी जाती है हालांकि ऑनर किलिंग को हत्या नहीं माना जाता है और उसके लिए अलग सजा का प्रावधान है.
ईरान में इससे पहले भी ऑनर किलिंग के कुछ मामले सामने आए हैं. ईरान के अलावा भारत, पाकिस्तान समेत कुछ और एशियाई देशों में इस तरह की घटनाएं होती रही हैं जब परिवार की इज्जत के नाम पर लड़कियों को उनके घरवाले ही मार देते हैं.
रिपोर्टः निखिल रंजन (डीपीए)