अब कतर में भी महिलाएं लड़ रही हैं चुनाव
१ अक्टूबर २०२१30 सीटों पर चुनाव के लिए 284 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें से सिर्फ 28 महिलाएं हैं. संसदीय परिषद में 15 सीटें और हैं जिन पर देश के अमीर लोगों को नियुक्त करेंगे. समीक्षकों का कहना है कि परिषद में लैंगिक असंतुलन को ठीक करने के लिए अमीर इन सीटों पर भी कई महिलाओं को नियुक्त कर सकते हैं.
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप में सीनियर गल्फ ऐनालिस्ट इल्हाम फखरो कहते हैं, "यह एक बहुत ही सकारात्मक कदम है कि महिलाएं भी इस प्रक्रिया का हिस्सा हैं. हालांकि, मुझे लगता है कि हमें अपनी अपेक्षाओं को थोड़ा सीमित करना चाहिए क्योंकि सिर्फ 28 महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं. यह कोई आश्चर्य वाली बात भी नहीं है."
नागरिकता में भेदभाव
इन महिला प्रत्याशियों में से एक लीना अल-दफा ने बताया कि अगर वो जीत गईं तो उनकी प्राथमिकताओं में महिलाओं की शिक्षा को प्रोत्साहन देना, महिला शिक्षकों को समर्थन देना और कतरी महिलाओं के बच्चों की नागरिकता का मुद्दा शामिल होगा.
अभी तक कतरी नागरिकता बच्चों को सिर्फ उनके पिता से मिल सकती है. अगर कोई कतरी महिला किसी ऐसे पुरुष से शादी कर लेती है जो कतर का नागरिक नहीं है तो उनके बच्चों को कतर की नागरिकता नहीं मिल पाएगी. इससे इस तरह के बच्चे देश में सरकार की तरफ से दिए जाने वाले अनुदान, जमीन और दूसरी सरकारी मदद से महरूम जाते हैं.
दफा कहती हैं, "मेरे लिए सबसे जरूरी मुद्दा है कतरी महिलाओं के बच्चों की नागरिकता. यह मुद्दा मेरे दिल से जुड़ा हुआ है और मैं इसे सबसे जरूरी मानती हूं." दफा एक शिक्षा अधिकारी हैं और वो कतर के 17वें जिले से चुनाव लड़ रही हैं. उनके सामने चुनाव में दो महिलाएं और सात पुरुष खड़े हैं.
वो कहती हैं कि लिंग से ज्यादा योग्यता जरूरी है. उन्होंने बताया, "मैं इसे पुरुषों और अपने बीच में प्रतियोगिता के रूप में नहीं देखती क्योंकि मैं पुरुषों को विधायिका के कार्य में अनुपूरक मानती हूं. और हम काबिलियत के बारे में बात कर रहे हैं, लिंग के बारे में नहीं."
"अभिभावक पद" को लेकर विवाद
कतर में महिलाओं का प्रतिनिधित्व पड़ोसी देश सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से ज्यादा है. कतर की स्वास्थ्य मंत्री एक महिला हैं और विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता भी एक महिला हैं.
विश्व कप आयोजन समिति में भी महिलाएं अहम भूमिकाओं में हैं. परोपकारी गतिविधियों, कला, चिकित्सा, कानून और व्यापार जैसे क्षेत्रों में भी महिलाएं सक्रिय हैं. लेकिन मार्च में ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने कतर पर महिलाओं के जीवन पर "अभिभावक पद" के अस्पष्ट नियमों के तहत अंकुश लगाने का आरोप लगाया था. इस कानून के तहत वयस्क महिलाओं को भी रोज के कामों के लिए भी किसी पुरुष की स्वीकृति की जरूरत होती है.
अभिभावक मुख्य रूप से पुरुष रिश्तेदार ही होते हैं, जैसे पिता, भाई और दूसरे पुरुष. कतर का संविधान "सभी नागरिकों को बराबर अवसर" देने की बात करता है. लेकिन एचआरडब्ल्यू का कहना है कि काफी ठोस प्रगति के बावजूद, महिलाओं "आज भी जीवन के लगभग हर क्षेत्र में गहरे भेदभाव का सामना कर रही हैं."
एचआरडब्ल्यू ने पूर्व में यह माना है कि कतरी महिलाओं ने "अवरोधों को तोड़ा है और महत्वपूर्ण तरक्की हासिल की है" और पुरुष स्नातकों से महिला स्नातकों की संख्या ज्यादा होना और प्रति व्यक्ति महिला डॉक्टरों और वकीलों की संख्या का काफी अधिक होना इस बात का सबूत है.
सीके/एए (एएफपी)