केंद्र से पहले ममता ने दी लॉकडाउन में ढील
१ जून २०२०कोरोना महामारी के दौर में कभी लॉकडाउन के उल्लंघन तो कभी मरीजों और मृतकों के आंकड़े छिपाने और कभी प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई जाने वाली ट्रेनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच अक्सर टकराव होता रहा है. अब लॉकडाउन में ढील देने के मामले में भी आमने सामने हैं.
केंद्र ने पांचवें दौर में जहां 30 जून तक लॉकडाउन बढ़ाया है वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने इसे सिर्फ 15 जून तक ही बढ़ाया है. इसके अलावा पहली तारीख से ही तमाम धार्मिक स्थल और सार्वजनिक परिवहन खोल दिए गए हैं. केंद्र सरकार ने जिन क्षेत्रों को आठ जून से रियायत देने की बात कही है, ममता ने उनको पहली जून से ही खोल दिया है.
राजधानी कोलकाता समेत राज्य के ज्यादातर बाजार खुल गए हैं. इसके अलावा चाय और जूट उद्योग जैसे कुछ क्षेत्रों को पूरी क्षमता के साथ काम करने की इजाजत दे दी है. पश्चिम बंगाल सरकार ने सिनेमा और टेलीविजन धारावाहिकों की भी सशर्त शूटिंग की अनुमति भी दे दी गई है. कुल मिलाकर कोरोना संक्रमण की वजह से दो महीने से भी लंबे अरसे से जारी लॉकडाउन के बाद सोमवार से पश्चिम बंगाल में राजधानी कोलकाता समेत ज्यादातर इलाकों में सामान्य जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है.
कोरोना का खतरा
धार्मिक स्थलों के अलावा तमाम बाजार खुलने और बसों और ऑटो यानी तिपहिया स्कूटरों का संचालन शुरू होने की वजह से संक्रमण तेजू से बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. सीमित तादाद में सार्वजनिक परिवहन और पीली टैक्सियां भी चलने लगी हैं. हुगली में फेरी सेवाएं भी शुरू हो गई हैं. अगले दो सप्ताह में पांच लाख प्रवासियों की संभावित वापसी से संक्रमण तेज होने का अंदेशा है. बीते एक सप्ताह से संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और रोजाना नए-नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. बीते चार दिनों के दौरान लगभग रोजाना नए तीन सौ से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं.
चिंता की बात यह है कि ज्यादातर मामले राजधानी कोलकाता के हैं. इसके अलावा अब उन तमाम जिलों में भी नए मरीज सामने आने लगे हैं जहां हाल तक एक भी मरीज नहीं था. सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि मई के पहले सप्ताह से राज्य में स्थिति खराब हुई है. चार मई को जहां 23 में से सात जिलों में कोरोना का एक भी मामला नहीं था, वहीं अब बीते एक सप्ताह के दौरान कालिम्पोंग को छोड़ कर बाकी तमाम जिलों में नए मामले सामने आए हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है, "कोरोना संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए कंटेनमेंट इलाकों में लॉकडाउन पहले की तरह जारी रहेगा. लेकिन इसके साथ ही दूसरे इलाकों में तमाम गतिविधियां शुरू करने की अनुमति दी जाएगी.”
सरकार ने टीवी और सिनेमा से जुड़ी इंडोर और आउटडोर गतिविधियों को इस शर्त पर अनुमति दी है कि एक यूनिट में 35 से ज्यादा लोग नहीं रहेंगे. लेकिन रियलिटी शो पर पाबंदी जारी रहेगी. इसके अलावा एक से दूसरे जिलों के लिए बस सेवा भी शुरू हो गई है. इन बसों में तमाम सीटें भरी रहेंगी. लेकिन कोई यात्री खड़ा होकर यात्रा नहीं कर सकेगा. यात्रियों के लिए मास्क और दस्ताने अनिवार्य होंगे. आठ जून से सरकारी दफ्तरों में मौजूदा 50 की जगह 70 फीसदी कर्मचारी काम कर सकेंगे. निजी दफ्तरों में कर्मचारियों की तादाद तय करने का जिम्मा संबंधित प्रबंधन पर ही छोड़ दिया गया है.
अभी समय लगेगा
सरकार के पहली तारीख से धार्मिक स्थलों को खोलने के फैसले के बावजूद हावड़ा जिले में हुगली किनारे स्थित बेलूर मठ के अलावा उत्तर 24-परगना जिले के दक्षिणेश्वर काली मंदिर और बीरभूम जिले में स्थिति तारापीठ मंदिर समिति ने फिलहाल 15 जून तक इन मंदिरों को बंद रखने का फैसला किया है. दक्षिणेश्वर काली मंदिर समिति के सचिव कुशल सरकार कहते हैं, "फिलहाल हमें तैयारियों में 15 से 20 दिनों का समय लगेगा. उसके बाद परिस्थिति देख कर कोई फैसला किया जाएगा.”
कोलकाता के मशहूर कालीघाट मंदिर की प्रबंधन समिति ने भी फिलहाल कुछ इंतजार करने का फैसला किया है. बेलूर मठ के एक प्रवक्ता ने कहा, "मंदिर परिसर को 15-20 दिनों से पहले नहीं खोला जा सकता है. हम स्थिति का आकलन करने के बाद अगले चरण के बारे में फैसला करेंगे.” उधर, बीरभूम जिले में स्थित शक्तिपीठ तारापीठ मंदिर समिति के सदस्य तारानाथ मुखर्जी ने कहा, "हम 14 जून को स्थिति का आकलन करेंगे और उसके मुताबिक फैसला लेंगे."
दूसरी ओर, इमामों के संगठन बंगाल इमाम्स एसोसिएशन ने भी फिलहाल मस्जिदों को बंद रखने की अपील की है. इमामों के संगठन के अध्यक्ष मोहम्मद याहिया कहते हैं,, "हमने दो महीने तक घर से ही प्रार्थना की है. इसे और जारी रखने में कोई बुराई नहीं है. फिलहाल भीड़-भाड़ से बचाव जरूरी है. आगे कुछ दिनों तक हालात की निगरानी के बाद मस्जिदों को खोलने का फैसला किया जाएगा.” उनकी दलील है कि महज 10 लोगों के मस्जिद में प्रवेश के सरकारी नियम का पालन संभव नहीं है. कोलकाता की दो प्रमुख मस्जिदों—नाखोदा मस्जिद और टीपू सुल्तान मस्जिद समितियों ने भी इस अपील का समर्थन किया है.
उधर, वेस्ट बंगाल मोशन पिक्चर्स आर्टिस्ट फोरम ने सिनेमा और बांग्ला धारावाहिकों की शूटिंग की अनुमति देने के सरकार के फैसले का तो स्वागत किया है. लेकिन संगठन के महासचिव अरिंदम गांगुली कहते हैं, "35 लोगों के साथ शूटिंग करने के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी होगी. संगठन संबंधित मंत्री के साथ बैठक के बाद इस बारे में कोई फैसला लेगा.”
क्यों दी रियायतें
पश्चिम बंगाल में कोरोना के मरीजों की लगातार बढ़ी तादाद ममता बनर्जी सरकार की चिंता बढ़ा रही है. स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी बताते हैं, "अब तक बंगाल में कोरोना के जितने मामले सामने आए हैं उनमें से लगभग आधे प्रवासी मजदूर हैं.”
ममता बनर्जी और उनकी सरकार लगातार बाहरी राज्यों से मजदूरों को यहां भेजने का विरोध करती रही हैं. उनकी दलील है कि पहले कोरोना और उसके बाद चक्रवाती तूफान अम्फान की तबाही के चलते बंगाल के आधारभूत ढांचे पर भारी दबाव है. उन्होंने पहली जून से दर्जनों ट्रेनें बंगाल भेजने के रेलवे के फैसले का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसे रोकने की भी अपील की थी. लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला. मुख्यमंत्री ने इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को कोरोना एक्सप्रेस करार दिया है. मुख्य सचिव राजीव सिन्हा बताते हैं, "बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूरो की वापसी से संक्रमण बढ़ने का अंदेशा है. इससे स्वास्थ्य ढांचा चरमरा सकता है.”
लेकिन जब संक्रमण तेज होने का अंदेशा है तो सरकार ने अचानक धार्मिक स्थलों को खोलने औरतमाम रियायतें देने का फैसला क्यों किया है? ममता कहती हैं, "रेलवे भेड़-बकरी की तरह ट्रेनों में ठूस कर प्रवासियो को बंगाल भेज रही है. ऐसे में मंदिर-मस्जिद को खोलने में क्या बुराई है? श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से लौटने वाले 25 फीसदी लोग कोरोना पाजीटिव हैं.” दरअसल, सरकार की चिंता का विषय यह है कि इन स्पेशल ट्रेनों से राज्य में लौटने वाले ज्यादातर प्रवासी महाराष्ट्र और गुजरात जैसे उन राज्यों से आ रहे हैं जहां कोरोना का संक्रमण देश में सबसे ज्यादा है. प्रवासियों की वापसी शुरू होने के बाद तेजी से बढ़ता संक्रमण इसका सबूत है कि ऐसे प्रवासी अपने साथ संक्रमण ला रहे हैं.
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य में तेजी से बढ़ते जा रहे कोरोना संक्रमण के मामले को लेकर चिंता जताई है. सोमवार को धनखड़ ने अपने ट्वीट में कहा है कि राज्य में कोरोना संक्रमण के मामले जितनी तेजी से बढ़ रहे हैं, वह किसी के हित में नहीं है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अचानक एक साथ इतनी रियायतें देने के बाद राज्य में संक्रमण तेजी से बढ़ने का अंदेशा है. एक विशेषज्ञ डॉ. पार्थसारथी घोष कहते हैं, "सरकार के दिशानिर्देशों के बावजूद बाजारों से लेकर बसों तक कहीं भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन नहीं हो रहा है. लगता है केंद्र और राज्य सरकारों ने अब लोगों को उनके हाल पर छोड़ने का फैसला कर लिया है.”
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore