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कोरोना: एक दिन में पहली बार 400 से ज्यादा नए मामले

२ अप्रैल २०२०

एक अप्रैल को पूरे देश में 437 नए मामले सामने आए, जिस से कुल मामलों का आंकड़ा अब 1965 तक पहुंच गया है. केंद्र सरकार ने कहा है कि तब्लीगी जमात से जुड़े लगभग 9,000 लोगों के संक्रमित होने का खतरा है.

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Indien Neu-Delhi Frau mit Kind während Coronakrise
तस्वीर: Getty Images/Y. Nazir

भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के नए मामलों के सामने आने की दर बढ़ती जा रही है. बुधवार एक अप्रैल को पूरे देश में 437 नए मामलों का पता चला, जिससे कुल मामलों का आंकड़ा अब 1965 तक पहुंच गया है. ठीक हो जाने वालों की संख्या 150 है और मरने वालों की संख्या 50. दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तब्लीगी जमात के मुख्यालय से फैला संक्रमण अभी भी केंद्र और राज्यों के लिए चिंता का बड़ा विषय बना हुआ है.

केंद्र सरकार ने कहा है कि संस्था से जुड़े लगभग 9,000 लोगों के संक्रमित होने का खतरा है. इनमें 7,688 भारतीय हैं और 1,306 विदेशी. 23 राज्य और चार केंद्र शासित प्रदेश इस प्रकरण से प्रभावित हैं. संस्था से जुड़े लगभग 400 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो गई है.इनमें से सबसे ज्यादा मामले तमिल नाडु में हैं, जहां 190 मामले हैं.

इसके अलावा आंध्र प्रदेश में 71 मामले, दिल्ली में 53, तेलांगना में 28, असम में 13, महाराष्ट्र में 12, अंडमान में 10, जम्मू और कश्मीर में छह और पुडुचेरी और गुजरात में दो-दो. और भी राज्यों में संक्रमण के मामलों के होने की आशंका है और चिन्हित मामलों की जांच चल रही है.

Global Ideas Indien Coronavirus Lockdown in Neu-Delhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain

महामारी की रोकथाम के लिए सभी सरकारों के तमाम प्रयासों के बीच कई राज्य सरकारों का कहना है कि वे संसाधनों की कमी से जूझ रही हैं. तालाबंदी की वजह से आय के स्त्रोत सूख रहे हैं और खर्च बढ़ता जा रहा है. आर्थिक मदद के लिए सरकारें केंद्र की तरफ देख रही हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि केंद्र ने तालाबंदी की घोषणा करने से पहले राज्य सरकारों से विमर्श नहीं किया और अब जब राज्यों में वित्तीय संकट खड़ा हो गया है ऐसे में केंद्र को राज्यों की पूरी मदद करनी चाहिए.

15 साल बाद विदेश से मदद लेगा भारत

इसी बीच प्रधानमंत्री ने कोविड-19 से लड़ने के उद्देश्य से जिस नए कोष की स्थापना की थी उसमें आम लोगों से लेकर उद्योगपति और औद्योगिक समूह दिल खोल कर अंशदान कर रहे हैं. कोष में अभी तक हजारों करोड़ रुपयों की धनराशि का दान हो चुका है और खबर है कि अब कोष में विदेश से भी अंशदान स्वीकार किया जाएगा.

बताया जा रहा है कि भारत सरकार ने 15 साल पहले विदेश से आर्थिक मदद लेना बंद कर दिया था. लेकिन यह स्थिति अभूतपूर्व है इसलिए प्रधानमंत्री इच्छुक हैं कि विदेश से भी अंशदान हो. इसके लिए उन्होंने भारत के सभी विदेशी दूतावासों को विशेष रूप से कहा है कि वे इस कोष का प्रचार करें ताकि विदेश से भी कोष में धनराशि प्राप्त हो सके.

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