क्या क्रीमिया को वापस ले सकता है यूक्रेन?
१२ अगस्त २०२२"युद्ध शुरू हुआ था क्रीमिया में और खत्म भी वहीं होगा." अपने साप्ताहिक वीडियो संबोधन में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की यह कह कर साफ कर दिया कि उनका इरादा उस प्रायद्वीपीय इलाके को छोड़ने का नहीं है जिसे रूस ने गैरकानूनी रूप से 2014 में अपने साथ मिला लिया था.
इस संबोधन से कुछ ही देर पहले क्रीमिया के पश्चिम में नोवफेडोरिव्का के पास रूसी हवाई अड्डे पर भारी धमाकों की गूंज सुनाई दी. ऐसा लगा कि यूक्रेन ने लक्ष्य बना कर वो हमला किया था लेकिन आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं हुई और यूक्रेन ने धमाकों की जिम्मेदारी लेने से भी इनकार किया.
अगर यह कोई सैन्य हमला हुआ तो आठ साल पहले क्रीमिया को अलग करने की घटना के बाद इस प्रायद्वीप पर यह पहला हमला होगा. अप्रैल मे रूसी फ्लीट के प्रमुख जहाज मोस्कवा के काले सागर में डूबने की तरह ही इस घटना का भी सांकेतिक महत्व है. शायद यही वजह है कि रूस ने क्रीमिया के धमाकों को यूक्रेनी हमला नहीं बताया है. रूस के मुताबिक खराब देखरेख के कारण कुछ गोलाबारूद में आग लग गई थी.
युद्ध के और भड़कने का खतरा
क्रीमिया के ठिकानों पर बमबारी रूस के लिये डोनबास और यूक्रेन के बाकी हिस्सों में लड़ाई से अलग महत्व रखता है. अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर इसे यूक्रेन से अलग किया गया. इस प्रायद्वीप को रूस बगैर अंतरराष्ट्रीय मान्यता के जनमत संग्रह के बाद रूसी फेडरेशन का हिस्सा और अपना राष्ट्रीय क्षेत्र मानता है. रूसी मान्यताओं के मुताबिक क्रीमिया पर हमले का मतलब है कि युद्ध अब रूसी इलाके तक चला गया और इससे इस युद्ध के और भड़कने का खतरा है.
हालांकि यूक्रेन भी क्रीमिया को अपना ही इलाका मानता आ रहा है. यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से जून के मध्य में कहा, "हम अपने सारे इलाकों को आजाद करने जा रहे हैं, सारा का सारा, क्रीमिया समेत." रक्षा मंत्री के सलाहकार यूरी साक हालांकि तब भी यही कह रहे थे, "सबसे जरूरी चीज थी कि दुश्मन को पीछे धकेल कर हमलावर सेना को कम से कम 24 फरवरी के स्तर तक ले जाया जाये."रूस के कब्जे के चार साल बाद कहां खड़ा है क्रीमिया?
विवाद का लंबा इतिहास
रूस के लिये क्रीमिया बाकी पूरे यूक्रेन से ज्यादा महत्वपूर्ण है. करीब दो सदियों तक यह रूस के नियंत्रण में था. 18वीं और 19वीं सदी के जार शासकों ने बहुत से रूसी जातियों के लोगों को यहां बसाया था. 20वीं सदी में भी सोवियत नेता स्टालिन ने यह नीति जारी रखी.
सोवियत संघ में क्रीमिया पह रशियन सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक यानी एसएसआर का था. 1954 में इसे स्टालिन के उत्तराधिकारी निकिता ख्रुश्चेव के आदेश पर यूक्रेन को सौंप दिया गया हालांकि किन परिस्थितियों में यह हुआ इसका ब्यौरा अब तक सामने नहीं आया है. एक कारण शायद यह हो सकता है कि ख्रुश्चेव खुद यूक्रेनी मूल का था.
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सोवियत संघ के विघटन के बाद क्रीमिया आधिकारिक रूप से यूक्रेन का इलाका बन गया. हालांकि यूक्रेन कभी भी अपना अधिपत्य पूरी तरह से वहां नहीं जमा सका. यूक्रेन ने इस प्रायद्वीप को स्वायत्तता दी और रूस के साथ रणनीतिक रूप से अहम सेवास्तोपोल के बंदरगाह के लिये लीज एग्रीमेंट किये. यही वो जगह थी जहां सोवियत ब्लैक सी फ्लीट का डेरा था और फिलहाल यह रूस के इस्तेमाल में आने वाला अकेला ऐसा पोर्ट है जहां पूरे साल बर्फ नहीं जमती. लीज एग्रीमेंट ने रूस को ब्लैक सी तक सेना पहुंचाने का रास्ता देने के साथ ही एक अहम आर्थिक क्षेत्र को भी उसकी पहुंच में ला दिया.
2014 तक इस बंदरगाह के रूसी लीज को लेकर कोई समस्या नहीं थी. हालांकि उसके बाद यूक्रेन में यूरोमैदान विरोध शुरू हुए और रूस समर्थित राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को सत्ता से हटा दिया गया जिसके बाद उन्हें वहां से मॉस्को भागना पड़ा. अचानक रूस को पूरे क्रीमिया और सेवास्तोपोल को नाटो के हाथ में चले जाने का डर सताने लगा क्योंकि यूक्रेन पश्चिमी देशों की तरफ जाने लगा. इसी मोड़ पर रूस ने क्रीमिया को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करके अपने साथ मिला लिया.
कमजोर कड़ी
यूक्रेन के साथ मौजूदा युद्ध में रूस का एक लक्ष्य क्रीमिया के ऊपर अपनी पकड़ को और मजबूत करना भी है. डोनबास को जीतने के साथ ही रूस ने वहां से क्रीमिया तक रूस के नियंत्रण वाला गलियारा बनाने को अपना प्रमुख लक्ष्य बताया है.
दक्षिणी यूक्रेन में और आगे बढ़ कर पुतिन कुछ और सच्चाइयों को स्पष्ट कर देना चाहते हैं. इनमें एक यह है कि क्रीमिया को अलग करने से पहले वाली स्थिति पर लौटना एक तरह से नामुमकिन हो जायेगा.
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अजोव सागर यूक्रेन की पहुंच से पूरी तरह दूर हो जायेगा क्योंकि क्रीमिया का विस्तार काले सागर तक एक विशाल कील के रूप में हो जायेगा. रूस काले सागर में यूक्रेन के इकलौते बचे बंदरगाह ओडेसा तक भी जहाजों के आने जाने को नियंत्रित या फिर रोकने की हालत में होगा. छोटे से स्नेक आइलैंड के लिये जिस पैमाने पर लड़ाई चल रही है उसे देख कर साफ है कि यह भी रूसी युद्ध के लक्ष्यों में शामिल है.
वापसी की कितनी संभावना है?
अभी कहना मुश्किल है कि क्रीमिया को अपने नियंत्रण में लाने के लिये यूक्रेन ने कितनी तैयारी की है. सरकार के सलाहकार साक का कहना है कि इस प्रायद्वीप की वापसी, "एक ऐसा मुद्दा है जिस पर कूटनीतिक रूप से बात करनी होगी." हालांकि बातचीत के जरिये संभावित वापसी कैसे होगी यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है.
फिलहाल शक्ति का जो संतुलना है, रूस के लिये क्रीमिया की रणनीतिक अहमियत है और साथ ही वहां के निवासियों की रूस के प्रति वफादारी है उसे देख कर लगता नहीं कि हाल फिलहाल यह यूक्रेन का हिस्सा बन सकेगा.