घने जंगलों में भी चिड़ियों की तरह झुंड में उड़ेंगे ये ड्रोन
५ मई २०२२चमचमाते नीले रंग के 10 ड्रोन का एक झुंड चीन के बांस के जंगलों में धरती से ऊपर उठा. फिर झाड़ियों और टहनियों के बीच अपना रास्ता खुद बनाता हुआ उबड़-खाबड़ जमीन के ऊपर से इस जंगल में उड़ान भरता रहा. कहीं कोई टक्कर नहीं हुई. झेजियांग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में हुए इस प्रयोग ने हॉलीवुड फिल्मों की याद दिला दी. वैज्ञानिकों ने भी "स्टार वार्स," "प्रोमेथेयस" और "ब्लेड रनर 2049" का नाम लिया. हाल ही में साइंस रोबोटिक्स जर्नल ने इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट छापी है.
शिन झोउ के नेतृत्व वाली वैज्ञानिकों की टीम ने लिखा है, "यहां हम भविष्य की ओर एक कदम और बढ़ गए हैं." सैद्धांतिक रूप से इसका इस्तेमाल वास्तविक दुनिया में कई कामों के लिए हो सकता है. इसमें संरक्षण और आपदा राहत के काम के लिए हवाई सर्वे भी शामिल है. हालांकि इस तकनीक को थोड़ा और परिपक्व होना होगा ताकि वह नये वातावरण के हिसाब से खुद को ढाल सकें. यह जरूरी है कि इस दौरान उनकी आपस में या किसी और चीज के साथ टक्कर ना हो और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए ये कोई खतरा ना बनें.
बाधाओं के बीच झुंड में उड़ान भरना
स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में रोबोटिसिस्ट एनरिका सोरिया बताती हैं कि ड्रोन के झुंडों के पहले भी परीक्षण हुए हैं लेकिन बिना बाधा वाले खुले वातावरण में या फिर ऐसी जगहों पर जहां बाधाओं को पहले ही प्रोग्राम कर लिया जाता है. सोरिया ने कहा, "पहली बार ड्रोनों का झुंड जंगल में एक ऐसे वातावरण में उड़ा जिसके पहले से रचना नहीं की गयी थी. प्रयोग शानदार रहा."
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डेप्थ कैमरा, ऑल्टीट्यूड सेंसर और एक ऑन बोर्ड कंप्यूटर से लैस हथेली के आकार वाले ड्रोन खास काम के लिए तैयार किए गए हैं. इनकी सबसे बड़ी खूबी है एक बेहद चतुर एल्गोरिद्म जो टक्कर से बचने, उड़ान को बेहतर बनाने और झुंड के साथ सहयोग के लिए तैयार किया गया है. ये ड्रोन जीपीएस जैसी किसी बाहरी ढांचे से नहीं जुड़े हैं इसलिए इन्हें प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी इस्तेमाल किया जा सकता है. उदाहरण के लिए इन्हें भूकंप से तबाह इलाके में नुकसान का जायजा लेने या फिर कहां मदद भेजनी है और कौन सी इमारत लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है, इसका पता लगाने में इस्तेमाल किया जा सकता है.
खतरनाक इस्तेमाल भी संभव है
निश्चित रूप से यह काम एक ड्रोन के सहारे भी हो सकता है लेकिन यह काम झुंड में हो तो दक्षता बहुत बढ़ जायेगी खासतौर से तब जब उड़ान के लिए सीमित समय हो. इसके साथ एक फायदा यह भी है कि झुंड साथ मिल कर सामूहिक रूप से ज्यादा वजनी सामान को भी उठा कर कहीं पहुंचा सकते हैं. हालांकि इसका एक खतरनाक पहलू भी है. इन झुंडों को सेना हथियारों से भी लैस कर सकती है जैसा कि आज कल रिमोट से चलने वाले सिंगल ड्रोन के साथ किया जा रहा है. अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने इसमें खासी दिलचस्पी दिखाई है और वह खुद भी इनसे जुड़े परीक्षण कर रहा है.
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सोरेया का कहना है, "सेना से जुड़े रिसर्च बाकी दुनिया के साथ इस तरह खुलेआम साझा नहीं किये जाते तो फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि वो अपने विकास में कहां तक पहुंचे हैं." इतना जरूर है कि साइंटिफिक जर्नलों में जो जानकारी साझा की जा रही है उसे जरूर सैन्य इस्तेमाल में लाया जा सकता है.
अलग अलग वातावरण में परीक्षण
चीनी टीम ने अपने ड्रोन को अलग अलग परिस्थितियों में ढाल कर उनका परीक्षण किया है. बांस के जंगलों में झुंड का गुजरना, अधिक ट्रैफिक वाले प्रयोगों में दूसरे ड्रोन से बचना और रोबोट से किसी इंसान का पीछा करना. झोउ ने ब्लॉग पोस्ट में लिखा है, "हमारा काम चिड़ियों से प्रेरित है जो झुंड के साथ भी बड़ी सफाई से घने जंगलों के बीच भी उड़ती हैं." इन्हें तैयार करने में चुनौती थी अलग अलग तरह की जरूरतों के बीच संतुलन बिठाना. इन मशीनों को छोटा और हल्का बनाने के साथ ही उच्च गणना वाले कंप्यूटरों की शक्ति से लैस करना और उड़ान के समय को ज्यादा बढ़ाए बिना सुरक्षित प्रक्षेपण पथ तैयार करना.
सोरेया का कहना है कि अगले कुछ वर्षों में ये ड्रोन काम करने के लिए तैयार हो जायेंगे. हालांकि उसके पहले इन्हें अत्यधिक गतिशील इलाकों मसलन शहरों में परखना होगा. वहां इन्हें लगातार लोगों और गाड़ियों से खुद को बचाने के लिए ऊपर नीचे करना होगा. इसके साथ ही इनके लिए उड़ान के नियम तैयार करने और उसकी मंजूरी मिलने में भी थोड़ा वक्त लगेगा.
एनआर/आरपी (एएफपी)