चीन में नकली दवा का फैलता कारोबार
१८ जून २०१२बरामद की गई दवाओं में कैंसर पैदा करने वाली क्रोमियम धातु की मिलावट पाई गई है. कहा गया है कि कम कीमत की दवाएं बनाकर भी लाभ कमाने के चक्कर में दवा कंपनियां ऐसी खतरनाक मिलावट कर रही हैं. ये दवाएं हांगकांग में बरामद की गई हैं जहां 90 फीसदी दवाएं चीन से ही मंगाई जाती हैं.
खुद चीन की सरकारी मीडिया ने मई में इस बात को कबूल किया था कि 253 दवा कंपनियां नकली दवा बना रही थीं. ये कुल दवा उत्पादन का 12.7 प्रतिशत था. इनमें से 10 के नाम तो चीन के स्टॉक एक्सचेंज में भी दर्ज है. चीनी मीडिया के मुताबिक जिन 11,561 दवाओं की जांच की गई, उनमें से 5.8 फीसदी दवाओं में क्रोमियम की भारी मात्रा पाई गई.
जांच के दौरान पाया गया कि दवा कंपनियों ने पशुओं से मिलने वाले जेलाटिन के बजाय दवाओं में उस जेलाटिन का उपयोग किया जो औद्योगिक उत्पादन में इस्तेमाल किया जाता है. जांच अधिकारियों ने 236 दवा निर्माताओं पर छापा मारकर उनमें से 42 को उत्पादन बंद करने के लिए कहा है. इसके अलावा 84 उत्पादन लाइन को भी बंद कर दिया है. 13 को पुलिस के हवाले कर दिया गया है और सात दवा कंपनियों का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है.
चीन के दवा उद्योग संगठन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, '' मूलभूत दवाओं के ठेके की अहम समस्याएं हैं. पहला तो ये कि राज्य सरकारें राजनीतिक लाभ के लिए कीमतें ज्यादा से ज्यादा कम कराती हैं. दूसरा, कम कीमतों का असर दवाओं की गुणवत्ता पर पड़ रहा है और लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है.'' जानकारों का कहना है कि यह रातोंरात ठीक होने वाली बात नहीं है. इसमें वक्त लगेगा.
चीन की सरकार इससे पहले भी नकली सामन बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का ऐलान कर चुकी है. हालांकि अभी तक हुआ कुछ नहीं है. चीन में खिलौने, दूध, टूथपेस्ट, बच्चों के कपड़ों का बड़ा नकली बाजार है. वैसे देखा जाए तो भारत की स्थिति भी कुछ ठीक नहीं. अभी कुछ ही महीने पहले ही विश्व स्वास्थ संगठन की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि भारत में बिकने वाली ब्रांडेड दवाओं का 30 प्रतिशत हिस्सा नकली होता है. इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि भारत में नकली दवाओं का करोबार करीब 40 हजार करोड़ का है.
वीडी/एमजी(रॉयटर्स)