छोटी उम्र में बड़ा काम कर रही है रिद्धिमा
२७ सितम्बर २०१९रिद्धिमा काफी समय से पर्यावरण के लिए सक्रिय है. उसने 2017 में भारत के नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) में एक याचिका दायर कर कहा था कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. पर्यावरण से जुड़े मामलों को देखने वाली संस्था एनजीटी ने रिद्धिमा की याचिका को खारिज कर दिया. लेकिन फिर रिद्धिमा इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई.
रिद्धिमा ने स्वीडन की ग्रेटा थुनबर्ग और अन्य युवा कार्यकर्ताओं के साथ मिल कर जर्मनी, फ्रांस, ब्राजील, अर्जेंटीना और तुर्की की आलाचोना की है. उनका कहना है कि ये देश बच्चों के अधिकारों से जुड़ी संयुक्त राष्ट्र की संधि के तहत युवाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को नहीं निभा रहे हैं.
रिद्धिमा ने न्यूयॉर्क से स्वदेश लौटने पर कहा, "हम इस मुद्दे को विश्व स्तर पर ले जाएंगे. मुझे लगता है कि विश्व नेता हमारी अनदेखी नहीं कर पाएंगे." रिद्धिमा ने बताया कि न्यूयॉर्क में लोग उससे अकसर कहते थे कि तुम एक कार्यकर्ता बनने के लिए अभी बहुत छोटी हो. लेकिन रिद्धिमा को ऐसा नहीं लगता क्योंकि बाकी देशों में दूसरे बच्चे भी ऐसा कर रहे हैं.
वह कहती है कि उसकी यात्रा की सबसे अच्छी बात रही शिकायत दर्ज कराना और फिर शुक्रवार को ग्लोबल क्लाइमेट स्ट्राइक में हिस्सा लेना. उस दिन नई दिल्ली, मंबई और कोलकाता जैसे भारत के कई शहरों में भी प्रदर्शन हुए.
रिद्धिमा हरिद्वार से हैं, जो एक बड़ा तीर्थस्थल है. हालांकि वहां से गुजरने वाली गंगा प्रदूषण की मार झेल रही है. रिद्धिमा कहती है, "सरकार कहती है कि उन्होंने गंगा को साफ किया है, लेकिन यह सच नहीं है. हम गंगा को अपनी मां कहते हैं, गंगा को देवी कहते हैं, और फिर हम उसे प्रदूषित करते हैं." उसका कहना है कि गंगा किनारे उसे अकसर मूर्तियां, कपड़े और प्लास्टिक की थैलियां मिलती हैं.
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रिद्धिमा ने 2013 में जलवायु में रुचि लेनी शुरू की. यह वह साल था जब उत्तराखंड में भयानक बाढ़ आई थी. पेशे से वन्यजीव संरक्षक रिद्धिमा के पिता ने उसे ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी चीजों से बारे में बताना शुरू किया क्योंकि वह प्राकृतिक संकटों के बारे में लगातार सवाल पूछा करती थी.
अपनी बेटी के साथ न्यूयॉर्क जाने वाले दिनेश पाण्डेय कहते हैं, "हम बड़े लोग बातें बहुत करते हैं. यह सही नहीं है. वे लोग आने वाली पीढ़ियों के साथ विश्वासघात कर रहे हैं. मैं यहां अपनी बेटी के साथ खड़ा हूं. मुझे इस बात पर गर्व है कि मेरी बेटी विश्व स्तर पर इस मिशन में सबके साथ खड़ी है."
वहीं रिद्धिमा का कहना है, "मुझे नहीं लगता कि हमारी सरकार पेरिस समझौते से जुड़ी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर रही है." रिद्धिमा का इशारा जीवाश्म ईंधन पर भारत की लगातार निर्भरता की तरफ है. वह कहती है, "मुझे बहुत गुस्सा आता है. उन्हें सिर्फ विकास पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए. अगर हमारे पास भविष्य ही नहीं होगा तो फिर इस विकास का हम क्या करेंगे."
वह कहती है कि आम भारतीय लोग सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर बड़ा बदलाव ला सकते हैं. उसके मुताबिक, "अगर आप मदद करना चाहते हैं तो सबसे पहले हमारी मुहिम का समर्थन कीजिए. और दूसरी बात, प्लास्टिक के उत्पादों का इस्तेमाल बंद कर दीजिए. अगर हम उन्हें इस्तेमाल नहीं करेंगे, तो फिर कंपनी ऐसे उत्पाद बनाएंगी ही नहीं."
एके/एनआर (एपी)
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