डॉक्टरेट करने वाला बगदादी कैसे बना आतंक का सबसे बड़ा चेहरा
२८ अक्टूबर २०१९अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रविवार को कहा कि अमेरिकी सेना के विशेष दस्तों ने तथाकथित इस्लामिक स्टेट के मुखिया अबू बक्र अल-बगदादी को उत्तर-पश्चिम सीरिया में मार गिराया.
ट्रंप ने टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संदेश में बताया कि रात में की गई सेना की कार्रवाई में इस्लामिक स्टेट के कई आतंकवादी मारे गए और बगदादी ने एक सुरंग में फंसने के बाद खुद को और अपने तीन बच्चों को बम से उड़ा दिया.
बगदादी के मरने की खबरें इससे पहले भी कई बार आ चुकी हैं. लेकिन इस बार जिस तरह राष्ट्रपति ट्रंप ने इसका एलान किया है, उससे माना जा रहा है कि वह इससे बड़ा राजनीतिक लाभ उठाना चाह रहे हैं. दुनिया भर के लिए पहले बने इस शख्स के बारे में आइए थोड़ा विस्तार से जान लेते हैं.
कौन था बगदादी
अबू बक्र अल-बगदादी आईएस का मुखिया और स्व-घोषित खलीफा था. उसके नेतृत्व में आईएस ने इराक और सीरिया में एक बड़े इलाके को अपने कब्जे में ले लिया. इस इलाके में आईएस ने कट्टरपंथी इस्लाम को बड़ी क्रूरता से लागू किया और इस्लामिक कानून (शरिया) से चलने वाली सरकार की स्थापना की.
धीरे धीरे कई देशों के भटके हुए नौजवान आईएस की तरफ खिंचे चले आए और उससे जुड़ गए. दुनिया में पनप रहे कई आतंकवादी संगठन भी आईएस से जुड़ गए और उन्होंने बगदादी के नेतृत्व को स्वीकार कर लिया.
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इसके बाद बगदादी के नेतृत्व में आईएस ने इराक और सीरिया के अलावा दुनिया में कई हिस्सों में आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया और बगदादी पूरी दुनिया के लिए आतंक का सबसे डरावना चेहरा बन गया.
अमेरिका और उसके साथी देशों ने आईएस के खिलाफ जंग छेड़ दी लेकिन सालों तक वे उस समूह पर काबू नहीं पा पाए. लगभग पांच साल की लड़ाई के बाद मार्च 2019 में सीरिया में आईएस के नियंत्रण में रहे आखिरी इलाके को मुक्त कराया गया. लेकिन आईएस के लड़ाके आज भी कई जगहों पर फैले हुए हैं और दुनिया के लिए एक चुनौती बने हुए हैं.
व्यक्तिगत जीवन
माना जाता है कि बगदादी का असली नाम इब्राहिम अव्वाद इब्राहिम अल-बद्री था और उसका जन्म मध्य इराक के शहर समाराई में एक सुन्नी अरब परिवार में हुआ था. उसके जीवन के विवरण को लेकर काफी विवाद है और आधिकारिक जानकारी का अभाव है.
लेकिन कुछ जानकारों का मानना है कि बगदादी बचपन से मस्जिदों में बहुत समय बिताता था और बहुत जल्दी कुरान और शरिया का जानकार बन गया था. स्कूल खत्म होने की बाद भी उसने इस्लामी तालीम ही हासिल की और बगदाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट भी की. फिर कुछ वर्षों तक उसने एक इमाम के तौर पर काम किया.
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आतंकवाद के रास्ते वह कैसे आया, इस बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि 'जिहाद' की तरफ उसका झुकाव छात्र जीवन में ही हो गया था. 2003 में जब अमेरिका के नेतृत्व में इराक पर हमला हुआ और इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन का तख्ता पलट किया गया, उसके बाद बगदादी ने कुछ लोगों के साथ मिलकर एक छोटे से बागी समूह की स्थापना की. इस समूह ने अमेरिकी और अन्य देशों के सैनिकों पर हमला करना शुरू किया.
2004 में अमेरिकी सैनिकों ने उसे हिरासत में भी लिया और दक्षिणी इराक में कैंप बक्का में रखा. लेकिन उसे छोटे स्तर का खतरा समझ कर 10 महीनों में रिहा कर दिया गया.
माना जाता है कि यहां से रिहा होने के बाद वो अल-कायदा की इराकी ईकाई (एक्यूआई) के संपर्क में आया और 2006 में एक्यूआई के संगठन मुजाहिद शूरा कॉउंसिल से जुड़ गया. उसी साल यही संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक में तब्दील हो गया और बगदादी उसकी सलाहकार शूरा कॉउंसिल का हिस्सा बन गया.
2010 में इस संगठन के नेता अबू उमर अल-बगदादी और उसके एक करीबी सहयोगी की एक अमेरिकी हमले में मौत हो गई और तब बगदादी को इसका प्रमुख बनाया गया.
माना जाता है कि बगदादी इस संगठन को हार के कगार से वापस ले कर आया, उसने इसे फिर से खड़ा किया और एक घातक समूह में तब्दील किया.
2013 में इस संगठन ने सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-अस्साद के खिलाफ विद्रोह से खुद को जोड़ लिया और सीरिया में भी लड़ाके भेजकर वहां अल-नुस्रा नामक संगठन की स्थापना की.
उसी साल अप्रैल में बगदादी इराक और सीरिया में काम रहे अपने लड़ाकों को एक बैनर के तले ले आया और उसने आईएस की स्थापना की.
अगले एक साल तक उसके लड़ाकों ने एक के बाद एक कई इराकी शहरों को अपने कब्जे में ले लिया और जून 2014 में आईएस ने तथाकथित खिलाफत की स्थापना की घोषणा की.
इसके बाद आईएस और अमेरिका की अगुवाई वाले गठबंधन की सेनाओं के बीच जंग और वीभत्स हो गई. हजारों लोग मारे गए, लाखों बेघर हो गए, शहर के शहर तबाह हो गए और इस इलाके में स्थित कई इमारतें, जो ऐतिहासिक धरोहर थीं, नष्ट हो गईं.
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गठबंधन सेनाओं को पांच साल लगे, सभी शहरों को आईएस के नियंत्रण से मुक्त कराने में. आईएस के पास अब वैसा इलाका नहीं है जैसा कभी था लेकिन उसके लड़ाके आज भी खतरा बने हुए हैं.
अमेरिकी सरकार ने बगदादी के सिर पर ढाई करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा था और इस लंबी जंग के दौरान कई बार उसके मारे जाने की खबर आई. जून 2017 में रूस ने कहा कि संभव है कि बगदादी उसके हवाई हमले में मारा गया हो. लेकिन तीन महीने बाद बगदादी का एक संदेश सामने आया और उसकी मौत की खबर पर संदेह बन गया.
ऐसा तीन-चार बार और हुआ और इसलिए इस बार भी राष्ट्रपति ट्रंप की घोषणा को संदेह की नजर से देखा जा रहा है.
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