1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जामिया के एक और छात्र के खिलाफ यूएपीए

२२ मई २०२०

दिल्ली पुलिस ने जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर लिया है. दिल्ली में हाल में इस तरह की कई गिरफ्तारियां हुई हैं. मानावाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे पुलिस द्वारा "जांच का षड्यंत्र" बताया है.

https://p.dw.com/p/3cbCe
Indien Neu-Delhi Protest gegen Staatsbürgerschaftsgesetz
तस्वीर: picture-alliance/Xinhua/J. Dar

दिल्ली पुलिस द्वारा दाऊद इब्राहिम और हाफिज सईद जैसे गैंगस्टर और आतंकवादियों के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले कानून यूएपीए का छात्रों और एक्टिविस्टों के खिलाफ इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. गुरूवार 21 मई को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के 24-वर्षीय छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस का आरोप है कि तन्हा ने 15 दिसंबर 2019 को दक्षिणी दिल्ली के जामिया नगर में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किया था और अपने भाषण से वहां जमा हुई भीड़ को भड़काया था, जिसके बाद वहां हिंसा हुई.

तन्हा को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 17 मई को भी गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया था. बुधवार को स्पेशल सेल ने उनकी पुलिस रिमांड के लिए आवेदन दिया और पुलिस रिमांड मिल जाने के बाद उनके खिलाफ यूएपीए के तहत आरोप लगा कर उन्हें सात दिन की पुलिस हिरासत में ले लिया. तन्हा जामिया में बीए कर रहे हैं और फारसी ऑनर्स कार्यक्रम के आखिरी वर्ष में हैं. उन्हें जामिया की स्टूडेंट्स' इस्लामिक ऑर्गेनाईजेशन (एसआईओ) इकाई के एक अहम चेहरे के रूप में जाना जाता है.

बताया जा रहा है कि वो जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी के भी सदस्य थे, जिसके कुछ और सदस्यों को भी दिल्ली पुलिस फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के पीछे साजिश में शामिल होने के आरोप पर यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर चुकी है. कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि पुलिस को तन्हा के भी इसी साजिश में शामिल होने का शक है. तन्हा से पहले जामिया के ही दो और छात्र मीरान हैदर और सफूरा जरगर को पुलिस यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर चुकी है. जरगर गर्भावस्था के चौथे महीने में हैं लेकिन इसे नजरअंदाज करके उन्हें भीड़-भाड़ वाली तिहाड़ जेल में रखा गया है. मानवाधिकार कार्यकर्ता उनकी गिरफ्तारी की निंदा कर चुके हैं और लगातार प्रशासन से उन्हें रिहा करने की अपील कर रहे हैं. 

Indien Proteste gegen Staatsbürgerschaftsgesetz
15 दिसंबर 2019 की तस्वीर. प्रदर्शनकारी अश्रु गैस के धुंए से खुद को बचाने के लिए भाग रहे हैं.तस्वीर: Reuters/A. Abidi

15 दिसंबर को जामिया के आस पास के इलाकों में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन का आयोजन किया गया था लेकिन उस से पहले के प्रदर्शनों के विपरीत, उस दिन प्रदर्शन के दौरान हिंसा हो गई थी. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई थी और चार बसों और दो पुलिस की गाड़ियों को भी जला दिया गया था. करीब 40 छात्र और पुलिसकर्मी घायल हुए थे. तन्हा का नाम जामिया नगर पुलिस थाने में इसी प्रकरण के सिलसिले में दर्ज हुई एफआईआर में लिया गया है. उनके अलावा एफआईआर में कांग्रेस के पूर्व स्थानीय विधायक आसिफ खान और पांच अन्य लोगों के नाम भी हैं.

कुछ जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, अधिवक्ताओं और एक्टिविस्टों ने पुलिस की इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है और आरोप लगाया है कि दिल्ली पुलिस युवा और पढ़े लिखे एक्टिविस्टों पर झूठे आरोप लगा रही है. वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने इसे "जांच का षड्यंत्र" कहा है और आरोप लगाया है कि जो लोग हिंसा से पीड़ित थे पुलिस उन्हीं को निशाना बना रही है. दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद का कहना है कि ठीक भीमा-कोरेगांव मामले की तरह, दिल्ली दंगों के मामलों में भी जिन लोगों पर शुरू में आरोप लगे थे वो खुले घूम रहे हैं और एक्टिविस्टों को हिरासत में लिया जा रहा है.

राष्ट्रीय जनता दल की तरफ से राज्य सभा के सदस्य मनोज झा ने यह भी कहा कि ये सब जानबूझ कर इस समय किया जा रहा है क्योंकि अदालतें पूरी तरह से काम नहीं कर रही हैं.

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें