दुनियाभर में हथियारों की खरीदारी बढ़ी
९ दिसम्बर २०१९दुनिया में हथियारों की बिक्री में लगभग 5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. इस कारोबार में सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिकी कंपनियों का है. स्वीडन के स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शान्ति शोध संस्थान (सिपरी) की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. स्वीडन की संसद ने 1966 में सिपरी का गठन किया था और यह तभी से दुनिया भर के सैन्य खर्च और हथियारों के कारोबार पर नजर रखती है.
2018 में दुनिया के 100 सबसे बड़े हथियार बेचने वाले समूहों ने जितने हथियार बेचे, उसमे आधे से ज्यादा कारोबार सिर्फ अमेरिकी कंपनियों का था. रिपोर्ट के अनुसार 2018 में कुल 420 अरब डॉलर के हथियार बिके और बिक्री में 4.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई. हथियार बेचने वाली सबसे बड़ी 100 कंपनियों में 43 कंपनियां अमेरिकी हैं और इन्होंने कुल 246 अरब डॉलर का व्यापार किया. यह दुनिया भर में बिके हथियारों का 59 प्रतिशत है. 2017 के मुकाबले, इस साल अमेरिकी कंपनियों ने बिक्री में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की.
सिपरी ने कहा कि अमेरिकी सरकार के रक्षा विभाग की सरकारी खरीद और प्रमुख अमेरिकी कंपनियों का एकीकरण इस वृद्धि के मुख्य कारणों में हैं. सिपरी के हथियार और सैन्य खर्च कार्यक्रम की प्रमुख आउडे फ्लोरैंट ने कहा, "बड़ी अमेरिकी कंपनियां आपस में विलय कर रही हैं ताकि वो नई पीढ़ी के हथियार बना सकें और उनकी मदद से अमेरिकी सरकार के ठेके हासिल कर सकें".
100 सबसे बड़ी कंपनियों में 10 रूसी कंपनियां हैं और वैश्विक बिक्री में इनकी हिस्सेदारी लगभग नौ प्रतिशत रही. 2017 के मुकाबले इन कंपनियों के व्यापार में मामूली गिरावट दर्ज की गई है. रूसी कंपनियों में सबसे ज्यादा बिक्री करने वाली कंपनी थी सरकारी कंपनी अल्माज-अन्तेय, जो नौवें स्थान पर रही. अल्माज-अन्तेय एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम बनाती है. इसे खरीदने वालों में भारत और तुर्की भी शामिल हैं.
यूरोपीय कंपनियों के लिए रुझान मिले जुले थे, लेकिन 100 कंपनियों वाली सूची में जो 27 यूरोपीय कंपनियां हैं उनकी कुल बिक्री 102 अरब डॉलर रही, जो कि पिछले साल की बिक्री के लगभग बराबर ही है.
पश्चिमी यूरोप में ब्रिटेन की कंपनियां सबसे बड़ी हथियार उत्पादक कंपनियां रहीं और इन्होने कुल 35 अरब डॉलर की बिक्री की. हालांकि पिछले साल के मुकाबले इसमें लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट आई है.
रिपोर्ट के अनुसार इस गिरावट के कारणों में ब्रिटेन के हथियार खरीदने के कार्यक्रम के हुई देर शामिल है. इस सूची में फ्रांस की छह कंपनियां हैं जिनकी कुल बिक्री 23 अरब डॉलर की रही. इसमें सबसे बड़ा हिस्सा लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी दासो की वजह से है.
जर्मनी की चार मुख्य कंपनियों की बिक्री में चार प्रतिशत की गिरावट आई है. जर्मन कंपनी राइनमेटल का प्रदर्शन बाकी कंपनियों के प्रदर्शन से अलग रहा और उसने बिक्री में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की. सिपरी के हथियार और सैन्य खर्च कार्यक्रम में वरिष्ठ शोधकर्ता पीटर वेजेमन के अनुसार राइनमेटल के कारोबार में बढ़ोत्तरी जर्मन सरकार को बख्तरबंद गाड़ियां बेचने से हुई है.
अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन ने दुनिया की सबसे बड़े हथियार बेचने वाली कंपनी के रूप में अपनी जगह और पुख्ता कर ली है. दुनिया भर की बिक्री में इसकी हिस्सेदारी अब 11 प्रतिशत हो गई है. सिपरी के अनुसार एफ-35 लड़ाकू विमान बनाने वाली इस कंपनी की कुल बिक्री 47.2 अरब डॉलर की रही.
सूची में जो पांच कंपनियां सबसे ऊपर हैं, उनमें लॉकहीड मार्टिन के अलावा चार और अमेरिकी कंपनियां हैं, बोइंग, नॉर्थरोप गृम्मान, रेथिओं और जनरल डायनामिक्स.
पर्याप्त जानकारी उपलब्ध ना होने की वजह से चीनी कंपनियों को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है. लेकिन, सिपरी का अनुमान है कि 100 कंपनियों की सूची में तीन चीनी कंपनियां भी शामिल हो सकती हैं.
अमेरिका, यूरोप और रूस के बाहर की 20 बड़ी कंपनियों में से छह जापान की हैं और तीन इस्राएल, भारत और दक्षिण कोरिया की हैं.
सीके/एनआर (डीपीए/एएफपी)
______________
हमसे जुड़ें: WhatsApp | Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay |