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समाज

पाकिस्तान में एक करोड़ लड़कियों को स्कूल मयस्सर नहीं

१३ नवम्बर २०१८

पाकिस्तान में एक करोड़ से ज्यादा लड़कियां स्कूल नहीं जा पा रही हैं. मानवाधिकार संस्थाएं इसके लिए वहां की सरकार को जिम्मेदार ठहराती हैं.

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Pakistan Der Alltagsleben des Mädchen Ansa in Mardan
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Rehman

मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी ताजा रिपोर्ट में स्कूली शिक्षा को लेकर पाकिस्तान की तस्वीर पेश की है. रिपोर्ट कहती है कि 20.7 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान में लगभग आठ करोड़ बच्चे स्कूल जाने की उम्र वाले हैं. लेकिन इसमें से 2.25 करोड़ ऐसे हैं जिन्हें स्कूल मयस्सर नहीं हैं. ऐसे में बच्चों में ज्यादातर लड़कियां हैं.

रिपोर्ट कहती है कि स्कूलों की कमी समेत कई कारण हैं जो पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा में बाधा बनते हैं. 111 पन्नों वाली इस रिपोर्ट का शीर्षक है: "मैं अपनी बेटी को खिलाऊं या फिर उसे पढ़ाऊं: पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा में बाधाएं."

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रिपोर्ट के मुताबिक अगर सरकार बच्चों की शिक्षा पर ज्यादा रकम खर्च करे तो हालात सुधर सकते हैं. पाकिस्तान ने 2017 में अपनी जीडीपी का 2.8 प्रतिशत से भी कम शिक्षा पर खर्चा किया जबकि मानकों के मुताबिक चार से छह प्रतिशत खर्च करने की सिफारिश की जाती है.

रुढ़िवादी पाकिस्तानी समाज में कई सामाजिक मान्यताएं भी लड़कियों के रास्ते की बाधा बनती हैं. कई जगहों पर लड़कियों को पढ़ाना अच्छा नहीं माना जाता. शांति का नोबेल जीतने वाली पाकिस्तानी मलाला यूसुफजई पर 2012 में चरमपंथियों ने इसलिए हमला किया था कि वह लड़कियों को पढ़ाने की पैरवी करती थीं.

अब मलाला इंग्लैंड में रहती हैं और दुनिया भर में बच्चों और खासकर लड़कियों की शिक्षा के लिए जागरूकता फैलाने के प्रयासों में जुटी हैं.

एके/आईबी (एपी)

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