पुर्तगाल में सत्ताधारी दल को जीत लेकिन बहुमत से दूर
७ अक्टूबर २०१९सोशलिस्ट पार्टी पिछले चार साल से कट्टर वामपंथी पार्टियों के सहयोग से सरकार चला रही है. इस बार के चुनाव में 230 सदस्यों वाली संसद की 106 सीटों पर पार्टी ने कब्जा जमाया है. उसकी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मध्य दक्षिणपंथी सोशल डेमोक्रैट्स पार्टी को 77 सीटें मिली हैं. पीएसडी का यह अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है. चुनाव का यह नतीजा बता रहा है कि सोशलिस्ट पार्टी को एक बार फिर कम से कम एक और पार्टी के समर्थन की जरूरत होगी ताकि वह संसद में बिल पास करवा सके.
कुछ हफ्ते पहले ओपिनियन पोल ने दिखाया था कि अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शनों के दम पर मजबूत हूए कोस्टा पूर्ण बहुमत हासिल कर लेंगे. ऐसा नहीं हो सका हालांकि 2015 के चुनाव में मिली 86 सीटों के मुकाबले इस बार पार्टी ने अपना विस्तार जरूरत किया है.
प्रधानमंत्री कोस्टा ने "विक्ट्री विक्ट्री" के नारे लगाते समर्थकों से मुस्कुराते हुए कहा, "चुनाव से यह साफ है कि पीएस (सोशलिस्ट पार्टी) और उसके सहयोगी दलों ने अपनी स्थिति मजबूत की है. चूंकि हमारे पास अकेले बहुमत नहीं है इसलिए हमें अगले चार साल तक स्थिरता तय करने के लिए उपाय ढूंढना होगा."
कोस्टा ने यह भी कहा कि वोटरों ने 2015 की उस डील को पसंद किया है जिसमें लेफ्ट ब्लॉक और कम्युनिस्टों ने अप्रत्याशित रूप से सोशलिस्टों का समर्थन किया ताकि दक्षिणपंथियों को सत्ता से दूर रखा जा सके. कोस्टा का कहना है कि वह इसे जारी रखना चाहते हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह पीपुल एनिमल नेचर पार्टी के साथ ही समझौता करना चाहते हैं.
कोस्टा की अल्पमत सरकार को यूरोपीय संघ की सराहना मिली. इसके साथ ही घरेलू मोर्चे पर राजकोषीय अनुशासन का भी फायदा मिला जिसके दम पर सरकार ने मंदी और 2010-14 के कर्ज संकट के बाद खर्च घटाने के उपायों और विकास को बढा़वा देने के लिए कदम उठाए.
पुर्तगाल की अर्थव्यवस्था यूरोपीय संघ के औसत की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. निर्यात बढ़ा है और पिछले साल देश में आए सैलानियों की संख्या यहां के स्थानीय लोगों से ज्यादा थी. हालांकि कई विवाद भी सामने आए. इनमें भाई भतीजावाद की कुछ घटनाओं से लेकर मिलीट्री बेस से हथियारों की चोरी के मामले को दबाने में एक पूर्व मंत्री की कथित भूमिका जैसे विवाद ने सोशलिस्टों की रेटिंग घटाई.
पुर्तगाली प्रधानमंत्री ने समर्थकों से कहा कि वह बजट घाटे और कर्ज को घटाने के लिए काम करना जारी रखेंगे. हालांकि उनके संभावित सहयोगियों की मांग के चलते यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है. राजनीतिक विश्लेषक अंटोनियो कोस्टा पिंटो कहते हैं, "इस बार के समझौते चार साल पहले की तुलना में कठिन होंगे क्योंकि तब लेफ्ट के साथ करार दक्षिणपंथियों को बाहर रखने के साझा लक्ष्य के चलते हुआ था. अब लेफ्ट भी मजबूत है... जाहिर है कि वो बजट की सीमाओं और अगले साल के लिए आर्थिक मंसूबों को परखना चाहेंगे."
माना जा रहा है कि राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूजा पार्टियों से मांग करेंगे कि गठबंधन पक्का और लंबे समय के लिए होना चाहिए. इसके साथ ही उम्मीद की जा रही है कि पार्टियों के बीच समझौते पड़ोसी देश स्पेन की तरह अस्तव्यस्त नहीं होंगे. स्पेन में चुनाव के पांच महीने बाद भी सरकार नहीं बन सकी है और अब नवंबर में दोबारा वोट पड़ने की तैयारी है.
2015 में कोस्टा को वामपंथी सहयोगियों से डील करने और प्रधानमंत्री बनने में दो महीने लगे थे. लेफ्ट ब्लॉक और कम्युनिस्टों ने कहा है कि कोस्टा को प्रधानमंत्री नामित किए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नही हैं और वे सोशलिस्टों के साथ समझौता करने को तैयार हैं अगर वे कामगारों की स्थिति सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हों.
एनआर/आईबी (एएफपी, रॉयटर्स)
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